सिटी पोस्ट लाइव : एक ओर पूरे विश्व में पर्यावरण को संतुलित रखने को लेकर वृक्षारोपण अभियान को गति दी जा रही है. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा जल जीवन हरियाली अभियान भी चलाया जा रहा है, और वृक्षारोपण को गति देने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, कुछ लोग सरकारी अभियान में अडंगा लगाने का काम कर रहे हैं. ताज़ा मामला जिले के नूरसराय प्रखंड अंतर्गत बड़ारा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत लगाए जाने वाले पौधा में घोटाला का मामला सामने आ रहा है. घोटाले की शिकायत के आलोक में आज पटना से विभागीय टीम जांच करने पहुंची और जांचोपरांत रिर्पोट भेजे जाने की बात कही गई.
मनरेगा योजना के तहत वृक्षारोपण और वन पोषक के मानदेय के नाम पर लाखों रूपए का गबन का मामला सामने आया है. क्योंकि जांच के दौरान जांच स्थल पर कई तरह की गड़बड़ियां और वन पोषकों के द्वारा संतोष पूर्ण जवाब नहीं दिया गया. जिससे कहीं ना कहीं मामले में पेच फंसता नजर आ रहा है. शिकायत में बताया गया था कि बड़ारा पंचायत में मनरेगा योजना के तहत 13 योजनाओं की स्वीकृति अगस्त 2021 में की गई. प्रत्येक योजनाओं में दो-दो यूनिट वृक्षारोपण की स्वीकृति प्रदान की गई. सभी योजनाओं में चार-चार वन पोषक भी नियुक्त किया गया तथा सभी पेड़ों में गैबियन लगाया भी दर्शाया गया तथा 5200 पेड़ लगाया कागज पर दिखाया गया.
परंतु स्थिति यह है कि अभी तक एक भी पेड़ नहीं लगाा है, जबकि अगस्त 2020 से बहाल सभी वन पोषक का भुगतान मई 2021 तक किया गया. सभी भुगतान को जोड़ा जाए तो एक लाख 16 हजार 200 रूपए का भुगतान प्रति माह कराया जाता रहा. इसमें मुखिया से लेकर मनरेगा के सभी संबंधित पदाधिकारी व कर्मी स्पष्ट रूप से संलिप्त होने का आरोप लगा. इस आरोप के बाद आज पटना से टीम जांच करने पहुंची और जांचोपरांत पेड़ नया लगा पाया और ना हीं किसी पेड़ में गैबियन पाया गया. जांच टीम के द्वारा अनियमितता होने के संकेत दिए गए.
नालंदा से मो. महमूद आलम की रिपोर्ट
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