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लॉकडाउन-2 : दोहरी मार झेल रहा दुनिया को मिठास देने वाला शहद उद्योग

लॉक डाउन ने मीठी शहद को किया फीकी

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लॉकडाउन-2 : दोहरी मार झेल रहा दुनिया को मिठास देने वाला शहद उद्योग

सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस की महामारी ने जहां देश भर में लॉक डाउन के पालन के साथ कृषि आधारित कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है वही अब करोड़ो रूपये की आमदनी देने वाला और लाखों लोगों की आजीविका का माध्यम बन चुका हॉटीकल्चर का एक बड़ा उद्योग मधुमक्खी पालन करने वाले की भी अब परेशानी और भी बढ़ गई है। यूं तो सब्जी के उत्पादकों के साथ ही लीची आम के किसानों की भी परेशानी कोरोना ने बढ़ा दी है, वहीं अब 50 हज़ार की संख्या में मधुमक्खी पालन करने वाले किसान भी परेशान  हैं।

पहले से बिचौलियों और सूदखोर की मार झेल चुके ये किसान अब कोरोना के साथ बेमौसम बारिश ने चिंता को और भी बढ़ा दिया है. मुज़फ़्फ़रपुर मधुमक्खी पालन के द्वारा देश ही नही बल्कि दुनियाभर में इसकी मिठास और शहद के लिए बेहद ही लोकप्रिय है तो अब इस बार कोरोना ने मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों की चिंता को और भी बढ़ा दिया है. जिसको लेकर किसान सकते में है और अब भी सरकार से सुविधाओं के साथ ही कई जरूरी मदद की आस को लगाए बैठे हुए हैं।

अगर समस्या की बात करे तो इस कोरोना महामारी और मौसम का  हर क्षण बदलता मिजाज किसानों पर संकट के बादल को ला दिया है। आलम यह है कि अब मधुमक्खी पालन करने वाले कई किसान मधुमक्खी शहद की यह मिठास देने वाली मधुमक्खी को जिंदा रख पाने में भी सक्षम नहीं हैं, क्योंकि मधुमक्खी को दिए जाने वाले भोजन की सप्लाई में भी कमी आयी है साथ ही मधुमक्खी के पालन के लिए इस्तेमाल होने वाली पोलैंड की भी कमी है, जिसने इन मधुमक्खी पलको की चिंता को और भी बढ़ा दिया है।

वर्ष के कुछ महीने ही पालन किया जाने वाला यह उद्योग अब घाटे के कगार पर भी पहुंच गया है जिसको लेकर अब इन मधुमखी पालक ने चिंता जताई है। ऊपर से सबसे बड़ी समस्याओं की बात करे तो मधुमक्खी से शहद को निकाले जाने के लिए दूसरी जगहों पर भेजे जाने के खासकर दूसरे राज्यों झारखंड बंगाल उत्तर प्रदेश और बिहार जिलो में कोरोना को लेकर सप्लाई में कठिनाई हो रही है। कोरोना ने न सिर्फ इनकी आजीविका को बहुत प्रभावित किया है बल्कि सरकार की ओर से मधुमक्खी के पालन करने वाले को लेकर कोई भी गंभीरता को दिखाने का कार्य नहीं किया जा रहा है।

वहीं बेमौसम बारिश ने भी चिंता को बढ़ाने का कार्य किया है, साथ ही इस लॉकडाउन में न तो कोई व्यापारी पहुंच रहा है. जिसकी आस लागए किसान टकटकी के आस पर आज भी बैठे है. कि कब सरकारी मदद मिलेगी और कब ये कोरोना जाएगा और हालात यह है कि अगर स्थिति यही रही तो लोगो के लिए मिठास देने वाली यह उद्योग सपने जैसा होता हुआ दिखेगा।

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