City Post Live
NEWS 24x7

“विशेष” : राजद की वजह से महागठबंधन बना बीजेपी की “बी” पार्टी

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

“विशेष” : राजद की वजह से महागठबंधन बना बीजेपी की “बी” पार्टी

सिटी पोस्ट लाइव  : एनडीए ने बिहार के 40 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। एनडीए में बीजेपी के साथ जदयू और लोजपा शामिल है। 17-17 सीटों पर बीजेपी और जदयू चुनाव लड़ रही है जबकि 6 सीटें लोजपा के खाते में आई हैं। एनडीए ने काफी सोच-समझकर अपने-अपने प्रत्यासी उतारे हैं। लेकिन कुछ सीटों पर नासमझी भी की है। भागलपुर से बीजेपी के द्वारा शाहनवाज हुसैन को टिकट नहीं दिया जाना मुस्लिम भाजपाईयों के साथ-साथ अन्य भाजपाईयों को बेहद अखड़ और खटक रहा है।सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सभी दलों ने टिकट की बिक्री ऊंची कीमत पर की है। जहाँ तक महागठबन्धन का सवाल है तो, तेजस्वी यादव किंग मेकर की भूमिका में हैं। राजद ने अपने खाते में 20 सीटें लीं है और कांग्रेस को सिर्फ 9 सीट देकर निपटा लिया है। आजादी से पूर्व की पार्टी और देश में सबसे अधिक दिनों तक शासन में रही कांग्रेस की बिहार में चुनाव से पहले ही भद पिट गयी है।

कांग्रेस आलाकमान की जगह राजद आलाकमान के तेवर ने अपना असली रंग दिखाया है। राजद ने महागठबन्धन के अन्य साथी रालोसपा को 5,हम को 3, भीआईपी को 3 सीटें दी हैं। वाम मोर्चा को 1 भी सीट नहीं दी है ।तानाशाही और मोनोपोली की हद देखिए कि लोजद के जन्मदाता शरद यादव को भी सीट नहीं दी गयी है। वे राजद के सिंम्बल लालटेन से चुनाव लड़ेंगे। माले को एक सीट पर राजद ने लड़ने को कहा है, वह भी लालटेन के सिंम्बल पर। शरद यादव देश के सबसे पुराने सांसद हैं और उनकी राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पहचान है। लेकिन उनकी पार्टी को चुनाव बाद राजद में विलय करने का फरमान जारी किया गया है। लोजद का अपना चुनाव चिन्ह तुरहा बजाता आदमी है। अब माले भी धर्मसंकट में है की वह करे तो क्या करे ?तेजस्वी यादव ने भारत तेरे टुकड़े होंगे के नायक कन्हैया कुमार को महागठबन्धन से बिल्कुल दूर रखा है। कांग्रेस 11 सीट पर अड़ी थी लेकिन तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को उसकी औकात में लाकर ठंढा कर दिया है।

राजनीतिक और बेहद भीतरी सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक तेजस्वी यादव के बीच बड़ी डील हुई है। इस डील में करोड़ों के खेल के साथ-साथ लालू की जेल से रिहाई का रास्ता साफ करने का बीजेपी ने वचन दिया है। सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव ने बिहार में महागठबन्धन को बीजेपी की “बी” टीम बना डाली है। जानकारी के मुताबिक बीजेपी के इशारे पर ही शिवहर से लवली आनंद को टिकट देने में कांग्रेस असमर्थ साबित हो गयी। लवली आनंद शिवहर सीट से चुनाव लड़ने की शर्त पर ही कांग्रेस में शामिल हुई थी ।लेकिन अब लवली आनंद खुद को ठगा महसूस रही हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को शिवहर से टिकट नहीं मिलने पर उनके समर्थक अगिया-बेताल हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन का सामाजिक संगठन फ्रेंड्स ऑफ आनंद ने आज पुर्णिया में आहूत राहुल गांधी की रैली में भी शिवहर सीट लवली को नहीं दिए जाने के खिलाफ में जमकर प्रदर्शन और नारेबाजी किया।लेकिन बिहार में राहुल बाबा आलाकमान नहीं हैं।

