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EXCLUSIVE : मधुबनी नरसंहार का क्या है सच, क्यों तेज हो गई है जातीय राजनीति?

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सिटी पोस्ट लाइव : होली के दिन 29 मार्च को बिहार के मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी थाना के मोहम्मदपुर गांव में एक ही परिवार के पाँच लोगों की हुई निर्मम हत्या का मामला राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है. इस केस के 35 नामज़द अभियुक्तों में से 11 को गिरफ़्तार किया जा चुका है. लेकिन केस का मुख्य नामज़द अभियुक्त अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है. लेकिन यह हत्याकांड की वजह से बिहार की राजनीति में भूचाल आया हुआ है. मंगलवार को पीड़ित परिवार से मिलने पहुँचे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे नरसंहार करार दिया है.. उन्होंने पुलिस और प्रशासन के साथ बीजेपी के स्थानीय विधायक पर भी अभियुक्तों को संरक्षण देने के आरोप लगाए हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हत्याकांड को लेकर कहा है कि घटना की जाँच कराई जा रही है. स्पीडी ट्रायल चलाकर इसकी सुनवाई होगी. उन्होंने दावा किया कि किसी भी दोषी को बख़्शा नहीं जाएगा. मधुबनी पुलिस के मुताबिक़ इस हत्याकांड की वजह आपसी रंजिश है.स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ भी हत्याकांड की वजह दोनों पक्षों के बीच पुरानी रंजिश है. यह रंजिश एक मठ (मंदिर) की ज़मीन को लेकर है. इस पर मठ के महंत का क़ब्ज़ा था.पुलिस के अनुसार पिछले साल नवंबर में भी मठ की ज़मीन पर बने पोखरे से मछली पकड़ने को लेकर दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. वह मामला बेनीपट्टी थाने में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज़ है. उस मामले के एक अभियुक्त अभी भी जेल में बंद हैं.

मधुबनी के एसपी डॉ सत्य प्रकाश का कहना है कि अभी तक की जाँच में पता चला है कि यह हत्याकांड पोखर से मछली पकड़ने को लेकर हुई मारपीट का नतीजा है. घटनास्थल से कुल पाँच बाइक, गोली के आठ खोखे, एक मोबाइल, ख़ून लगे लोहे के दो रॉड और ख़ून लगी मिट्टी बरामद की गई है. फोरेंसिक जाँच से सब कुछ साफ़ हो जाएगा. इस हत्याकांड को लेकर सीपीआई (एमएल) ने जो जाँच रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक़ हत्या की वजह पुरानी रंजिश तो है ही, इसका तात्कालिक कारण गुटखा ख़रीदने को लेकर हुआ विवाद भी था.

सीपीआई (एमएल) के राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल कहते हैं, “हमने अपनी जाँच में पाया है कि अभियुक्त पक्ष के लोगों ने महंत के बेटे की गुमटी से गुटखा ख़रीदा, लेकिन पैसे देने से इंकार कर दिया. इस बात पर लड़ाई हुई. इसके थोड़ी देर बाद अभियुक्तों की ओर से दो दर्जन से अधिक हथियारबंद अपराधियों ने महंत के परिजनों पर हमला कर दिया.”

मधुबनी हत्याकांड के पीडितों के परिवार की तस्वीरें और वीडियो इस वक़्त सोशल मीडिया पर वायरल हैं. उनमें तीन सहोदर भाइयों समेत परिवार के पाँच सदस्यों की हत्या से समूचा परिवार ग़मगीन है. पीडितों के परिवार के सुरेंद सिंह के अनुसार उनके तीन बेटों को गोलियों से भून दिया गया. एक बेटा ज़िंदा इसलिए बच गया क्योंकि वह जेल में है. उनका कहना है कि अगर वो भी वहां रहता तो उनकी हत्या हो जाती. मठ की ज़मीन और पोखरे से मछली मारने के विवाद पर सुरेंद्र सिंह कहते हैं, “मठ के लिए वह ज़मीन हमारे पुरखों ने ही दी थी. हमारे परिवार के लोग ही हमेशा से मठ के महंत रहे हैं. पिछले साल जब उन लोगों (अभियुक्तों) ने पोखरे से जबरन मछली पकड़नी चाही तो हमने उन्हें रोका. उन्होंने मेरे ही बड़े बेटे के पैर काट दिए और उल्टा उसी के ख़िलाफ़ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज कराकर उसे जेल भिजवा दिया.”

पीडितों के परिजनों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन अभियुक्तों को हमेशा से संरक्षण देता आया है क्योंकि उनकी राजनीतिक पैठ बहुत ज़्यादा है.सुरेंद्र सिंह कहते हैं, “आप ही सोचिए न कि मेरे ही बेटे का पैर कटा और उसे ही जेल में डाल दिया गया! इस बार घटना के बाद दर्जनों बार पुलिस को कॉल किया गया लेकिन पुलिस चार घंटे बाद आई और तब तक सारे अभियुक्त भाग चुके थे. अब पुलिस कह रही है कि मुख्य अभियुक्त फ़रार है लेकिन हमारी जानकारी में वह खुलेआम घूम रहा है.”

