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कॉरपोरेट टैक्स में रियायत का बड़ा ऐलान, शेयर बाज़ार में उछाल

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कॉरपोरेट टैक्स में रियायत का बड़ा ऐलान, शेयर बाज़ार में उछाल

सिटीपोस्ट लाइव : केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों, नयी स्थानीय विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट टैक्स को कम करते हुए इसे 25.17 फ़ीसदी कर दिए जाने का एलान किया है. कॉरपोरेट कंपनियों को टैक्स में छूट देने की घोषणा के बाद से शेयर बाज़ार में रिकॉर्ड तेज़ी देखी जा रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यदि कोई घरेलू कंपनी किसी प्रोत्साहन का लाभ नहीं ले तो उसके पास 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प होगा. जो कंपनियां 22 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान करने का विकल्प चुन रही हैं, उन्हें न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान करने की ज़रूरत नहीं होगी.

वित्त मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए इनकम टैक्स के नए नियमों में इसे शामिल किया गया है.सीतारमण ने कहा कि बाज़ार में मुद्रा-प्रवाह को बनाए रखने के लिए यह क़दम उठाया गया है.सरचार्ज के साथ टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फ़ीसदी होगी. इनकम टैक्स एक्ट में नया प्रावधान जोड़ा गया है. ये प्रावधान वित्त वर्ष 2019-20 से लागू होगा.

गौरतलब है कि भारत, दुनिया में सबसे ज़्यादा दर से कॉरपोरेट टैक्स देने वाले देशों में से एक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती को ऐतिहासिक क़दम बताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “ये मेक इन इंडिया के लिए बड़ा प्रोत्साहन देगा, पूरी दुनिया से निजी निवेश को आकर्षित करेगा, हमारे निजी क्षेत्र की प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाएगा, अधिक नौकरियां पैदा करेगा और ये 130 भारतीयों के लिए जीत है.”

 दूसरी तरफ राहुल गांधी ने ट्वीट कर हमला बोला है- “ताज्जुब है कि शेयर बाज़ार में उथल पुथल के लिए अपने ‘हाउडीइंडियनइकोनॉमी’ जमावड़े के दौरान प्रधानमंत्री क्या करने जा रहे हैं. 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च वाला ह्यूस्टन का कार्यक्रम दुनिया का अबतक का सबसे महंगा कार्यक्रम है. लेकिन कोई भी समारोह अर्थव्यवस्था में उस गड़बड़ी को छिपा नहीं सकता जो ‘हाउडी मोदी’ ने भारत में पैदा किया है.”

गौरतलब है कि भारत में घरेलू कंपनियों पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है जबकि विदेशी कंपनियों पर यही टैक्स चालीस फ़ीसदी हो जाता है. इसके साथ ही उन्हें पूरे टैक्स पर चार प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा का सरचार्ज देना होता है. इसके साथ ही अगर उनकी टैक्स की राशि सौ मिलियन से ज़्यादा हो जाती है तो घरेलू कंपनियों को 12 फ़ीसदी सरचार्ज और विदेशी कंपनियों को पांच प्रतिशत सरचार्ज देना होता है.

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