सिटी पोस्ट लाइव : अब बिहार में दारोगा भारती की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. लेकिन इसमे सफल नहीं होनेवाले अभ्यर्थियों ने अपनी शिकायत एंदीतीवी के पत्रकार रविश कुमार से शुरू कर दी है. बिहार के इन छात्रों को पूरा भरोसा है कि रविश कुमार जो खुद एक बिहारी हैं, हमेशा शिक्षा और रोजगार के मुद्दे को उठाते रहते हैं, उनके मुद्दों को भी जरुर उठायेगें. दारोगा मेंस परीक्षा के रिजल्ट से नाराज छात्रों ने रविश कुमार को परेशां कारन जब शुरू कर दिया तब उन्हें एक पोस्ट इसके ऊपर अपने फेसबुक पर शेयर करना पड़ा.रविश कुमार इस बारे में सोशल मीडिया में लंबा पोस्ट लिख दिया है.
‘ क्या बिहार दारोगा परीक्षा में कोई धांधली हुई है? ‘
‘बिहार दारोगा परीक्षा मेंस के नतीजों को लेकर छात्र लिख रहे हैं . इनका दावा है कि बिहार अवर सेवा आयोग की परीक्षा में धांधली हुई है . लिखने वालों का मेंस में नहीं हुआ है . इनका दावा है कि जब पीटी की परीक्षा में एक भी ओबीसी महिला पास नहीं थी तो मेंस में इनकी संख्या 291 कैसे हो सकती है? इस तरह के दावे कुछ और श्रेणियों के बारे में किए जा रहे हैं . जिनकी संख्या पीटी में कम थी मगर मेंस में दोगुनी हो गई है . इनका कहना है कि अगर पीटी में अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 100 छात्र चुने गए हैं तो इन्हीं से मेंस के लिए भी चुने जाएंगे। यह संख्या मेंस में 200 कैसे हो सकती है . एक छात्र ने लिखा है कि उसे 73 नंबर आए हैं मगर उसका नाम नहीं है , जबकि 64 नंबर पाने वालों के नाम हैं.
छात्र कहते हैं कि यह सारी जानकारी आयोग की वेबसाइट पर है . लिस्ट को देखने से समझा जा सकता है . पीटी के समय भी धांधली के आरोप लगे थे . प्रश्न पत्र लीक होने की बात हुई थी . मगर आयोग ने नहीं माना . धरना – प्रदर्शन के बाद भी 22 जुलाई को मेंस की परीक्षा हुई और 13 दिनों में रिज़ल्ट आ गया . ‘
रवीश कुमार मिली इन शिकायतों पर कहते हैं – ‘मेरे स्तर पर यह संभव नहीं है कि मैं दावों की जांच कर पाऊं . क्योंकि मैं अकेला बंदा हूं . मेरे पास कोई सचिवालय नहीं है . आयोग के अधिकारी मुझसे बात नहीं करते हैं . इसलिए फिलहाल यहां पर लिख रहा हूं ताकि बातें और स्पष्ट हों . ऐसा न हो कि मेरा नहीं हुआ है और उसका हुआ है तो ज़रूर कोई धांधली हुई होगी वाली बात हो जाए .
यह राज्य व्यवस्था के लिए ठीक नहीं
आयोग को अपनी तरफ से छात्रों के सवालों के जवाब दे देन चाहिए . यह राज्य व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है . अविश्वास का बढ़ना किसी के हित में नहीं होता है . ऐसी कोई बात नहीं है जो तर्कपूर्ण तरीके से समझाई नहीं जा सकती है . कहीं शिकायत करने वाले छात्रों के समझने में गड़बड़ी तो नहीं हुई है . छात्र चाहते हैं कि सीबीआई जांच करें . इस देश के छात्रों को ही पता नहीं है कि सीबीआई की क्या हालत है . सीबीआई की किस जांच का कौन सा नतीजा निकला है, उसका अध्ययन कर लेना चाहिए . एस एस सी के छात्रों ने कई दिन तक सीबीआई जांच की मांग की, कोई ऐसा नतीजा निकला जो छात्र नहीं जानते थे .
बिहार से सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर भी बहुत से छात्रों ने संपर्क किया है . क्या करें . हम आपके साथ हुई नाइंसाफियों को समझ रहे हैं . आप हिन्दू मुस्लिम करते रहे . चैनल और राजनीति को यह भरोसा आपने ही दिया कि आप इस वक्त हिन्दू – मुस्लिम का फैसला करना चाहते हैं . जब आप लोगों से पूछता हूं तो यही जवाब मिलता है कि सर मैं हिन्दू – मुस्लिम नहीं करता . मगर हकीकत आपको भी मालूम है . अपनी न सही, दूसरों की तो मालूम है .
सिटी पोस्ट लाइव के मैनेजिंग एडिटर श्रीकांत प्रत्यूष को भी छात्र पत्र लिखकर मोबाइल फोन के जरिये लगातार शिकायत कर रहे हैं दरोगा की परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का. छात्रों का कहना है कि बिहार लोक सेवा आयोग के वेबपोर्टल पर दी गई सूचना से ही पता चलता है कि भारी घालमेल हुआ. है. छात्रों का कहना है कि पीटी में आरक्षण कोटा के तहत आनेवाले 222 छात्र सफल हुए फिर मुख्य परीक्षा में 616 छात्र कैसे सफल हो गए? इस तरह की कई शिकायतें छात्र कर रहे हैं.छात्रों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए सिटी पोस्ट ने तहकीकात शुरू कर दी है. बहुत जल्द ही खुलासा आपके सामने होगा.
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