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सहरसा बना अपराधियों का हब और जंक्शन, पुलिस के छूट रहे हैं पसीने

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सहरसा बना अपराधियों का हब और जंक्शन, पुलिस के छूट रहे हैं पसीने

सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : यूँ तो सूबे का कोई जिला अपराध मुक्त नहीं है लेकिन सहरसा जिला अपराध के मामले में कीर्तिमान स्थापित करने पर आमदा है। सहरसा जिला मुख्यालय का कोई चौक हत्या को लेकर मशहूर है, तो कोई नशेबाजी के लिए, तो कोई छिनतई और चाकूबाजी के लिए। दर्जनों चौक-चौराहे वयस्क हो रहे किशोरों के कब्जे में हैं। कम उम्र के ये बच्चे कोरेक्स, कोडीन युक्त अन्य सिरप, सनफिक्स, सुलेशन, आयोडेक्स और नशे की गोलियों के सेवन कर खुद का ना केवल आपा खो रहे हैं बल्कि अपने भविष्य को भी गर्त में धकेल रहे हैं। कल सदर थाना के बम्पर चौक इलाके में दिन के करीब बारह बजे एक दवा प्रतिनिधि को एक नशेबाज युवक ने बाईक का एक्सलेटर तेज करने की वजह से उसे कई जगहों पर चाकू से हमले कर गम्भीर रूप से जख्मी कर दिया। हांलांकि पुलिस ने अपराधी मानस झा की गिरफ्तारी कल रात में ही कर ली।

बीती देर रात करीब ढ़ाई बजे सदर थाना के उसी बम्पर चौक पर ट्रेन से उतरकर अपने घर जा रहे युवक रजनीश कुमार को तीन युवकों ने मिलकर चाकू गोदकर गम्भीर रूप से जख्मी कर दिया और उसके पास रखे साढ़े बारह हजार की रकम लूटकर फरार हो गए। जख्मी युवक ने घटना के बाद अपने निकटवर्ती रिश्तेदार और दोस्तों को फोन कर इस घटना की सूचना दी। स्थानीय लोग वहां पहुंचे और गम्भीर स्थिति में रजनीश को सदर अस्पताल में भर्ती कराया। जख्मी रजनीश राज्यस्तरीय क्रिकेट में अंपायरिंग करते हैं। अंपायरिंग कर के ही वह बीती रात पटना से सहरसा आये थे। आपको बताना जरूरी है कि महज चार महीने के भीतर बम्पर चौक इलाके में चाकूबाजी की यह सातवीं घटना है। इस मामले में सदर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी ने कहा है कि अपराधियों की शिनाख्त कर ली गयी है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।

अकेले मियाँ रोइहें की कब्र खोदहिएँ….

जी हाँ ! सहरसा में सिर्फ एक ही पुलिस अधिकारी हैं प्रभाकर तिवारी जो दिन और रात दोनों समय काम करते दिखते हैं। रात में गश्ती और चेकिंग में भी वे लगातार नजर आते हैं। उनकी कार्यशैली से अपराध पर नकेल कसने की उनकी मंसा साफ झलकती है। एंटी अपराधी की मानसिकता लिए प्रभाकर तिवारी काम कर रहे हैं। उनके काम को देखकर लोग उन्हें “दबंग तिवारी” बोलते हैं। लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है। प्रभाकर तिवारी के सहरसा पदस्थापन से पहले ही सहरसा में अपराधियों की फौज तैयार हो चुकी थी जिससे निपटना अकेले उनके बस की बात नहीं है। लेकिन हम उनके जज्बे को सलाम करते हैं।

सदर एसएचओ है ढ़ीले….

सदर एसएचओ आर.के.सिंह अपराधियों को पकड़ने की जगह बड़े अधिकारियों की तीमारदारी और सेवा में ही लगे रहते हैं। इसके अलावे थाना में कांड दर्ज करने का बोझ उनपर अलग से है। फिर बड़े अधिकारियों को सेवा शुल्क देने के लिए उन्हें उगाही के लिए भी घूमना पड़ता है। वैसे ये भी गश्ती जमकर करते हैं ।लेकिन अपराधियों के बीच इनकी कोई धमक और खौफ नहीं है।

एसपी को जनता सेवा से कोई सरोकार नहीं है…..

सहरसा एसपी राकेश कुमार आईपीएस अधिकारी हैं और टशन में रहते हैं। अगर जनता उनसे कोई फरियाद लेकर जाती है, तो वे सीसीए लगाने की धमकी देते हैं। बेशक वे शरीफ और ईमानदार हैं। लेकिन वे भूल रहे हैं कि वे जनता के लिए नौकरी करते हैं और उसके बदले वेतन उठाते हैं। अब पुलिस की नौकरी में बहुत तनाव है। यह एक अलग मसला है। अगर तनाव नहीं झेल सकते, तो पुलिस की नौकरी नहीं करनी चाहिए। अपने कार्यकाल में एसपी राकेश कुमार सहरसा की दस ऐसी जनता का चयन नहीं कर सके जिनके दामन साफ हों और जिनसे वे बहस और विमर्श कर सकें।

उनको कुछ अच्छे लोगों की सोहबत में रहना चाहिए और सहरसा के अपराध जगत और अपराधियों के बारे में जानकारी साझा करनी चाहिए। ये सही तरीके से न्याय देने में असमर्थ हैं। कुल मिलाकर सहरसा में किसी अधिकारी को किसी अधिकारी पर भरोसा ही नहीं है। यहाँ चलनी और सुप की लड़ाई है। अधिकारियों के बीच आपसी तालमेल के अभाव का खामियाजा यहाँ की निरीह जनता झेल रही है और अपराधी सर चढ़कर नंगा नाच कर रहे हैं। इस जिले में अगर आपको चैन और सुकून से जीना है, तो अपनी सुरक्षा खुद करें, या फिर अपराधियों के दरबार में मत्थे टेकें। इस जिले में अपराधी से ज्यादा पुलिस से खतरा है। ना जाने ये पुलिस वाले कब किस शरीफ इंसान को किसी मुकदमें में फंसा दें। बच के रहना रे बाबा,बच के रहना रे….

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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