कुलभूषण जाधव केस पर अंतराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में?
सिटी पोस्ट लाइव : बुधवार को नीदरलैंड्स की हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव केस में अपना अहम् फैसला सुना दिया. इस फैसले के अनुसार जाधव को तुरंत कांसुलर ऐक्सेस प्रदान करने का निर्देश पाकिस्तान सरकार को दिया गया है. लेकिन फैसले को दोनों देश अपनी अपनी जीत बता रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल-आखिर अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला किसके पक्ष में और किसके विरोध में है. एक फैसला दोनों पक्षों के लिए अनुकूल कैसे हो सकता है.
अब पाकिस्तान ने पाकिस्तानी जेल में क़ैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को कांसुलर ऐक्सेस प्रदान करने की घोषणा की है.पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ये बात एक प्रेस रिलीज़ जारी करके कही. इसके तहत कुलभूषण जाधव को कांसुलर ऐक्सेस प्रदान करने के लिए तौर तरीकों पर काम किया जा रहा है.पाकिस्तान ने कहा है कि जाधव को उसके अधिकारों के बारे में जानकारी दे दी गयी है.
कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फ़ैसले को भारत और पाकिस्तान दोनों अपनी जीत कह रहे हैं. दोनों देशों की मीडिया अपने अपने हिसाब से फैसले की समीक्षा कर रही है. दोनों देश अंतराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले पर अपनी-अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं.
कुलभूषण सुधीर जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में गिरफ़्तार किया गया था और इस मामले ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया था.पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 2017 में जाधव को जासूसी के इलज़ाम में फ़ांसी की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद भारत ने इसके ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था.
पाकिस्तान ने इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाया था. अदालत ने इस एतराज़ को रद्द कर दिया था. ये भारत के हक़ में आया पहला फ़ैसला था. अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा, “1963 के वियना कन्वेंशन के अनुसार दो देशों के बीच आईसीजे विवादों का अनिवार्य निपटान कर सकती है.”इस मामले में अधिकतर फ़ैसलों में 15 जजों ने भारत का साथ दिया. लेकिन पाकिस्तानी जज जिलानी ने हर फ़ैसले का विरोध किया.
भारत का आरोप था कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत का जाधव के ख़िलाफ़ फ़ैसला वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है.अदालत ने भारत के इस तर्क को सही माना. अदालत ने ये भी माना है कि कुलभूषण जाधव को इतने दिनों तक क़ानूनी सहायता नहीं देकर पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है.अंतरराष्ट्रीय अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि पाकिस्तान ने जाधव तक कांसुलर ऐक्सेस से इनकार करके और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी नहीं देकर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.अदालत ने कहा कि 1963 में आयोजित वियना कन्वेंशन के अंतर्गत किसी विदेशी को गिरफ़्तार करने के बाद उसके दूतावास के अधिकारियों को उस तक ऐक्सेस देना ज़रूरी है. इस कन्वेंशन पर भारत और पाकिस्तान दोनों हस्ताक्षर कर चुके हैं.भारत इसे अपनी जीत मान रहा है.
भारत की अपील थी कि पाकिस्तान अपनी सैन्य अदालत के फ़ैसले को रद्द करने के लिए कदम उठाये.अदालत ने भारत की इस अपील को अनसुना कर दिया. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फ़ांसी पर रोक जारी करते हुए पाकिस्तान को इस पर फिर से विचार करने को ज़रूर कहा है. साथ ही ये भी साफ़ कर दिया है कि पाकिस्तान किस तरह से इस पर पुनः विचार करे, ये फ़ैसला उसे खुद करना है.गौरतलब है कि भारत का अनुरोध था कि पाकिस्तान जाधव को रिहा करे और उसे सुरक्षित रूप से भारत वापस भेजे.अदालत ने इस अनुरोध को भी नहीं माना. पाकिस्तानी मीडिया इसी फ़ैसले का हवाला देकर पाकिस्तान की जीत की बात कर रही है.
भारत का अनुरोध था कि पाकिस्तान से कहा जाए कि अपनी आम अदालत में जाधव पर फिर से मुक़दमा चलाये.लेकिन अतंरराष्ट्रीय अदालत ने भारत की इस अपील को अपने फ़ैसले में शामिल ही नहीं किया.पाकिस्तान इसे अपनी जीत मन रहा है.
दोनों देशों के द्वारा अन्तराष्ट्रीय अदालत के फैसले पर जीत का जश्न मनाये जाने का मतलब ये है कि भारत को जाधव की फांसी को टलवाने में सफलता मिल गई है और पाकिस्तान को एकबार फिर से जाधव के बारे में फैसला लेने का अधिकार . अब सवाल ये पैदा होता है कि फ़ैसला तो आ गया.लेकिन जाधव भारत अभीतक नहीं आ सके हैं. फैसला तो मिल गया लेकिन भारत को अभीतक कुलभूषण जाधव नहीं मिले हैं. जाधव भारत कब और कैसे लौटेंगे इस पर नए सिरे से विचार हो सकता है लेकिन हक़ीकत ये है कि ये फ़ैसला पाकिस्तान का ही होगा न कि भारत का. .
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