ताबड़तोड़ गोलीबारी का नंगा सच, स्कूल संचालन के नाम पर चल रहा था ठगी का कारोबार
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : बीते 12 जनवरी के दोपहर बाद दिन के उजाले में सहरसा जिला मुख्यालय के शिवपुरी मुहल्ले स्थित केरला बोर्डिंग स्कूल में ताबड़तोड़ हुई गोलीबारी मामले के पीछे बड़े राज छुपे हुए हैं। हांलांकि राज कितने भी बड़े हों लेकिन गोलीबाड़ी की घटना बेहद गम्भीर और संगीन अपराध है। मिली जानकारी के मुताबिक स्कूल संचालिका रिया कुमारी और उनके पति मुकेश कुमार इस स्कूल की शुरुआत से पहले सहरसा जिला मुख्यालय के ही डुमरैल इलाके में नौकरी देने के नाम पर अपनी ठगी की दूकान चला रहे थे। सिक्युरिटी गार्ड की बहाली के नाम पर इस दम्पत्ति ने डेढ़ सौ से अधिक लोगों से पैसे लिए थे लेकिन आजतक किसी को स्थायी नौकरी नहीं मिल सकी थी। यह दम्पत्ति किसी से 30,तो किसी से 40 और किसी से 50 हजार रुपये बतौर नौकरी के नाम पर लिए थे।
डुमरैल स्थित इस दम्पत्ति के आवास पर रोजाना झगड़े होते थे ।परेशान और तंग होकर मकान मालिक ने इस दम्पत्ति को वहाँ से खदेड़ दिया था। वहां से भागने की बाद शिवपुरी में इस बोडिंग स्कूल की बुनियाद डाली गई। लेकिन पुराना खेल यहाँ से भी बदस्तूर खेला जाता रहा। यहाँ भी रुपये देने वाले लोग लगातार रुपये वसूली करने के लिए आते रहे। गोलीबारी की घटना को अंजाम देने वाले शशि यादव के कुछ नजदीकी लोगों के रुपये भी इस दम्पत्ति ने ले रखे थे। उस रुपये की वापसी के लिए शशि यादव बीते डेढ़ महीने से दबाब बना रहा था। 12 जनवरी को दिन में शशि यादव अपने कुछ दोस्तों के साथ शिवपुरी ढ़ाला पर खड़ा था। उसी बीच मुकेश कुमार दो-तीन लोग के साथ वहाँ पहुँचे और शशि की ओर इशारा करते हुए कहा की क्या ये इस इलाके का डॉन है? इसने हमारा जीना हराम कर दिया है। जिन लोगों को मुकेश कुमार, शशि यादव को लेकर बता रहे थे, वे शशि यादव को पहचानते थे।
शशि यादव को मुकेश कुमार का यह व्यवहार नागवार गुजरा और उसने खुद को डॉन बताने और दहशत फैलाने की गरज से स्कूल के ग्रिल पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया। गोलीबारी के दौरान शशि यादव के साथ 8 से 10 युवक थे। शशि यादव के सिवा अभीतक किसी अन्य अपराधी की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस ने तीन युवकों को इस मामले में हिरासत में लिया है,जो कोसी प्रोजेक्ट के सरकारी आवास में अवैद्य रूप से भाड़ा देकर रह रहे थे। कोसी प्रोजेक्ट के अधिकांश आवास पर गुंडे, मवाली और असामाजिक तत्वों का कब्जा है, जो सरकारी आवास को भाड़े पर देकर जमकर कमाई कर रहे हैं। यह खेल विगत कई वर्षों से चल रहा है ।इस खेल की जानकारी पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को कई बार दी गयी लेकिन नतीजा सिफर निकला ।खैर ये मसला अलग है,इसपर विस्तृत चर्चा बाद में करेंगे। अब हम सीसीटीवी में कैद तस्वीर का ऑपरेशन कर रहे हैं।
गोलीबारी की घटना के दौरान स्कूल संचालिका को धक्का देने के साथ उनके साथ हाथापाई भी की गई थी। उन्हें जख्मी अवस्था में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दौरान उन्होंने पुलिस को बयान दिए थे जिसमें कहा था कि उनकी जमकर पिटाई की गई और जान मारने की नीयत से उनपर गोली चलाई गई। यही नहीं अपराधियों ने उनसे पैंतीस हजार रुपये भी छीन लिए।सीसीटीवी में कैद तस्वीर, घटना की साफ-साफ कहानी बयाँ कर रही है। स्कूल की संचालिका को पहले धक्का देकर गिराया गया।फिर शशि यादव ने ग्रिल पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की। एक युवक संचालिका को बेल्ट, तो एक युवक ईंट से उसकी पिटाई करने की कोशिश कर रहा है। इसी बीच शशि यादव बीच में पहुंचकर स्कूल संचालिका को बचाने की कोशिश कर रहा है।
संचालिका के बयान और घटित घटना में काफी विरोधाभास है। संचालिका से रुपये छिनने की कहीं कोई तस्वीर नहीं है। अगर उनकी जान लेने के लिए गोलीबारी की जाती तो पिस्टल के निशाने पर वह होतीं, ना की ग्रिल ।इस घटना का तरीका यह जाहिर करता है कि दाल में कुछ काला है। बतौर स्कूल संचालिका शशि यादव के द्वारा उनसे विगत कई दिन पहले से डेढ़ लाख की रंगदारी की मांग की जा रही थी। आखिर फिर क्या वजह थी कि स्कूल संचालिका ने इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को नहीं दी? इतनी बड़ी घटना को वह पुलिस से क्यों छुपाती रहीं? इस पूरे खेल में नौकरी के नाम पर ठगी सबसे बड़ी वजह है। कयास यह लगाया जा रहा है जो लोग इस दम्पत्ति के द्वारा ठगी के शिकार हुए हैं, वे सभी लामबंद होकर पुलिस अधिकारी के पास पहुंचने वाले हैं।
सदर थाने में स्कूल संचालिका के बयान पर मामला दर्ज कर पुलिस तफ्तीश कर रही है। खास बात यह है कि इस मामले को एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी खुद से देख रहे हैं। लोगों को श्री तिवारी पर बेहद भरोसा है। उम्मीद यह जताई जा रही है कि प्रभाकर तिवारी दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे। जाहिर तौर पर इस मामले में कई पेंच हैं, जिनका खुलना जरूरी है। आखिर में हम यह जरूर कहेंगे कि शशि यादव ने जिस तरह से गोलीबारी की है, वह कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर संगीन घटना को अंजाम दिया है। ऐसी गोलीबाड़ी अक्सर फिल्मों में देखने को मिलती है। ऐसे गोलीबाज फिल्मी एक्टर पर निसन्देह बड़ी से बड़ी कारवाई होनी चाहिए। अब सभी की निगाहें एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी पर टिकी है कि वे सारे सच से जनता को कब और कैसे रूबरू कराएंगे?
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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