पटना पुलिस : क्विक मोबाइल बचाने के लिए है या फंसाने के लिए
पटना पुलिस से सावधान! आपके पॉकेट में रख देगी चरस और भेज देगी जेल, इस तरह का है आतंक
सिटी पोस्ट लाइव: बिहार पुलिस तो गुंडों को भी मात देने लगी है.जिस तरह से एक के बाद एक कारनामे पुलिस के सामने आ रहे हैं, उससे तो यहीं साबित होता है कि पुलिस सुरक्षा नहीं बल्कि एक बड़ा खतरा बन गई है. निर्दोष, नाबालिग शब्जी विक्रेता को झूठे मुकदमे में जेल पहुंचा कर कुख्यात हो चुकी पटना पुलिस ने अब निर्दोष छात्रों को नशे का कारोबारी साबित करने की कोशिश की है. पीरबहोर थाने में तैनात क्विक मोबाइल के दो जवानों ने मिलकर दो छात्रों को ऐसे पकड़ा, जैसे वो कोई बड़े शातिर अपराधी हैं.सबसे खास बात इन्होने अपने ईलाके यानी अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे थाने क्षेत्र में जाकर इस कारनामे को अंजाम दिया है.
जिन दो लड़कों को पुलिस वालों ने पकड़ा गया उसमें एक का नाम राजेश है और दूसरा इसका दोस्त है. राजेश बाकरगंज में अपने मामा संजय कुमार के साथ रहता है. वह ग्रेजुएशन फाइनल का स्टूडेंट है. इस मामले में पीरबहोर थाने की पुलिस का का कहना है कि ये लड़के स्मैक बेचते हैं. इनके पास से 4 पुड़िया स्मैक मिला है. जबकि मामा संजय कुमार का कहना है कि शनिवार को उनका भांजा राजेश अपने दोस्त के साथ रिजेंट सिनेमा फिल्म देखने गया था. क्विक मोबाइल के दो जवान राजेश और उसके दोस्त के पास गए. एक—एक कर दोनों को चेक किया. कुछ नहीं मिलने पर वो वापस चले गए. फिर कुछ देर बाद वापस आए और एक बाइक के पास से पुड़िया उठाया और फिर कहा कि ये तुम्ही लोगों ने फेंका है. इसके बाद दोनों का मोबाइल लेकर स्वीच ऑफ कर दिया. फिर अपने साथ लेकर दोनों को पीरबहोर थाना चले गए. रात भर थाना में रखा, लेकिन फैमिली वालों को इसकी कोई जानकारी नहीं दी.
लेकिन सवाल ये उठता है कि पीरबहोर थाने की क्विक मोबाइल ने गांधी मैदान थाने के ईलाके में आकर किस हैसियत से कारवाई की.गौरतलब है कि रिजेंट सिनेमा गांधी मैदान थाना के इलाके में आता है. गांधी मैदान थाने की पुलिस के अनुसार उसके ईलाके में कारवाई करने से पहले उसे सूचना देनी चाहिए .लेकिन ऐसा नहीं किया गया .पीरबहोर थाने के जवान आये और दो लड़कों को उठा ले गए. देर रात करीब दो बजे कॉल कर इस मामले के बारे में बताया गया. फिर रविवार की दोपहर करीब 1:30 बजे दोनों लड़कों को पीरबहोर से गांधी मैदान थाना पहुंचाया गया और एफआईआर के लिए लिखकर दिया गया.सवाल ये उठता है कि ये काम पकडे जाने के तुरत बाद क्यों नहीं की गई . पकडे गए छात्र के मामा राजेश की शिकायत के बाद गांधी मैदान थाने की पुलिस रिजेंट सिनेमा गई. वहां लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को चेक किया गया. लेकिन क्विक मोबाइल के जवानों की कार्रवाई कैमरे की जद से बाहर थी. अब ईन दो बच्चों का भविष्य दावं पर लग गया .सबकुछ अब ऊपर के अधिकारियों की मर्जी पर निर्भर करता है कि वो सच जानने के लिए मामले की ठीक से जांच करवाएगें या फिर उन्हें एक मामूली परिवार का बच्चा होने की कीमत चुकानी पड़ेगी . क्योंकि प्रथम दृष्टया तो यह पुलिसिया कारवाई ही सवालों के घेरे में है.पानी बहुत बह चूका है अगर वरीय अधिकारी अभी भी सावधान नहीं हुए तो पटना पुलिस की साख खाक में मिल जायेगी.
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