वैसे तो इस हत्याकांड में 35 अभियुक्तों के नाम पुलिस की केस डायरी में दर्ज हैं, लेकिन इनमें सबसे ख़ास नाम प्रवीण झा और नवीन झा हैं. इन दोनों को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है.प्रवीण झा बजरंग दल के ज़िलाध्यक्ष हैं और ‘रावण सेना’ नाम से एक स्थानीय संगठन भी चलाते हैं. यह संगठन कथित रूप से ब्राह्मणों के हित की बात करता है. वे राजनीतिक रूप से काफ़ी सक्रिय हैं.

बहरहाल, दोनों मुख्य अभियुक्त फ़रार हैं. मधुबनी के पुलिस कप्तान डॉ सत्य प्रकाश ने बताया कि रविवार और सोमवार को मुख्य अभियुक्तों की कुर्की ज़ब्ती की जा चुकी है. वहीं इस हत्याकांड के अन्य अभियुक्तों मुकेश साफ़ी, चंदन झा, अंकित झा, विनीत झा, भोला सिंह, मुन्ना सिंह, कौशिक सिंह और शिवेश्वर भारती उर्फ़ फूलबाबू के घर की कुर्की ज़ब्ती की कार्रवाई की जा रही है.

मधुबनी हत्याकांड में सबसे अधिक चर्चा पीड़ितों और अभियुक्तों की जाति को लेकर हो रही है. कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों की लड़ाई जातिगत वर्चस्व की लड़ाई भी थी.पीड़ितों का परिवार राजपूत जाति का है जबकि ज्यादातर अभियुक्त ब्राह्मण जाति के हैं.स्थानीय पत्रकार विजय कहते हैं, “पीड़ितों के घर संवेदना प्रकट करने प्रदेश भर के राजपूत नेता जुट रहे हैं. चाहे वे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के. स्थानीय स्तर पर इसे ब्राह्मणों और राजपूतों की लड़ाई बताया जा रहा है. दोनों पक्षों के बीच मठ का महंत बनने को लेकर कई पीढ़ियों से लड़ाई हो रही है.”

मधुबनी हत्याकांड के बाद अखिल भारतीय करणी सेना भी काफ़ी सक्रिय है. करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने इस मामले पर एक वीडियो संदेश जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि यदि सात दिनों के भीतर अभियुक्तों की गिरफ़्तारी नहीं हुई तो उनका संगठन इसे लेकर बड़ा आंदोलन करेगा. करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने बीबीसी से कहा, “नीतीश राज में राजपूतों के ख़िलाफ़ अत्याचार की अब इंतेहा हो गई है. पहले हमें प्रदेश की राजनीति से हटाने की कोशिश की गई और अब हमारे समाज के लोगों को सरेआम मारा जा रहा है. यह सब सरकार के संरक्षण में हो रहा है.”

हत्याकांड के मुख्य अभियुक्तों के संबंध भाजपा के स्थानीय विधायक से होने के आरोपों पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मंगलवार को सफ़ाई दी. संजय जायसवाल ने कहा, “पीड़ितों के पास सबसे पहले हमारे मंत्री नीरज सिंह बबलू पहुंचे थे. सबसे पहले हमारी ओर से कार्रवाई की माँग की गई. हमारे नेताओं ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात की है. ऐसे में किसी को बचाने का सवाल ही कहां है? जो ऐसी बात कह रहे हैं वे राजनीति कर रहे हैं.”

हत्याकांड की जाँच में पुलिस की लापरवाही और अभियुक्तों को संरक्षण देने के आरोपों पर मधुबनी एसपी डॉ सत्य प्रकाश कहते हैं, “लापरवाही के आरोप में बेनीपट्टी के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. हमने घटना की रात ही एसआईटी का गठन कर जाँच शुरू कर दी थी. उसी रात आठ अभियुक्तों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया था. अब यह मामला इतना बड़ा बन चुका है कि किसी को संरक्षण देने का कोई सवाल ही नहीं रह जाता.”

पुलिस भले ही मामले में जाति को कोई मसला नहीं बता रही है, मगर इस हत्याकांड में राजनीति इस क़दर हावी है कि अभियुक्तों के ख़िलाफ़ जल्द से जल्द कार्रवाई की माँग जदयू के ही राजपूत नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कर रहे हैं.मंगलवार को जदयू नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग जाकर मुख्यमंत्री से मिला. इसमें राज्य के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह, पूर्व विधायक मंजीत सिंह, राणा रणधीर सिंह, शैलेंद्र प्रताप सिंह, ललन सिंह, विजय सिंह और जदयू प्रवक्ता डॉ सुनील सिंह शामिल थे. उनकी मुलाक़ात के बाद मुख्यमंत्री ने डीजीपी से बात की और पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए.अब देखना है कि आने वाले वक़्त में इस मामले में पुलिस क्या और कितनी जल्दी कार्रवाई कर पाती है और राजनीति के मैदान में इस मामले की गूंज कहां तक पहुँच पाती है.

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