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बंदी के कगार पर रीगा चीनी मिल, प्रबंधन ने खड़े कर दिए हाथ.

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सिटी पोस्ट लाइव : सीतामढ़ी का रीगा चीनी मिल पिछले 7-8 वर्षों से बेहद घाटे में चल रहा है. वे राज्य और केन्द्र सरकार से पत्राचार के माध्यम से लगातार मदद मांग रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नही. अब हालात ये हैं कि चीनी मिल को आगे चलाना उनके वश की बात नहीं. चीनी मिल का सरकार के ऊपर 18 करोड़ रुपया भी बकाया है, जिसका भुगतान नहीं हो पा रहा है.चीनी मिल की इस हालत से सीतामढ़ी के गन्ना उत्पादक किसान भी परेशान हैं.  सीतामढ़ी (Sitamarhi) के रीगा चीनी मिल (Riga Sugar Mill) का अस्तित्व खतरे में हैं.मिल  प्रबंधन ने चीनी मिल को अब चलाने को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. चीनी मिल प्रबंधन (Management)के अगर सरकार से मदद नहीं की तो चीनी मिल बंद करना पड़ेगा. रीगा चीनी मिल की इस घोषणा के बाद से सीतामढ़ी के गन्ना (Sugarcane) उत्पादक किसानों (Farmers) की चिंता बढ़ गई है.इस चीनी मिल में काम करने वाले तकरीबन 600 कर्मियों के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

सीतामढ़ी का रीगा चीनी मिल पिछले लंबे अरसे से बदहाली से गुजर रहा है. चीनी मिल पर किसानों का तकरीबन 100 करोड़ रुपया बकाया है. आर्थिक बदहाली के कारण चीनी मिल प्रबंधन ने अपने 600 कर्मियों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखला दिया है. चीनी मिल प्रबंधन का कहना है कि अब आर्थिक हालत ऐसी नहीं कि वे चीनी मिल को आगे चला सकें. सरकारी मदद के लिए चीनी मिल प्रबंधन केन्द्र और राज्य सरकार से लगातार गुहार लगा रहा है, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नही. बताया जाता है कि पूरे बिहार में अस्सी के दशक में कुल चीनी मिलों की संख्या 29 थी, लेकिन आर्थिक विपन्नता की वजह से चीनी मिल की तादाद लगातार घटती हुई अब सिर्फ 11 पर पहुंच गई है. अगर यही हालात रहे तो सीतामढ़ी का रीगा चीनी मिल में भी ताला लग सकता है.

सीतामढ़ी के रीगा चीनी मिल में काम करने वाले तकरीबन 600 कर्मियों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट है. इन कर्मियों को इन दिनों काम से बेदखल करके रखा गया है. सीतामढ़ी जिले के कई किसान संगठन भी चीनी मिल पर किसानों के बकाये के भुगतान को लेकर इन दिनों आंदोलन कर रहे हैं. सीतामढ़ी के रीगा के विधायक अमित कुमार टुन्ना का कहना है कि चीनी मिल बदहाल हालत में है. इसको सरकार की मदद की जरूरत है. ईख उत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेन्द्र सिंह का कहना है कि अगर चीनी मिल बंद हो जाती है तो यहां के किसानों में हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.

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