सिटी पोस्ट लाइव :सुशांत सिंह राजपूत के मामले का जिस तरह से खबरिया चैनल कवरेज कर रहे हैं, मीडिया की साख दांव पर लग गया है.कोई चैनल रिया के पक्ष में तो कोई सुशांत सिंह के पक्ष में खबर चला रहा है.कोई चैनल सुशांत सिंह का हत्यारा रिया को ठहराने में जुटा है तो कुछ चैनल सुशांत सिंह को स्मैकियर साबित करने में जुटे हैं. भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) ने कई मीडिया संस्थानों के सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस (Sushant Singh Rajput Suicide Case) के कवरेज पर कड़ी आपत्ति जताई है.
भारतीय प्रेस परिषद ने शुक्रवार को कहा कि मीडिया को ऐसे मामलों में कवरेज में पत्रकारिता आचरण के नियमों का पालन करना चाहिए. परिषद ने मीडिया संस्थानों को इस मामले में अपना स्वयं का ‘समानांतर मुकदमा’ नहीं चलाने की नसीहत दी है.पीसीआई ने एक परामर्श में कहा कि मीडिया को इस तरह से खबरों को नहीं दिखाना चाहिए जिससे आम जनता आरोपित व्यक्ति की मामले में संलिप्तता पर विश्वास करने लग जाए. परिषद ने कहा कि उसने अफसोस के साथ इस बात को संज्ञान में लिया है कि किसी फिल्म एक्टर की कथित खुदकुशी के मामले की कवरेज कई मीडिया संस्थानों द्वारा पत्रकारिता आचरण के नियमों का उल्लंघन है और इसलिए मीडिया संस्थानों को पीसीआई द्वारा तय नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है.
पीसीआई ने कहा, ‘मीडिया को सलाह दी जाती है कि पीड़ित, गवाहों, संदिग्धों और आरोपियों को अत्यधिक प्रचार देने से बचा जाए क्योंकि ऐसा करना उनकी निजता के अधिकार में अतिक्रमण होगा.’पीसीआई ने कहा कि अपराध के बारे में आधिकारिक एजेंसी द्वारा की जा रही जांच की दिशा के बारे में सुनी सुनाई बातों के आधार पर सूचनाओं को प्रकाशित करना वांछित नहीं है. उसने यह भी सलाह दी कि अपराध से जुड़े मामले में दैनन्दिन आधार पर बहुत बल देते हुए खबरें देना तथा साक्ष्यों की सच्चाई निर्धारित किए बिना उन पर खबर देना उचित नहीं है.
परामर्श में कहा गया है कि इस प्रकार की रिपोर्टिेंग से निष्पक्ष जांच एवं मुकदमे पर अकारण दबाव पड़ता है. परिषद ने कहा कि मीडिया द्वारा गवाहों की पहचान उजागर करने से भी बचना जरूरी है क्योंकि इससे उन पर आरोपी और जांच एजेंसियों के दबाव में आने का खतरा होता है.
Comments are closed.