“विशेष” : टारगेट फायरिंग से हुई नृत्यांगना आकृति सिंह की हत्या, पुलिस को कई राज खोलने होंगे
सिटी पोस्ट लाइव : 20 फरवरी को बिहार के सहरसा जिले में आर्केस्टा नर्तकी की हत्या को आसानी से हर्ष फायरिंग के दौरान घटी घटना कहकर जांच को एक जगह केंद्रित करना कहीं से भी जायज नहीं है। आर्केस्टा के दौरान ताबड़तोड़ फायरिंग के दौरान नृत्यांगना की मौत को हर्ष फायरिंग का जामा पहनाया जा रहा है। हमारे पास उपलब्ध चलंत तस्वीर जो अब वायरल हो चुकी है, उससे जाहिर हो रहा है कि एक शख्स ने आकृति सिंह के सर को टारगेट कर के नोट की गड्डी में पिस्टल सटाकर गोली चलाई है। हमें जो भीतरखाने और विशेष सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है उसके मुताबिक सहरसा जिले विराटपुर गाँव के रहने वाले आशीष सिंह की बहन की शादी बेहद हाई-प्रोफाईल शादी थी। बिहार के विभिन्य हिस्से सहित बिहार के बाहर के भी धन कुबेरों, अय्यासों और रसूखदारों का वहाँ जमावड़ा लगा था। शराब की महफिल करीने से सजी हुई थी। जामे शुरुर का दौर चल रहा था।
उस शादी को आकर्षक बनाने के लिए बेहतरीन आर्केस्टा का इंतजाम था। उस आर्केस्टा में एक से बढ़कर एक खूबसूरत अदाकारा थीं। उसी में से कम उम्र की आकृति सिंह भी थी। नृत्य चल रहे थे और तीस से चालीस लाईसेंसी हथियार और कई अवैद्य हथियार से जमकर गोलियाँ बरसाई जा रही थीं। आर्केस्टा के सभी कलाकार डरे हुए थे लेकिन कार्यक्रम को चलाते रहना सभी की मजबूरी थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक अय्यास शराबी ने ग्रीन रुम में जाकर 50 हजार से लेकर एक लाख तक में आकृति से देह का सौदा करना चाहा लेकिन आकृति ने उस हवस के दंरिदे के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। बताया यह जा रहा है कि उस हवसी ने आकृति के इस इनकार को अपनी शान में गुस्ताखी समझा और नोट के बंडल में पिस्टल सटाकर आकृति के सर को निशाने पर लेकर गोली चला दी।
आकृति स्टेज पर ही गिर गयी और ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। हद तो यह है कि उस शादी समारोह में सहरसा सदर एसएचओ आर.के.सिंह भी खाना खाते देखे गए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि शुरू में जबतक उनके साथ की पुलिस थी, तभीतक माहौल शांत था लेकिन जब वे वहां से निकल गए, तो उस शादी समारोह का पूरा कैरेक्टर ही बदल गया। फिर तो आकृति की मौत का गवाह बना यह शादी समारोह। इस खबर के माध्यम से हम यह भी पड़ताल करने की कोशिश कर रहे हैं कि सुपौल जिले के करजाईन बाजार के एक छोटे से गाँव बोरहा की रहने वाली आकृति किस-किस कांधे को थामकर इस मुकाम तक पहुँची थी।
आकृति पहले सहरसा जिला मुख्यालय के गौतम नगर में रहती थी। उसके पिता की मौत 10 वर्ष पहले ही हो गयी थी। उसे एक भाई और दो बहनें भी हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है जबकि एक बहन उससे छोटी है। उसकी माँ भी है जो हृदय रोग और अन्य रोग से लंबे समय से ग्रस्त है। आकृति अपनी माँ के ईलाज और अपनों की परवरिश के लिए सहरसा आयी थी। उसके बाद सहरसा के एक कारोबारी से आकृति की निकटता बढ़ी और फिर उसके परिवार के अच्छे दिन आ गए। आकृति पहले सहरसा के संगम बिहार होटल सहित कुछ अन्य होटलों में अय्यास डॉक्टर, पूंजीपति और कारोबारियों के सामने नांचती थी। जानकार यह भी बताते हैं कि मोटी रकम पर उससे देह का सौदा भी कराया जाता था। जरूरत के हिसाब से उसे बिहार से बाहर भी भेजा जाता था।
बेहद दुःखद और निंदनीय मसला यह भी है कि उसके जिंदा गोश्त के कई शिकारी सहरसा के रहने वाले भी थे। धीरे-धीरे वह शान और शौकत से रहने लगी थी। हम इस कड़ी में यह भी बताना चाहेंगे कि सहरसा में कई ऐसे कारोबारी हैं जो अपने प्रतिष्ठान के अलावे अपने परिचितों के प्रतिष्ठान में कम उम्र की लड़कियों को दस से पंद्रह हजार की पहले नौकरी देते हैं और फिर खुद उसके देह से खेलते हैं और बाद में उन लड़कियों के जिश्म का धड़ल्ले से सौदा होता है। वैसे हमारी इस खबर का मजमून आकृति की हत्या है।इस मामले में सहरसा के पुलिस कप्तान राकेश कुमार कहते हैं कि लड़की के मामा के बयान पर आशीष कुमार सिंह सहित उनके दोस्तों को आरोपी बनाते हुए कांड दर्ज किया गया है।
गिरफ्तारी के लिए कारवाई चल रही है। शादी समारोह में शराब के दौर, गोलीबारी सहित अन्य विन्दुओं पर जांच की जा रही है ।इस मामले में अभीतक तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। यह एक ऐसा मामला है,जिसमें पुलिस सैंकड़ों लोगों को आरोपी बनाकर जेल भेज सकती है। लाखों-करोड़ों की उगाही के रास्ते बनेंगे। लेकिन पुलिस के किसी भी चार्जसीट से किसी भी आरोपी को कोई भी बड़ी सजा नहीं होगी। इस मामले में सजा तभी किसी को मिल सकती है, जब पुलिस के अधिकारी आकृति नाम की उस बच्ची की हत्या को अपने दिल से लें। ईमानदारी से अनुसंधान हो और गोली चलाने वाले उस शैतान अय्यास की गिरफ्तारी हो। आकृति की हत्या का यह मामला कितने बेशर्मों की सही आकृति को सामने ला सकता है। वैसे इस मामले में मृतिका के परिवार को पैसे के अलावे हर तरीके से मैनेज करने की कोशिश की जा रही है। रही पुलिस की बात,तो वह पहले से ही मैनेज होने के लिए तैयार बैठी रहती है। हम चाहते हैं कि राज्य के डीजीपी एक बार रात में आकर सहरसा के अपने सभी पुलिस अधिकारियों को टटोलें। लाख टके की बात यह है कि हमारी नजर सभी पर सिद्दत से बनी और टिकी हुई हुई है।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष”रिपोर्ट
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