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नालंदा कोर्ट का फैसला, अपहरण और बलात्कार के आरोपी प्रेमी को दिया जीवनदान.

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सिटी पोस्ट लाइव :नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. नाबालिग लड़की को भगाकर शादी करने व शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी किशोर को सबूत रहते बरी कर दिया.कोर्ट ने नाबालिग दंपती को साथ रहने का आदेश भी दिया.गौरतलब है कि दोनों के नाबालिग रहने के कारण यह शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है. किशोर को सजा हो सकती थी. वर्तमान में किशोरी की उम्र 18 और लड़के की 19 साल है. लेकिन न्यायाधीश ने किशोरी और बच्चे के हित को देखते हुए यह आदेश दिया है.

जज ने कहा-दोनों को 4 माह का बच्चा भी है. ऐसे में नाबालिग मां-बाप को  अगर सजा दी जाती है तो एक शिशु का पालन पोषण और संरक्षण  प्रभावित होगा, एक साथ तीन जिंदगियां भी प्रभावित होंगी. यही नहीं कोर्ट को आशंका थी कि किशोरी की ऑनर किलिंग हो सकती थी और बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती थी. क्योंकि, किशोरी के पिता अंतरजातीय शादी से खुश नहीं थे और अपनी  पुत्री को साथ ले जाने के लिए तैयार नहीं थे.

किशोर को सजा देने पर उसके माता-पिता भी लड़की और बच्चे को साथ रखने से इनकार कर सकते थे. किशोरी को कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं अपना सकता था क्योंकि वह एक बच्चे की मां बन चुकी थी. माता-पिता ने लोक-लाज के भय से पहले ही अपनाने से इनकार कर दिया था. ऐसे में न्यायाधीश ने परिस्थितिजन्य फैसला लेते हुए मुख्य आरोपी किशोर के संरक्षण में ही किशोरी और उसके शिशु को रखना न्यायोचित माना.

यह फैसला देश का इकलौता है जिसमें अपराध का सबूत रहते कोर्ट ने मानवीय और सामाजिक आधार पर आरोपी को बरी किया. हालांकि देश के विभिन्न अदालतों में मानवीय व अन्य कारणों से सजा कम करने के कई फैसले हैं. किशोर पर धारा 366ए के तहत अवयस्क लड़की को भगाकर ले जाने व शारीरिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप थे. ऐसे में किशोर को 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती थी. किशोरी को नारी निकेतन भेजना पड़ता. इसका असर बच्चे की देखरेख पर भी पड़ता.

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