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बिहार में एक और ‘घोटाला’, सामने आई दो अरब 33 करोड़ की गड़बड़ी

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बिहार में एक और ‘घोटाला’, सामने आई दो अरब 33 करोड़ की गड़बड़ी

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में एक और घोटाला’ सामने आ अगया है.इसबार ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर में दो अरब 33 करोड़ की वित्तीय अनियमितता मुजफ्फरपुर सामने आई है. साल 2011 से 2016 तक हुए दो निरीक्षण रिपोर्ट में सीएजी ने 102 करोड़ की वित्तीय अनियमितता को उजागर किया है. वहीं दरभंगा में एक अरब 31 करोड़ से अधिक रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई है. मुजफ्फरपुर और दरभंगा के जिला नजारत कार्यालय में दो अरब से भी ज्यादा का घोटाला सामने आ रहा है. महालेखाकार कार्यालय ने ऑडिट रिपोर्ट में ये गड़बड़ी पकड़ी है. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2009 से लेकर 2017 तक की ऑडिट रिपोर्ट में करीब दो अरब 33 करोड़ 23 लाख की वित्तीय अनियमितता सामने आ चुकी है.आरटीआई कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल द्वारा मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है. सीएजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर में साल 2011 से 2016 तक हुए दो निरीक्षण रिपोर्ट में सीएजी ने 102 करोड़ की वित्तीय अनियमितता पकड़ी है.

दरअसल जिला नजारत कार्यालय में राजस्व को सरकार के वित्तीय मापदंडों के विपरीत इस्तेमाल किया गया है. सीएजी ने मुजफ्फरपुर के अपने दो ऑडिट रिपोर्ट में काफी स्पष्ट तरीके से वित्तीय अनियमितता को बिन्दुवार रेखांकित किया है.

1- नाजिर रसीद से प्राप्त राशि को रोकड़ पंजी में नहीं लिया गया- 28,433 रुपये

2- एसी विपत्र से निकासी की राशि का डीसी विपत्र नहीं भेजा गया- 32 लाख 80 हजार रुपये

3- उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलने के मद में – 966. 28 लाख रुपये

4- लंबे समय से अग्रिम की राशि का समायोजन नहीं किया गया- 226 लाख 2 हजार रुपये

5- बैंक से मिली ब्याज राशि को कोषागार में जमा नहीं किया गया- 180 लाख 99 हजार रुपये

6- आय के स्रोत पर आयकर की कटौती नहीं किया गया – 12 लाख 58 हजार रुपये

7- नाव आपूर्तिकर्ता को बिक्री कर की कटौती नहीं कर लाभ पहुंचाया गया- 1 लाख 46 हजार रुपये

8- असमायोजित लंबित राशि- 512 लाख 44 हजार रुपये

9- रोकड़ बही में भारी अनियमितता- 31 करोड़ 91 लाख रुपये

10- विपत्र से राशि की निकासी कर एक साल 10 माह बाद भुगतान दिखाया गया- 41 लाख 86 हजार रुपये

11- लंबित अग्रिम की राशि का समायोजन नहीं किया गया- 207 लाख 34 हजार रुपये

12- नाजिर रसीद से प्राप्त राशि कोषागार में जमा नहीं की गई- 15 लाख 48 हजार रुपये

13- सरकारी खजाने से अनियमित राशि निकासी और भुगतान किया गया- 6 करोड़ 32 लाख रुपये

14- चीनी मिल की बैंक पंजी और रोकड़ पंजी में अंतर- 3 करोड़ 80 लाख रुपये

15- रोकड़ बही में राशि को अनावश्यक रोका गया और बैंक ड्राफ्ट को सरकारी खाते में जमा नहीं किया गया – 2 करोड़ 16 लाख रुपये

बाढ़ राहत सूखा पैकेट का सामान खरीदने में भी अनियमितता उजागर हुई है. इसके साथ ही बैंक खाते से 11 लाख 58 हजार रुपये की अवैध निकासी भी सामने आई है. सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट सरकार और लोक लेखा समिति को पहले ही सौंपी जा चुकी है. दूसरी ओर वित्तीय अनियमितता उजागर होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने सूबे के मुख्य सचिव को सीएजी रिपोर्ट के साथ जांच कराने के लिए सितम्बर 2018 में ही पत्र लिखा है. लेकिन अब भी जांच के लिए दिया गया आवेदन वित्त विभाग और सामान्य प्रशासन के बीच ही घूम रहा है.

दूसरी ओर आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दरभंगा जिला नजारत में भी सीएजी की दो ऑडिट रिपोर्ट में एक अरब 31 करोड़ से अधिक रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई है. दरभंगा जिला नजारत कार्यालय की वित्तीय गड़बड़ी को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार झा ने मुख्य सचिव को उच्चस्तरीय जांच के लिए आवेदन भी दिया. लेकिन दरभंगा के डीएम को ही इस जांच का जिम्मा मिला है. जिलों में डीएम की देखरेख और निगरानी में ही नजारत कार्यालय कार्यरत रहता है. इतना ही नहीं सीएजी ने जिन बिन्दुओं को लेकर आपत्ति की है, उसके जवाब सीएजी के पास अब तक नहीं पहुंचे हैं. जबकि साल 2015 में ही सीएजी ने दोनों ही जिले में ऑडिट किया था.

सबसे ख़ास बात ये है कि  लोक लेखा समिति में विपक्षी दलों के नेता भी शामिल होते हैं. जाहिर है मामले की लीपापोती करने में पक्ष विपक्ष दोनों जुटे हैं. सरकार द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिए जाने से नाराज आरटीआई कार्यकर्ता अब इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे हैं.अभीतक तो ये घोटाला केवल दो दो जिलों की सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में उजागर हुई है. अगर सभी  जिलों की जांच की जाए तो बिहार का यह सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है.

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