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पटना साहिब से आसान नहीं ‘रविशंकर’ की राह, बीजेपी के लिए मुश्किल होगा जीत का ‘प्रसाद’

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पटना साहिब से आसान नहीं ‘रविशंकर’ की राह, बीजेपी के लिए मुश्किल होगा जीत का ‘प्रसाद’

सिटी पोस्ट लाइवः अब जब तकरीबन यह तय हो गया है कि पटना साहिब सीट से बीजेपी रविशंकर प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनायेगी और मौजूदा कानून मंत्री और राज्यसभा सांसद पटना साहिब सीट से बीजेपी का चुनाव लड़ेंगे तो सिर्फ उनकी उम्मीदवारी की खबर बाहर नहीं आयी है बल्कि उनकी चुनौतियों की पूरी फेहरिस्त अब जगजाहिर है। पटना साहिब सीट पर रविशंकर प्रसाद की लड़ाई अपने अपनों से हीं है क्योंकि वे भीतरघात के शिकार हो सकते हैं ऐसा अंदेशा है। पार्टी के दूसरे कद्दावर नेता आर.के. सिंह इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे और उनके समर्थक इस बात को लेकर बेहद नाराज हैं कि क्यों आर.के.सिंह को बीजेपी ने पटना साहिब सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया है?

जाहिर है रविशंकर प्रसाद की उम्मीदवारी के नाम पर बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता बंटे नजर आ रहे हैं और यह रविशंकर प्रसाद के लिए चिंता की बात है लेकिन उनकी मुश्किलें सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती। पहले कायस्था महासभा ने कहा कि अगर रविशंकर प्रसाद पटना साहिब से बीजेपी के उम्मीदवार हुए तो कायस्थ उन्हें अपना समर्थन नहीं देंगे। इसके बाद अब युग पुरूष परम प्रेममय श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी सत्संग सभा संगठन के लाखों फाॅलोवर्स हैं। देश में इस संगठन के करोड़ों फाॅलोवर्स हैं और इस संगठन के सर्वेसवा हैं मुन्ना सिंह और वे रविशंकर प्रसाद सिंह का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

मुन्ना सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि पटना साहिब सीट के लिए आर.के. सिन्हा से बेहतर कोई दूसरा उम्मीदवार कोई नहीं है जबकि रविशंकर प्रसाद नेता जरूर हैं लेकिन आमलोगों में उनकी स्वीकार्यता नहीं है। ऐसे में अगर बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया तो हमारे फालोवर्स नोटा हीं दबाएंगे। बीजेपी को चुनाव जीताने मेें मुन्ना सिंह की भूमिका और बीजेपी के अंदर उनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुन्ना सिंह से गुप्त वार्ता के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत पटना और देवघर की परिक्रमा कर रहे हैं।

इनके सत्संग कार्यक्रम में बिहार-झारखंड के संघ के क्षेत्रीय प्रचारक रामदत चक्रधर भी भाग ले चुके हैं। यानि संघ से मुना सिंह का काफी करीबी जुड़ाव है और जाहिर है मुन्ना सिंह और उनका संगठन जब खुल कर आर.के. सिन्हा का समर्थन कर रहा है तो रविशंकर प्रसाद की मुश्किलें बढ़ गयी है। यही नहीं क्षत्रीय महासभा के रामनरेश सिंह भी खुलकर आर.के. सिन्हा का समर्थन और रविशंकर प्रसाद का विरोध कर रहे हैं। तो एक के बाद एक कई संगठनों ने आर.के. सिन्हा का समर्थन और रविशंकर प्रसाद का विरोध कर न सिर्फ रविशंकर प्रसाद की मुश्किलें बढ़ा दी है बल्कि बीजेपी को भी बड़े असमंजस की स्थिति में ला खड़ा किया है।

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