बिहार में महागठबन्धन के तेजस्वी यादव आलाकमान हैं ।अब लवली आनंद शिवहर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना रही हैं।सूत्रों की मानें, तो बीजेपी के इशारे पर तेजस्वी ने आनंद मोहन, अनंत सिंह, पप्पू यादव और अरुण कुमार को हासिये पर लाने का चक्रव्यूह रचा है। देश जानता है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन का बिहार सहित देश भर में अच्छा जनाधार है। पप्पू यादव,अनंत सिंह और अरुण कुमार का भी अपना राजनीतिक वजूद और मजबूत जनाधार है। बीजेपी तेजस्वी के काँधे पर राजनीतिक बंदूक रखकर चला रही है। बीजेपी इन नेताओं के बिहार में वर्चस्व को खत्म करना चाहती है, जिसका लाभ उसे इस लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में भी मिल सके। एक समय कांग्रेस लगभग महागठबन्धन से निकलने का मन बना चुकी थी लेकिन अचानक तेजस्वी के किस मंत्र से वह 9 सीट पर मान गयी, इसपर रहस्य बरकरार है।

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन को शिवहर से अब अपनी पत्नी लवली आनंद को निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ाना चाहिए। उन्हें एनडीए को नैतिक समर्थन कर देना चाहिए। इससे एक अलग राजनीतिक संवाद बिहार सहित देश के भीतर जाएगा। पूर्व सांसद आनंद मोहन लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर के समाजवादी धरा के उपासक हैं लेकिन उन्हें यह जानकारी का अभाव है कि अभी देश की कोई पार्टी समाजवादी सोच का अनुसरण नहीं कर रही है। सभी मौके की नजाकत की राजनीति कर रही हैं। पहले आनंद मोहन को खुद के जेल से निकलने की व्यवस्था करनी चाहिए, फिर अपने विचारों को जिंदा रखने और उसके संवर्धन की कोशिश करनी चाहिए। इधर बिहार की उन सीटों की चर्चा भी बेहद जरूरी है जिसपर देश की निगाह टिकी होंगी।

बिहार का सबसे हॉट सीट मधेपुरा है,जहां से शरद यादव महागठबन्धन से, दिनेश चंद्र यादव जदयू से और पप्पू यादव जाप से चुनावी समर में एक-दूसरे के सामने होंगे ।पटना साहिब से बीजेपी से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और महागठबन्धन से शत्रुघ्न सिन्हा की टक्कर है। बेगूसराय से गिरिराज सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं। बक्सर से अश्वनी चौबे और आरा से आए.के.सिंह बीजेपी के उम्मीदवार हैं। कयास लगाया जा रहा है कि बेगूसराय से कन्हैया कुमार भी खड़े होंगे। जमुई सुरक्षित सीट से लोजपा से चिराग पासवान उम्मीदवार हैं। ये वही चिराग हैं, जो यह कह रहे थे कि जो दलित परिवार आरक्षण से सम्पन्न हो चुके हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहिए। लेकिन कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है ।जनाब आरक्षित सीट से ही उम्मीदवार हैं। हाजीपुर से लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस उम्मीदवार हैं।

पाटलिपुत्रा से बीजेपी से रामकृपाल यादव और राजद से लालू प्रसाद यादव की पुत्री मीसा भारती उम्मीदवार हैं। सुपौल से कांग्रेस की मौजूदा सांसद रंजीता रंजन,फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। सबसे कमाल का काम तो, तेजस्वी यादव ने यह किया है कि नाबालिग से बलात्कार मामले में जेल मरण बन्द राजद विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा से राजद का उम्मीदवार बनाया है। नीतीश कुमार ने बांका से दिवंगत नेता दिग्विजय सिंह की पत्नी बीणा देवी को टिकट नहीं दिया है। बीणा देवी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं ।कमोबेश बिहार का हर सीट अब महत्वपूर्ण दिख रहा है ।मुंगेर से जदयू के ललन सिंह उम्मीदवार हैं। सीट बंटवारे के बाद जो तस्वीर साफ हुई है,उसके मुताबिक बिहार में एनडीए का पलड़ा भारी है। वैसे राजनीति में कुछ भी हो सकता है। अभी चुनावी दौरे और लंबे-लंबे भाषणों का असर और प्रकोप भी देखना बांकि है।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.