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“चुनाव विशेष” : बिहार महागठबंधन में अति महत्वाकांक्षा बनी बड़ी मुसीबत

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“चुनाव विशेष” : बिहार महागठबंधन में अति महत्वाकांक्षा बनी बड़ी मुसीबत

सिटी पोस्ट लाइव चुनाव विशेष” : प्रत्येक लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक संसदीय सीट वाले यूपी पर पूरे देश की नजरें टिकी रहती थीं। लेकिन इस बार सत्रहवें लोकसभा चुनाव में सभी की निगाहें बिहार लोकसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं। बिहार में एनडीए को परास्त करने के लिए बना महागठबन्धन, विभिन्य धराओं के नेता और अति महत्वाकांक्षा की वजह से हासिये पर लुढ़कती दिख रहा है। कई सीटों पर जहाँ अभीतक जिझ और रार बरकार है, वहीं कई सीटों पर कांग्रेस का राजद विरोध कर रहा है। हद तो यह भी है कि कई सीटों पर राजद के प्रत्याशियों का राजद के कद्दावर नेता खुलकर ना केवल विरोध कर रहे हैं बल्कि कई सीटों पर वे निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करने की मुनादी कर, तैयारी भी शुरू कर दी है। राजद के कद्दावर नेता अली अशरफ फातमी ने राजद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है ।राजद के लिए सबसे बड़ी मुसीबत लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव साबित हो रहे हैं ।तेज प्रताप यादव ने लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर फिलवक्त जहाँ पांच सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है,वहीं कम से कम 20 सीटों पर उनके मोर्चे के उम्मीदवार चुनावी समर में कूदेंगे, इसको भी सार्वजनिक कर दिया है।

रांची के होटवार जेल में बन्द लालू प्रसाद यादव का जादू बेअसर साबित हो रहा है ।लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव कुशल राजनीति करने में अक्षम साबित हो रहे हैं ।बिहार के सुपौल सीट को लेकर विवाद काफी गहरा हो गया था ।इस सीट पर बाहुबली पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की सिटिंग सांसद हैं ।इस सीट पर राजद अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहता था ।राजद के विधायक यदुवंश यादव के नेतृत्व में राजद ने सुपौल में बगावत का मोर्चा खोलते हुए,यहाँ तक कह दिया था कि राजद परिवार किसी भी सूरत में कांग्रेस की प्रत्यासी रंजीता रंजन को स्वीकार नहीं करेगा ।रंजीता रंजन का टिकट कटता देख,रंजीता रंजन के बाहुबली पति ने यह ऐलान कर दिया था कि अगर सुपौल में उनकी पत्नी की सीट से कोई छेड़छाड़ हुआ,तो वे बिहार में महासंग्राम का शंखनाद करेंगे ।आखिरकार राजद ने घूँटने टेक कर सुपौल की सीट रंजीता रंजन को दे दी ।लेकिन रंजीता रंजन के नामांकन के दौरान 2 मार्च को राजद के कोई बड़े नेता मौजूद नहीं रहे ।

यह इस बात की चुगली कर रहा है कि रंजीता के प्रचार-प्रसार से लेकर मतदान में राजद की भूमिका नकारात्मक होगी,जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए काफी है ।सुपौल के राजद नेताओं का कहना है कि पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जाप बनाकर और रंजीता रंजन कांग्रेस नेत्री के तौर पर राजद को बहुत नुकसान पहुंचाने के सूत्रधार रहे हैं ।राजद अपने जनाधार से खिलवाड़ करने वालों की ना तो कोई मदद करेगा और ना ही कोई सहानुभूति दिखायेगा । वैसे रंजीता रंजन के शालीन नारी और प्रखर वक्ता रही हैं ।कांग्रेस के भीतर तक उनकी पैठ है ।लेकिन उनके पति अक्सर विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहे हैं ।पप्पू यादव ने अपने बयान में इस देश के नेताओं को दलाल,भ्रष्टाचारी,बलात्कारी कुकर्मी तक कहा है ।यही नहीं डॉक्टर समाज,साधु-संतों से लेकर आम आदमी तक को दलाल,भ्रष्टाचारी,बलात्कारी कुकर्मी कहा है ।

छठ पर्व में हिंदुओं के पर्व और देवी-देवता पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए हैं ।2 मार्च को जब रंजीता रंजन नामांकन के लिए जा रही थीं,तो उनके पति पप्पू यादव ने मंत्रोच्चारण के बीच रंजीता रंजन को तिलक लगाकर अपने मधेपुरा जिले के खुर्दा गाँव स्थित आवास से नामांकन के लिए सुपौल विदा किया ।लोग सवाल कर रहे हैं कि यह पप्पू यादव का कौन सा रूप है ।इनदिनों पप्पू यादव बात-बात पर रोने लगते हैं ।पहले उनके रोने पर जनता भी रोने लगती थी लेकिन अब जनता उनके रोने को अभिनय करार दे रही है ।खुद पप्पू यादव राजद से मधेपुरा के सिटिंग सांसद हैं लेकिन वे इस सीट से इसबार चुनाव अपनी पार्टी जाप से लड़ रहे हैं ।बिहार की राजनीति में अभी सबसे ज्यादा हॉट सीट मधेपुरा है,जहां से तीन दिग्गज यादव उम्मीदवार हैं ।जाप से पप्पू यादव,राजद से शरद यादव और जदयू से दिनेश चंद्र यादव उम्मीदवार हैं ।

