सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर बालिका गृह महा-रेपकांड के अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर और पटना आसरा होम स्कैंडल की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल की मदद करनेवाले समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर पद पर तैनात एक आइएएस सुनील कुमार और एक आईआरएस अधिकारी इमामुद्दीन से सीबीआई पूछताछ कर सकती है. सुनील कुमार अब सेवानिवृत हो चुके हैं और इमामुद्दीन वापस दिल्ली जा चुके हैं. ईन दोनों अधिकारियों पर समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए ब्रजेश ठाकुर और मनीषा जैसे लोगों पर विशेषरूप से मेहरबान रहने का आरोप है.
सूत्रों के अनुसार सीबीआई अधिकारी अब हुस्न की मलिका पटना के पेज-3 पार्टियों की सबसे हॉट वीमेन मनीषा दयाल के साथ IAS सुनील कुमार और ईमामुद्दीन के संबंधों को खंगालने में जुटी है. सूत्रों के अनुसार अपने भाई मनीष दयाल के सिफारिश पर सुनील कुमार की मदद से ही मनीषा दयाल को बिहार के समाज कल्याण विभाग में एंट्री मिली थी. तब सुनील कुमार समाज कल्याण विभाग में डायरेक्टर पद पर तैनात थे. बिहार सरकार की विभिन्न जांच एजेंसियों ने भी इस दिशा में अब तफ्तीश शुरू कर दी है. सुनील कुमार समाज कल्याण विभाग से ही 31 मई 2018 को रिटायर हुए हैं . मनीषा दयाल के कॉन्टेक्ट्स की पड़ताल कर रही टीम का मानना है कि सुनील कुमार ने समाज कल्याण विभाग में बहुत गड़बड़झाला किया है . सुनील कुमार की गिनती बिहार के कई बड़े घोटालों में शामिल रहने के आरोपी IAS एस एम राजू के खासमखास में की जाती है. राजू अभी भी निलंबित हैं और पटना हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत पर जेल से बाहर हैं.पुलिस रिमांड की अवधि के दौरान हुई पूछताछ में मनीषा दयाल सुनील कुमार से विशेष मदद मिलने की बात कबूल कर ली है. जांच एजेंसियां अब सुनील कुमार की खोज में जुटी हैं.
मनीषा दयाल सुनील कुमार और एसएम राजू से अपने गया में रहनेवाले भाई मनीष दयाल के जरिये जुडी थी. तब सुनील कुमार गया में डीआरडीए के डायरेक्टर पद पर पोस्टेड थे और राजू कमिश्नर के पद पर. सुनील कुमार जब जिलाधिकारी बनकर लखीसराय में तैनात किए गए, तब उन्होंने मनीषा के भाई मनीष दयाल को प्लान्टेशन के नाम पर बहुत फायदा पहुँचाया था. इस मामले में उनके खिलाफ पुलिस थाने में मुकदमा भी दर्ज किया गया था. लखीसराय से सुनील कुमार पटना में समाज कल्याण विभाग के मुख्यालय में डायरेक्टर पद पर आ गए थे. उनके आने के बाद ही मनीषा दयाल ने पटना आसरा होम का का ठेका हासिल किया. मनीषा दयाल को 72 लाख का ठेका मिला था .लेकिन अभीतक उसे केवल 17 लाख का ही भुगतान हुआ था. इस बीच उसके आसरा होम के दो महिलाओं की मौत के बाद मामला उजागर हो गया.
दिल्ली से पांच साल के डिपूटेशन पर बिहार आये आईआरएस अधिकारी इमामुद्दीन पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं. सूत्रों के अनुसार जबतक वो समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर के पद पर तैनात रहे, एनजीओ को काम देने के एवज में खुल्लेयाम उनसे 30 फीसदी कमीशन की मांग की जाती थी. कई रिपुटेड एनजीओ ने इसी वजह से काम लेने से इंकार कर दिया था. उनके इंकार कर देने के बाद मनीषा और ब्रजेश ठाकुर जैसे लोगों को कमीशन देकर सारे कॉन्ट्रैक्ट्स झटक लेने का मुका मिल गया. एक एनजीओ के संचालक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि ईमामुद्दीन के कार्यकाल में किसी को भी बिना कमीशन के कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया गया. एक एनजीओ चलानेवाली मीनाक्षी स्वराज जिन्हें केके पाठक ने जेल भेंज दिया था का आरोप है कि समाज कल्याण विभाग में खुल्लेयाम कमीशन की मांग की जाती थी. उन्होंने कहा कि जब उन्हें ये सूचना मिली कि कॉन्ट्रैक्ट मंजू वर्मा के पति फाइनल करते हैं, तो वह मंजू वर्मा से भी मिली थीं. उनका कहना है कि उनकी शिकायत पर कारवाई करने की बजाय मंजू वर्मा उनके ऊपर ही भड़क गई थीं.
Comments are closed.