पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर अनुसंधान करना भूल जाती है पटना पुलिस
चार्जशीट दायर नहीं करने की वजह से छेड़खानी, रेप के 7 मामलों के आरोपियों को मिली गई जमानत .
पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर अनुसंधान करना भूल जाती है पटना पुलिस
सिटी पोस्ट लाइव : केस दर्ज कर चार्जशीट नहीं करने की वजह से छेड़खानी और रेप के 7 मामलों के आरोपियों को जमानत मिलने के बाद पटना पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं.छेड़खानी और दुष्कर्म के मामलों को पटना पुलिस द्वारा गंभीरता से नहीं लिए जाने का मामला उजागर हो गया है. पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत दर्ज किए गए मामलों का भी अनुसंधान पूरा नहीं करने की वजह से डेढ़ महीने में छेड़खानी और रेप के 7 आरोपियों को कोर्ट से मिल गई है.
अपराधियों को जमानत मिलने की वजह अनुसंधान अधिकारियों द्वारा समय पर चार्जशीट का दायर नहीं किया जाना है.अदालत में आरोपियों को इसका लाभ मिला और चार्जशीट दायर नहीं होने के कारण कानून के मुताबिक पॉक्सो की विशेष अदालत (POCSO Court) ने आरोपितों को जमानत दे दी.
पटना के पिपरा, राजीवनगर, मेहंदीगंज, रामकृष्णानगर, चौक व नेउरा ओपी और बिहटा थाना में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में सात आरोपियों को बीते 3 सितंबर से लेकर 17 अक्टूबर के बीच जमानत दी गई. ये आरोपी अब जेल से बाहर हैं. पीड़ित परिजनों का आरोप है कि जेल से निकल चुके आरोपियों ने केस उठाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. राजीवनगर कांड सं. 338/19 के मामले में आईओ पूनम रानी को एसएसपी ने निलंबित कर दिया है.
पहला मामला नेउरा के गोढ़ना का है, जहां की रहने वाली एक महिला ने 19 मार्च को केस दर्ज कराया था. महिला का कहना था कि उनकी 6 साल की बेटी के साथ गांव के चितरंजन कुमार उर्फ पंडित ने 500 रुपए का लालच देकर गलत हरकत करने का प्रयास किया. पीड़िता के शोर मचाने पर वह भाग निकला. केस की आईओ उषा सिन्हा थी. पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई और उसने सरेंडर कर दिया. समय पर चार्जशीट नहीं होने से 17 अक्टूबर को उसे जमानत मिल गई.
दूसरा केस पिपरा थाना का है. पिपरा निवासी महिला ने 30 मई को केस दर्ज कराया था कि उनकी 6 साल की बच्ची को खेलते समय कर्पूरी ठाकुर नामक शख्स ने चॉकलेट का लालच दिया और बाद में पास के एक घर में ले जाकर छेड़खानी की. बच्ची रोने लगी तो ग्रामीण जुट गए और आरोपी पकड़ा गया. यह मामला भी पुलिस ने दर्ज किया और इसका आईओ एसआई अंचला को बनाया गया. समय पर चार्जशीट दायर न होने से कर्पूरी को 5 सितंबर को जमानत मिल गई.
तीसरा मामला रामकृष्णा नगर थाना की है. एक निजी स्कूल के शिक्षक बिरजेश कुमार पर ट्यूशन पढ़ाने के दौरान छात्रा के साथ गलत हरकत करने का आरोप दर्ज हुआ. इस केस का आईओ विजय कुमार को बनाया गया था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और जेल भी भेजा मगर समय पर चार्जशीट नहीं होने से आरोपी को 25 सितंबर को जमानत मिल गई.
चौथा मामला पटना सिटी के चौक थाना की है जहाँ चार्जशीट दायर नहीं होने की वजह से आरोपी अमित कुमार और अभिषेक कुमार को पिछले 3 सितंबर को जमानत मिल गई.पांचवां मामला पटना सिटी के ही मेहंदीगंज थाना का है जहाँ दर्ज एक अन्य मामले में भी आरोपी महिला के खिलाफ पुलिस अनुसंधान पूरा नहीं कर पाई. अदालत में समय पर चार्जशीट दायर नहीं होने की वजह से महिला आरोपी ममता देवी को 25 सितंबर को जमानत मिल गई.
पटना के एसएसपी गरिमा मलिक का कहना है कि अगर पॉक्सो एक्ट में आईओ ने समय पर चार्जशीट नहीं किया है, तो इसकी जांच कराई जाएगी. जांच रिपोर्ट आने के बाद आईओ पर कार्रवाई होगी.लेकिन सवाल ये उठता है कि एक के बाद एक सात मामलों में समय से चार्जशीट दायर नहीं होने की वजह से अपराधी छूट गए.अगर वो फिर किसी वारदात को अंजाम देगें तो उसके लिए कौन जिम्मेवार होगा?
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