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सारी दुनिया के साथ भारत की अर्थव्यवस्था भी मुश्किल दौर में

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सारी दुनिया के साथ भारत की अर्थव्यवस्था भी मुश्किल दौर में

सिटी पोस्ट लाइव : एक दशक पहले आए वित्तीय संकट के बाद पहली बार सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था इतनी सुस्त दिखाई दे रही है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) का अनुमान है कि इस साल सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था में कुल मिलाकर मात्र 3 प्रतिशत का विकास होगा.वहीं भारत में इस साल विकास दर घटकर 6.1 प्रतिशत रह जाएगी.आईएमएफ़ ने इससे पहले इसी साल अप्रैल में भारत की विकास दर के 7.3 फीसदी रहने की बात की थी.फिर जुलाई में संस्था ने भारत के लिए अपने अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था.

आईएमएफ़ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की अपनी ताज़ा रिपोर्ट में मुद्रा कोष में 2020-21 में सुधार की उम्मीद भी जताई है.आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि “2020 में देश की आर्थिक वृद्धि दर कुछ बढ़कर सात प्रतिशत तक होने की उम्मीद की जा रही है.आईएमएफ़ के अनुसार कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमज़ोरी और उपभोक्ता और छोटे और मध्यम दर्जे के व्यवसायों की ऋण लेने की क्षमता पर पड़े नकारात्मक असर के कारण भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान में कमी आई है.उनका कहना था कि भारत सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए काम कर रही है, लेकिन भारत को अपने राजकोषीय घाटे पर लगाम लगानी होगी.आईएमएफ़ के मुताबिक़ लगातार घटती विकास दर का कारण घरेलू मांग का उम्मीद से ज्यादा कमज़ोर रहना है.

आईएमएफ़ ने चीन के लिए इस साल के लिए आर्थिक वृद्धि दर 6.1 फीसदी और 2020 में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.आईएमएफ़ के अनुसार वैश्विक विकास दर इस साल मात्र 3 प्रतिशत ही होगी लेकिन इसके 2020 में 3.4 तक रहने की उम्मीद है.आईएमएफ़ ने यह भी कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में है और हम 2019 के विकास दर को एक बार फिर से घटाकर 3 प्रतिशत पर ले जा रहे हैं जो कि दशक भर पहले आए संकट के बाद से अब तक के सबसे कम है.ये जुलाई के वैश्विक विकास दर के उसके अनुमान से भी कम है. जुलाई में यह 3.2 फीसद बताई गई थी.

आईएमएफ़ के अनुसार आर्थिक वृद्धि दरों में आई कमी के पीछे विनिर्माण क्षेत्र और वैश्विक व्यापार में गिरावट, आयात करों में बढ़ोतरी और उत्पादन की मांग बड़े कारण हैं. इस समस्या से निपटने के लिए नीति निर्माताओं को व्यापार में रूकावटें खत्म करनी होंगी, समझौतों पर फिर से काम शुरू करना होगा और साथ ही देशों के बीच तनाव कम करने के साथ-साथ घरेलू नीतियों में अनिश्चितता ख़त्म करनी होगी.

आईएमएफ़ का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारण इस साल दुनिया के 90 प्रतिशत देशों में वृद्धि दर कम ही रहेगी.आईएमएफ़ ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2020 में तेजी से 3.4 फीसद तक जा सकती है.

हालांकि इसके लिए उसने कई ख़तरों की चेतावनी भी दी है क्योंकि यह वृद्धि भारत में आर्थिक सुधार पर निर्भर होने के साथ-साथ वर्तमान में गंभीर संकट से जूझ रही अर्जेंटीना, तुर्की और ईरान की अर्थव्यवस्था पर भी निर्भर करती है.इस समय पर कोई भी गलत नीति जैसे कि नो-डील ब्रेक्सिट या व्यापार विवादों को और गहरा करना, विकास और रोज़गार सृजन के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है. आईएमएफ के अनुसार कई मामलों में सबसे बड़ी प्राथमिकता अनिश्चितता या विकास के लिए ख़तरों को दूर करना है.

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