तीन यादवों के इस भिड़ंत में जीत का सेहरा किसके सर बंधेगा,इसपर अभी कयास लगाना जल्दबाजी होगी ।सारण सीट से राजीव प्रताप रुढ़ी भाजपा से और लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय राजद से आमने-सामने हैं ।लेकिन चंद्रिका राय के दामाद और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने लालू-राबड़ी मोर्चे के बैनर तले सारण से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है ।तेजप्रताप यादव का अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से सम्बन्ध ठीक नहीं हैं ।तेजप्रताप यादव ने ऐश्वर्या से तलाक के लिए अदालत में अर्जी दायर कर रखी है ।अब अगर तेजप्रताप यादव सारण से उम्मीदवार होंगे,तो मुकाबला त्रिकोणीय जरूर होगा लेकिन इसका सीधा और भरपूर फायदा भाजपा के उम्मीदवार राजीव प्रताप रुढ़ी को मिलेगा ।बांका सीट से बीजेपी की सिटिंग सांसद,स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल देवी को भाजपा ने इसबार अपना उम्मीदवार नही बनाया ।पुतुल देवी बांका से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं ।

भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्काषित कर दिया है ।पटना साहिब से भाजपा के रविशंकर प्रसाद उम्मीदवार हैं लेकिन महागठबन्धन ने अभी वहां से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है ।कयास लगाया जा रहा है कि शत्रुघ्न सिन्हा यहाँ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे ।भागलपुर से भाजपा के शहनवाज हुसैन को टिकट नहीं मिलने से मुस्लिम समाज भाजपा से खफा है ।लेकिन भाजपा ने शहनवाज हुसैन को स्टार प्रचारक जरूर बनाया है ।पुर्णिया से जदयू के संतोष कुशवाहा की सीधी टक्कर भाजपा से कांग्रेस में आकर टिकट लपककर चुनावी समर में उतरने वाले पप्पू सिंह के बीच है ।खगड़िया सीट से लोजपा के महबूब अली कैसर उम्मीदवार हैं ।कैसर ने 3 मार्च को अपना नामांकन किया है ।यहाँ से राजद की बागी उम्मीदवार कृष्णा देवी निर्दलीय उम्मीदवार बनकर राजद के लिए मुश्किल खड़ी कर रही हैं ।

राजद ने छः साल के लिए कृष्णा देवी को पार्टी से निकाल दिया है ।लोजपा को यहाँ फायदा मिलता दिख रहा है ।बेगुसराय की सीट भी काफी महत्वपूर्ण है ।यहाँ से बीजेपी के गिरिराज सिंह उम्मीदवार हैं ।राजद ने तनवीर हसन को मौका दिया है ।सीपीआई से अफजल गुरु की बरसी मनाने वाले और भारत तेरे टुकड़े होंगे के नायक कन्हैया कुमार उम्मीदवार हैं ।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कन्हैया को चुनावी सभा करने से कई गाँव में रोका गया है ।इससे पहले कन्हैया के समर्थन में गुजरात से आये कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी की जनता ने भरपूर पिटाई कर के अपना ईरादा जाहिर कर दिया है ।दरभंगा सीट से राजद के अब्दुल बारी सिद्दकी उम्मीदवार हैं ।भाजपा ने यहाँ से गोपाल जी ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है ।यह सीट बीजेपी के खाते में थी ।कीर्ति झा आजाद यहाँ से बीजेपी से सांसद थे ।

लेकिन कीर्ति झा आजाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया ।कांग्रेस ने उन्हें दरभंगा सीट से टिकट दिलाने की भरपूर कोशिश की लेकिन तेजस्वी यादव की जिद की वजह से उन्हें बेतिया से कांग्रेस ने टिकट दिया है ।जेल में बन्द पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन का स्टैंड अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है ।आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद का अपने समर्थकों के साथ लगातार बहस और विमर्श जारी है ।हमारी जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन का समर्थन, आखिरकार एनडीए को ही मिलेगा ।जदयू सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक जदयू आनंद मोहन की ससम्मन रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।आनंद मोहन की सजा लगभग पूरी हो चुकी है ।बिहार सरकार चाहेगी,तो वे किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं । हमें जदयू के भीतरखाने से यह भी जानकारी मिली है कि आगे लवली आनंद को एनडीए राज्यसभा भेज सकता है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को किसी सीट से चुनाव लड़वा सकता है ।

बिहार की 40 में से तकरीबन 20 सीट हॉट सीट में तब्दील हो चुकी है ।सीट शेयरिंग से पहले बिहार में महागठबन्धन काफी ताकतवर दिख रहा था लेकिन सीट शेयरिंग के दौरान उसकी ताकत घटती चली गयी ।कम राजनीतिक समझ,या फिर किसी बड़े सौदेबाजी की वजह से महागठबन्धन बहुत कमजोर गठबंधन बनकर रह गया है ।अभी हम जीत और हार को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहते हैं ।लेकिन अभीतक जो तस्वीर हमें दिख रही है,उसके मुताबिक बिहार में एनडीए काफी मजबूत दिख रहा है ।आखिर में चलते-चलते हम यह जरूर कहेंगे कि हमने 33 वर्षों के अपने पत्रकारिता जीवन में ऐसा गठबंधन और महागठबन्धन कभी नहीं देखा था। इतने द्वंद, इतने रार और इतने घाघमेल से हमें कभी भी दो-चार होने का मौका नहीं मिला था ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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