आर्थिक पैकेज को लेकर बहुत आशांवित है बिहार का उद्योग जगत, क्यों, जानिए?
सिटी पोस्ट लाइव : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को जब 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज (Economic package) की घोषणा की है.उन्होंने एक नारा भी दिया- ‘लोकल के लिए वोकल’ बनिए. बिहार के संदर्भ में इस पॅकेज को देखा जाए तो ये राज्य के लिए बड़ा बूस्टअप साबित हो सकता है. दरअसल राज्य में कार्यरत दो लाख से अधिक एमएसएमई (MSME) संस्थाओं एवं कर्मियों को आसानी से लोन मिलने का रास्ता साफ हुआ है. इसके साथ ही नए एमएसएमई खोलने के सपने भी साकार होने के रास्ते खुलेंगे.
आज भी वित्त मंत्री की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है कि गरीबों, मजदूरों और किसानों के साथ ही असंगठित क्षेत्र के लिए क्या घोषणाएं हो सकती हैं. वहीं स्ट्रीट वेंडरों के लिए भी आर्थिक राहत का पिटारा खुलने की उम्मीद लगाई जा रही है.इससे पहले बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की एमएसएमई के लिए घोषित पैकेज का अर्थ यही निकाला जा रहा है कि अब राज्य में नए उद्योग लगेंगे. पुराने उद्योगों को आसानी से ऋण मिलेगा और मशीनरी को अपडेट कर सकेंगे. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि एमएसएमई अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि क्षेत्र के बाद इसमें सबसे अधिक रोजगार के अवसर हैं इसमें और संभावनाएं खुलेंगे.
हालांकि गरीबों, मजदूरों और किसानों के साथ ही असंगठित क्षेत्र के लिए भी घोषणाओं का इंतजार किया जा रहा है. बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने कहा कि पीएम ने लोकल के लिए वह कल बनने की बात कहकर दूरदर्शिता का परिचय दिया है. इससे देश के साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.पीके अग्रवाल ने कहा कि राज्य में मानव संसाधन की सहज उपलब्धता और है कृषि उत्पादन की चीजों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है. मक्का के उत्पादन में बिहार देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. मक्के को प्रोसेस करके आरारोट, कॉर्न फ्लेक्स, पॉपकॉर्न, मुट्ठी, कुरकुरे, पापड़ी, नमकीन, दलिया जैसी चीजें लोकल स्तर पर बनाए जा सकते हैं.
राज्य में कृषि आधारित उद्योगों की काफी संभावनाएं हैं यहां मखाना, लीची, मक्का, टमाटर आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष केपीएस केसरी ने कहा कि पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा पर अगर अमल हो जाए ये बिहार के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है.लेकिन सबके जेहन में ये सवाल है-बैंक कितना सहयोगात्मक रवैया अपनाएगें.
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