दिल्ली पुलिस का दावा, JNU हिंसा में आइशी समेत नौ छात्रों की हो गई है पहचान.
सिटी पोस्ट लाइव : JNU कैम्पस में हुए हमले से सम्बंधित दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़ा खुलासा किया है.जेएनयू कैंपस में पांच जनवरी को हुई हिंसा के सिलसिले में नौ उपद्रवी छात्रों की पहचान कर ली गई है.डीसीपी (क्राइम ब्रांच) जॉय तिरकी के अनुसार पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें और वीडियो की मदद से नौ छात्रों की पहचान की है.पुलिस अब ईन छात्रों को जल्दी ही नोटिस भेजेगी.इन छात्रों में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष, जेएनयू छात्रसंघ की काउंसलर सुचेता ताल्लुकदार, चुनचुन कुमार, प्रिया रंजन,डोलन सामंत, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल, पंकज मिश्रा और वास्कर विजय शामिल हैं.
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा है कि पुलिस के संदिग्ध कहने से कोई संदिग्ध नहीं हो जाता. उन्होंने कहा कि उन्हें इस देश की न्याय-व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि असली दोषियों का पता चल ही जाएगा.पुलिस ने जिन नौ छात्रों की पहचान की है, उनमें सात छात्र लेफ़्ट छात्र संगठनों से जुड़े हैं और दो एबीवीपी के सदस्य हैं.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर दिल्ली पुलिस के दावों का समर्थन किया है.उन्होंने कहा कि ‘आज पुलिस की प्रेस कॉन्फ़्रेंस से साफ़ हो गया कि पिछले पांच दिनों से चला आ रहा विवाद एबीवीपी और बीजेपी को बदनाम करने के लिए पैदा किया गया था. हिंसा वामदलों के छात्र संगठनों ने की एबीवीपी ने नहीं.जावड़ेकर ने कहा कि वाम दल चुनावों में जनता का भरोसा जीतने में नाकाम रहते हैं इसलिए वो कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों का इस्तेमाल करते हैं. केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को नेताओं के झांसे में न आएं और ख़ुद को इस्तेमाल न होने दें.
पुलिस ने कहा कि जेएनयू में तीन जनवरी से ही तनाव का माहौल था जो पांच जनवरी की शाम हुई हिंसा के रूप में नज़र आया.डीसीपी जॉय तिरकी ने कहा कि वाम दलों के चार छात्र संगठन एआईएसएफ़ (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन),आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन), स्टूडेंट्स फ़ेडरशेन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) और डीएसएफ़ (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन) पिछले कुछ दिनों से विंटर रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे थे.वो रजिस्ट्रेशन के इच्छुक छात्रों को भी रोक रहे थे.तीन जनवरी को दोपहर एक बजे के आसपास एसएफ़आई के कुछ सदस्यों ने सर्वर रूम में जाकर हंगामा किया. उन्होंने स्टाफ़ को धक्का देकर बाहर निकाला और सर्वर का स्विच ऑफ़ कर दिया. इसी सर्वर के ज़रिए रजिस्ट्रेशन किया जा रहा था. जेएनयू प्रशासन ने पुलिस में इसकी जानकारी की और इस बारे में एफ़आईआर भी दर्ज की गई. एफ़आईआर में सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया. इस बीच जेएनयू प्रशासन की टीम ने तीन-चार घंटों के भीतर सर्वर ठीक कर दिया.
चार जनवरी को भी वाम छात्र संगठनों के कुछ सदस्य सर्वर रूम के पीछे से शीशे का दरवाज़ा तोड़कर घुसे और तोड़फोड़ की. उन्होंने बाक़ी छात्रों और स्टाफ़ के सदस्यों से भी झगड़ा किया.पांच जनवरी की दोपहर ‘स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज़’ के सामने रजिस्ट्रेशन कराने आए चार छात्र बेंच पर बैठे हुए थे. छात्रों के एक समूह ने आकर उन चारों से पहले झगड़ा किया और फिर मारपीट भी की. इस समूह ने बीच बचाव कराने आए सिक्योरिटी गार्ड्स से भी हाथापाई की.
