सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शराबबंदी पर सख्त निर्देश के बाद पुलिस कार्रवाई कर तो रही है. लेकिन शराब बेचने वाले और पीने वाले लोगों में इसका असर कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है. नालंदा में जहरीली शराबकांड इसका उदहारण है. बड़ा सवाल है कि पुलिस सख्त है और शराबबंदी है तो आखिर शराब आ कहां से रही है. किसकी गलती की वजह से जिलों में शराब की खेप पहुंच जाती है. यही नहीं कटिहार से जो खबर सामने आई है. वो भी चौंकाने वाली है. जहां सदर अस्पताल परिसर में दर्जनों अंग्रेजी शराब की बोतलें बरामद हुई है. जिससे लगता है कि सदर अस्पताल शराबियों का अड्डा बन गया हो.
इस बारे में जब अस्पताल प्रबंधन से पूछा गया तो उन्होंने भी गोल मटोल जबाव देकर अपना पल्ला झाड़ते दिखे. बता दें कि कुछ दिन पूर्व भी सदर अस्पताल परिसर में शराब की दर्ज़नो खाली बोतलें फेंकी मिली थी. जिस पर उत्पाद अधीक्षक ने खुद घटनास्थल का दौरा कर जांच टीम बनाई थी. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ. अब दुबारा सदर अस्पताल परिसर में शराब की खाली बोतलों का मिलना अस्पतालकर्मियों पर ही इसके सेवन का शक जाहिर करता है.
वही युवा जदयू नेता ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सख्त करवाई की मांग की है. जबकि राजद नेता ने कहा कि नीतीश अगर अब भी नैतिकता बची है तो कटिहार सीएस पर कार्रवाई करें. उनके गृह जिले में भी जहरीली शराब पीने से मौत की खबर सामने आई. अस्पताल में भी इससे पूर्व शराब की खाली बोतलें पाई गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खामोशी की चादर ओढ़े रखना शराब बंदी कानून को ठेंगा दिखाने जैसा है।
कटिहार से रतन कुमार की रिपोर्ट
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