मुस्लिम संगठनों ने लोगों से की अपील, शब-ए-बारात को सामाजिक दूरी के साथ मनाएं
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉक डाउन है. बाजार और दुकान पूरी तरह से बंद है. स्कूल और कॉलेज पहले से ही बंद है. मंदिरों मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों पर ताले लटके हुए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सामाजिक दूरी बरकरार रहे और हम कोरोना के जंग को जीत सकें. प्रधानमंत्री भी सामाजिक दूरी की बात कर रहें हैं ताकि कोरोना को हराया जा सके . कुछ दिनों पूर्व चैत्र नवरात्र और रामनवमी का त्योहार भी लोगों ने घरों में ही पूजा अर्चना कर मनाया था. जिस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने मर्यादा का पालन करते हुए वनवास को प्रस्थान किये थे, ठीक इसी प्रकार इसबार लोग कोरोना को हारने के लिए लॉक डाउन की मर्यादा में रहते हुए घरों में ही चैत्र नवरात्र एवं रामनवमी का पर्व मनाया.
9 अप्रैल को मुस्लिम समुदाय में मनाए जाने वाले त्योहार शब- ए-बारात को भी मुस्लिम संगठनो ने भी भी लॉक डाउन और सामाजिक दूरी के मर्यादा में रहकर मानाने की अपील कर रहे हैं. शब- ए-बरात की रोज मस्जिदों और कब्रिस्तानों को सजाया जाता है. मस्जिदों में रात भर इबादत होती है और कब्रिस्तानों पर जाकर फातिहा पढ़ा जाता है साथ ही लोग अपने अपने घरों को भी लाइट एवं मोमतियो से रोशनी करते है। शब- ए-बरात की रात सैकड़ों लोग एक साथ जमा होते हैं.
यदि इस शब- ए-बारात भी ऐसा होता है तो कोरोना वायरस को हराना मुश्किल हो जायेगा. इसी को देखते हुए बिहार राज्य सुन्नी / शिया वक्फ बोर्ड ,पटना ने सभी मुस्लिम समाज के लोगों से अपील की है कि शब- ए-बरात के अवसर पर इबादत और फातिया घरों पर ही पढ़े और मस्जिद और कब्रिस्तान न जाएं ताकि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में हिंदुस्तान की जीत हो और मुल्क में अमन चैन कायम रहे. राज्य सुन्नी / शिया वक्फ बोर्ड अपील की चर्चा हर तरफ हो रही है. इस अपील मद्देनजर मुस्लिम समुदायो के संघटनो ने भी अपने अपने तरीको से लोगो से अपील की है कि शब- ए-बरात को घर मे रह कर इबादत एवं फातिया पढ़े साथ ही शोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखे.
विकाश चन्दन की रिपोर्ट
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