प्रत्येक मंगलवार को बालिका गृह में विधिक शिविर में आने वाले बाल विकास कमेटी के सदस्य किशोरियों का यौन शोषण करते थे.किशोरियों ने खुलासा क्या है कि नशे की सूई देकर उन्हें बदहवास कर यौन शोषण किया जाता था. नगर डीएसपी मुकुल रंजन ने बताया कि हर मंगलवार को विकास और उसके साथ बालिका गृह में समिति की ओर से शिविर में पहुंचने वाले सदस्य किशोरियों का यौन शोषण करते थे. मंगलवार सुबह से ही किशोरियां सहमी रहती थीं। इन्हें दिन भर दर्द से गुजरना पड़ता था.
सिटी पोस्ट लाईव :मुजफ्फरपुर सरकारी बालिका गृह में बंद बालिकाओं के साथ हुए यौन उत्पीडन के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है.जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है,एक से एक बड़ा खुलासा हो रहा है.पटना में मुजफ्फरपुर की महिला थाणे की प्रभारी पिछले तीन दिनों से यौन उत्पीडन के शिकार बच्चियों के साथ जमी हुई हैं.पटना में ईन बच्चियों का मेडिकल कराये जाने के बाद पूछताछ चल रही है.इस पूछताछ में लड़कियों ने ये खुलासा किया है कि कुछ नेता भी बालिका गृह में आते थे .
प्रत्येक मंगलवार को बालिका गृह में विधिक शिविर में आने वाले बाल विकास कमेटी के सदस्य किशोरियों का यौन शोषण करते थे.किशोरियों ने खुलासा क्या है कि नशे की सूई देकर उन्हें बदहवास कर यौन शोषण किया जाता था. नगर डीएसपी मुकुल रंजन ने बताया कि हर मंगलवार को विकास और उसके साथ बालिका गृह में समिति की ओर से शिविर में पहुंचने वाले सदस्य किशोरियों का यौन शोषण करते थे. मंगलवार सुबह से ही किशोरियां सहमी रहती थीं। इन्हें दिन भर दर्द से गुजरना पड़ता था.
सूत्रों के अनुसार लड़कियों ने कई नाम भी बताये हैं लेकिन पुलिस अभी उन नामों का खुलासा नहीं कर रही है.मेडिकल जांच में यौन शोषण की पुष्टि के बाद भी कई किशोरियां दोषियों के खिलाफ मुंह नहीं खोल पा रही हैं. अधिकतर किशोरियों ने पुलिस को दिए बयान में यौन उत्पीड़न, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है. 13 किशोरियों की मेडिकल जांच में तीन यौन उत्पीड़न की शिकार हुई हैं.लेकिन पुलिस अभिता केवल एक ही युवती के यौन उत्पीडन की बात कह रही है.
मधुबनी भेजी गई किशोरियां मानसिक रूप से कमजोर हैं. इनमें एक ने तीन लोगों की तस्वीर देख कर शोषण करने वालों के रूप में पहचान की है. जेल भेजे गए विकास कुमार की तस्वीर देख कर उसने कहा कि वह सूई देकर उत्पीड़न करता था. बालिका गृह से जुड़े एक अधेड़ की तस्वीर देख कर उसने कहा- यह ‘पुलिस अंकल’ है.ये हमारा यौन शोषण करते थे.
गौरतलब है कि मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ‘कोशिश’ टीम की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया था. 100 पेज की सोशल ऑडिट रिपोर्ट को टीम ने 26 मई को बिहार सरकार, पटना और जिला प्रशासन को भेजा. इसके बाद बालिका गृह से 46 किशोरियों को 31 मई को मुक्त कराया गया. इसके बाद बालिका गृह की 46 किशोरियों पटना, मोकामा और मधुबनी के बालिका गृह में भेजा गया.एक बड़े पुलिस अधिकारी के अनुसार इसी तरह के यौन शोषण की शिकायत मोतिहारी और भागलपुर बालिका गृह से भी आई हुई है.लेकिन एसपी के मौजूद नहीं होने के कारण जांच अभीतक आगे नहीं बढ़ पाई है.