सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर बालिका गृह से मधुबनी शिफ्ट की गई पीड़ित लड़कियों में से एक लड़की के गायब हो जाने को लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि उस लड़की ने ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ बयान दिया था इसलिए उसे गायब कर दिया गया है. बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दिल्ली में खुले मंच से इस बात का आरोप लगाया था कि बालिका गृह मुजफ्फरपुर से मधुबनी बालिका गृह शिफ्ट की गई लड़की इस मामले में मुख्य गवाह थी जिसे गायब कर दिया गया. लेकिन सोमवार को डीजीपी के एस दिवेदी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह से मधुबनी बालिका गृह शिफ्ट की गई उक्त लड़की बोल नहीं सकती. वह मूक थी. वह मामले की मुख्य गवाह नहीं थी.
लेकिन इस जुवेनाइल एक्ट के तहत संचालित होने वाली सीडब्लूसी संस्था के पूर्व सदस्य अमरेश श्रीवास्तव ने दावा किया है कि मधुबनी का परिहार सेवा संस्थान सरकार के मापदंडों पर कभी खड़ा नहीँ उतरा.लेकिन उस समय केपदाधिकारी ने रिश्तेदारी के वजह से बालिका गृह के संचालन का जिम्मेवारी परिहार सेवा सस्थान को दिया.इतना ही नहीं उन्होंने ये कहकर डीजीपी को झूठा साबित कर दिया कि जो बच्ची संस्थान से गायब हुई है वह गूंगी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रमाणिकता के तौर पर उसका स्टेटमेंट रजिस्टर पर दर्ज है और वह रजिस्टर की कॉपी उनके पास है. बच्ची दूसरी कक्षा तक पढ़ी है उसने खुद से मेरे सामने अपने माता पिता का नाम बताया था.
अब सवाल उठता है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ? डीजीपी और अमरेश श्रीवास्तव दोनों के बयान एक दूसरे को झूठ ठहरा रहे हैं.गौरतलब है कि मामले का केंद्र बिंदु बनी हुई बच्ची पिता के पिटाई के वजह से घर से भाग गयी थी. लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया और रिमांड होम के सुपुर्द कर दिया था. अमरेश श्रीवास्तव ने बताया की बालिका गृह में पुरुष कर्मचारियों को रखना सख्त मनाही है परन्तु वहा शुरू से ही दो पुरुष कर्मचारी कार्यरत रहे हैं. आज तक संस्था के किसी कर्मचारी का कोई भी पुलिस भेरिफिकेसन नहीं हुआ है. आगे उन्होंने कहा कि हमलोगों ने इससे पहले ही लिखित रूप से विभाग को इस बात से अवगत कराया था क मधुबनी के बालिका गृह को बंद कर दिया जाय क्योंकि यहां अवांछित कार्य होते हैं..
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