पांच जनवरी को शाम 3:45 बजे कुछ नक़ाबपोश लोगों ने पेरियार हॉस्टल में जाकर हमला किया. हमलावरों ने हॉस्टल के कुछ ख़ास कमरों में जाकर ही मारपीट की. जब पेरियार हॉस्टल में हमला हुआ, उस दौरान जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष को भी नक़ाबपोश हमलावरों के साथ देखा गया. इसमें यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अन्य छात्र भी शामिल थे.मारपीट के बीच छात्र और शिक्षक साबरमती हॉस्टल के पास टी-पॉइंट पर एक पीस मीटिंग के लिए इकट्ठे हुए. इसी दौरान नक़ाबपोश लोगों का एक और समूह कैंपस में घुस आया. हमलावरों ने साबरमती और नर्मदा हॉस्टल में घुसकर मारपीट की. साबरमती हॉस्टल में भी हमलावर सभी कमरों में नहीं गए बल्कि कुछ ख़ास कमरों को ही निशाना बनाया गया.
‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ़्ट’ नाम का वॉट्सऐप ग्रुप भी जांच के दायरे में हैं. इस ग्रुप में क़रीब 60 लोग थे. पुलिस के मुताबिक़ ये वॉट्सऐप ग्रुप हमले के वक़्त ही शाम 5 बजे के लगभग बनाया गया था. योगेंद्र भारद्वाज को इस ग्रुप का एडमिन बताया गया है.दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के तहत बना विशेष जांच दल (एसआईटी) इन तीनों मामलों की जांच कर रहा है. इन सभी मामलों में पुलिस ने दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने का केस दर्ज किया है.डीसीपी तिरकी ने कहा कि जांच के लिए वो सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों और वीडियो की मदद ले रहे हैं. इसके अलावा जेएनयू प्रशासन भी उनका सहयोग कर रहा है.
डीसीपी तिरकी ने कहा कि ‘हम हॉस्टल वॉर्डेन, सिक्योरिटी गार्ड और मेस के कर्मचारियों से लेकर आम लोगों, सबसे पूछताछ कर रहे हैं. जांच के लिए हम जेएनयू प्रशासन की मदद से छात्रों का डेटाबेस भी इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे पास 30-32 ग़वाह भी हैं जो हमारी मदद कर रहे हैं, हालांकि इन ग़वाहों ने वाकए का वीडियो नहीं बनाया था.तिरकी ने कहा कि अगर उन्हें उस दिन की सीसीटीवी फुटेज होती तो जांच में काफ़ी मदद मिलती लेकिन चूंकि दो दिन पहले सर्वर बंद कर दिया गया था और ये सीसीटीवी भी वाईफ़ाई के ज़रिए चलते थे इसलिए इन्होंने काम करना बंद कर दिया था.
इस बीच जेएनयू के वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने शुक्रवार को शिक्षा सचिव से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने छात्रों से प्रदर्शन ख़त्म करने की अपील की.उन्होंने कहा, ”अब छात्रों को सर्विस और यूटिलिटी चार्ज नहीं देना होगा. उन्हें सिर्फ़ हॉस्टल का किराया देना होगा जो 300 रुपए प्रतिमाह तय किया गया है. इन पैसों का इस्तेमाल छात्रों को बेहतर सुविधा देने के लिए ही किया जाएगा.जगदीश कुमार ने कहा, ”विंटर सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए हज़ारों छात्र रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं. जेएनयू प्रशासन छात्रों की मदद करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है. हम छात्रों से वापस लौटने की अपील करते हैं.’पुलिस की प्रेस कॉन्फ़्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें भी जांच के नतीजों का इंतज़ार है और असली हमलावरों का पता लगने पर उन्हें सज़ा दी जाएगी.जेएनयू छात्रसंघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि वीसी जगदीश कुमार एबीवीपी अध्यक्ष की तरह काम कर रहे हैं. छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि वो अब भी वीसी को हटाए जाने की मांग पर क़ायम हैं और छात्रों को ऐसा वीसी चाहिए जो उन्हें समझ सके.
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