सीएम नीतीश कुमार ने मधेपुरा को बनाया सियासी ठिकाना, वहीं से जा रहे हैं चुनावी प्रचार में
सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ जहाँ बिहार का सबसे हॉट सीट मधेपुरा संसदीय सीट बना हुआ है,वहीं दूसरी तरफ सूबे के मुखिया नीतीश कुमार बीते 8 अप्रैल से ही वहाँ रात्रि विश्राम कर रहे हैं। जदयू एमलसी ललन सर्राफ का मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित आवास, अभी मुख्यमंत्री का चुनावी आशियाना बना हुआ है। मधेपुरा में नीतीश कुमार के कैम्प करने का सबसे बड़ा नुकसान राजद के मधेपुरा राजद प्रत्यासी शरद यादव को हो रहा है। नीतीश कुमार के हेलीकॉप्टर का परमिशन चुनाव आयोग द्वारा तीसरे फेज के चुनाव के लिए 21 अप्रैल तक के लिए है।
जाहिर सी बात है कि नीतीश कुमार की 21 अप्रैल से पहले तक कि तमाम रातें मधेपुरा में ही गुजरेंगी ।मधेपुरा को लेकर पहले एक कहावत थी कि “रोम है पोप का और मधेपुरा है गोप का” ।इस बार मधेपुरा से तीन गोप महारथी चुनावी समर में हैं ।जदयू से दिनेश चन्द्र यादव,राजद से शरद यादव और जाप से पप्पू यादव उम्मीदवार हैं ।हांलांकि हालिया वर्षों में,रोम है पोप का और मधेपुरा है गोप का,के मायने बदल गए हैं और लोगों की सोच में भी बारी बदलाव आया है ।अब बदलते परिवेश में मधेपुरा ने अपने अर्थ बदल लिए हैं ।अब मधेपुरा को विकासशील मधेपुरा बनाने की कवायद जारी है।
नीतीश कुमार के द्वारा मधेपुरा में अपना स्थायी चुनावी आश्रय स्थल बनाये जाने से शरद यादव के वोट को खासा असर पर रहा है ।उनके बाहरी होने की हवा तैयार कर,वोटरों के मन को बदलने की मजबूत कोशिश की जा रही है ।जदयू प्रत्यासी को नीतीश कुमार के उनके बीच में रहने से जहाँ सम्बल में इजाफा हो रहा हैं,वहीँ वोटरों से संवाद करने में भी उन्हें काफी फायदा हो रहा है ।इधर पप्पू यादव,शरद के बाहरी होने और खुद के मधेपुरा का बेटा होने का मजबूत आधार लेकर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं ।पप्पू यादव की स्थिति शुरुआती समय में बेहद कमजोर थी लेकिन अब वे काफी मजबूत दिख रहे हैं।
मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में में लोगों के मन माफिक विकास नहीं कर पाने वाले पप्पू यादव ज्यादा समय क्षेत्र के लोगों के बीच देते रहे हैं।सामाजिक रीति-रिवाज और कर्मकांडों में लोगों के घर शिरकत करते हैं। पप्पू यादव, कहीं मौत होती है,तो वहां सबसे पहले पहुंचकर,मातमपुर्सी के साथ-साथ पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी करते हैं। गरीब परिवार की बेटी की शादी में भी वे आर्थिक मदद करते हैं। दिल्ली में उनका सरकारी आवास सेवा सदन बना हुआ है, जहां बिहार सहित विभिन्य प्रांतों के हजारों गरीब लोग आकर ठहरते हैं और अपने बीमार परिजन का एम्स सहित अन्य अस्पतालों में ईलाज करवाते हैं।
पप्पू यादव इस काम में लोगों की मदद करते हैं ।यही नहीं ईलाज में भी गरीब मरीजों को आर्थिक मदद के साथ-साथ पप्पू यादव यहाँ ठहरने वाले लोगों के लिए मुफ्त खाने की व्यवस्था भी किये हुए हैं। लोगों को ससम्मान सुविधा देने के लिए पप्पू यादव ने सेवा सदन में अपने आदमी रखे हुए हैं। इस बार चुनाव में पप्पू यादव आपका सेवक और बेटा बनकर लोगों से वोट मांग रहे हैं ।खास बात यह है कि इन्हें मुसलमानों और यादवों के साथ-साथ विभिन्य जातियों के भी वोट मिल रहे हैं। अब इस लोकसभा चुनाव में निर्णायक वोट राजपूत और ब्राह्मण का हो गया है।
तीनों उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से राजपूत और ब्राह्मणों को अपने पाले में लेने की जुगत कर रहे है। इन दोनों जातियों के वोट जो उम्मीदवार ज्यादा ले जाएंगे,जीत का सेहरा, उन्हीं के सर बंधेगा। 23 अप्रैल को इस लोकसभा क्षेत्र में चुनाव होना है। तीनों प्रत्यासी अपने-अपने तरीके से राजपूत और ब्राह्मण के वोट को अपनी झोली में लेने के लिए दिन-रात एक किये हुए है ।तीनों प्रत्यासियों के भाग्य जहां 23 अप्रैल को ईवीएम में बन्द होंगे, वहीं ईवीएम का पिटारा 23 मई को खुलेगा। ईवीएम के पिटारे के खुलते ही जीत का सच सामने आएगा।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का “विशेष चुनाव विश्लेषण”
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