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बालिका गृह रेपकांड: पड़ोसियों के बीच एक अलग छवि है ब्रजेश ठाकुर की

पड़ोसियों की ज़ुबानी ब्रजेश की कहानी- 'हम तो बचपन से रह रहे हैं, ब्रजेश ठाकुर ऐसे आदमी नहीं हैं'

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सिटी पोस्ट लाइव( अंजलि श्रीवास्तव) :  मुजफ्फरपुर के बालिका आवास गृह सील हो चूका है.इस बालिका गृह की 34 लड़कियों के साथ यौन उत्पीडन का मामला उजागर हुआ है. यह बालिका गृह केंद्र मुजफ्फरपुर के रिहायसी ईलाके में है. सबसे बड़ा सवाल –एक रिहायसी ईलाके में इतना बड़ा सेक्स रैकेट चल रहा था वर्षों से फिर पड़ोसियों को इसकी भनक कैसे नहीं लगी? सिटी पोस्ट लाइव ने पड़ोसियों से जब इस मामले की पड़ताल की तो एक अलग कहानी ही सामने आई. आवास गृह के पड़ोसियों की मानें तो उन्हें भनक तक नहीं थी कि यहां ऐसा कुछ चल रहा है.

एक महिला कहती है ‘हमारा तो बचपन यहीं गुज़रा है, यहीं जन्म हुआ है. यहां बालिका गृह है पता था, लड़कियों की जेल है, ये पता था, लेकिन ये सब चल रहा है, ये नहीं पता था. जब से मुझे और मेरे  परिवार को पड़ोस में हुई इस घटना के बारे में पता चला है वह सब सकते में हैं”.इस महिला के अनुसार  ‘इतने वक्त से यहां रह रहे हैं कभी पता नहीं चला. इतना भी जानते हैं कि ब्रजेश ठाकुर वैसे  इंसान वैसे नहीं थे. हम यहीं बड़े हुए हैं, अंदर तो कभी नहीं गए लेकिन वहां बाहर बरामदे में हम खेलते थे, कूदते थे, ऐसा हमारे साथ कभी नहीं हुआ.’

दूसरे पडोसी का कहना है- ‘आरोपी ब्रजेश ठाकुर – जो इस बालिका गृह के संस्थापक भी हैं – की एक अलग तरह की छवि थी. एक ऐसे व्यक्ति की छवि जो प्रभावशाली है, दबंग है लेकिन जरूरत पड़ने पर अपने पड़ोसियों और कस्बे वालों के काम भी आता है’. कुछ पडोसी ऐसे भी हैं जिनका कहना है-‘ ब्रजेश ठाकुर काफी दबंग प्रवृत्ति के हैं. लड़कियां तीसरे माले पर रहती थीं. जिस कमरे में बच्चियां रहती थीं, उसमें खिड़की न होकर वेंटिलेटर जैसा कुछ शीशा लगा दिखता था. कभी कभार लड़कियों के चीखने चिल्लाने की आवाज़ आती थी लेकिन ठाकुर की प्रवृत्ति देखकर कभी कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. बच्चियों की चीख अजीब किस्म की होती थी. उनकी चिल्लाहट के संबंध में अपने परिवार में भी चर्चा करते थे लेकिन ठाकुर की दबंगई की वजह से कोई हिम्मत नहीं कर पाता था”.

एक पडोसी के अनुसार “ बालिका गृह की लड़कियां अंदर ही रहती थी. बाहर का कोई अंदर नहीं जाता था. लड़कियों को जब लाया जाता था तो वो उनके घर के सामने से ही जाती थी लेकिन सबका मुंह ढंका हुआ रहता था. ब्रजेश ठाकुर बाहर इतनी अच्छी छवि है, अभी भी यकीन नहीं होता लेकिन लड़कियों के बयान से लगता है कि बिना चिंगारी के तो आग नहीं लगती है ना”.

सिटी पोस्ट लाइव की टीम पड़ोसियों से बातचीत के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि  ब्रजेश ठाकुर का इलाके में दबदबा है.  ठाकुर का राजनीतिक, प्रशासनिक, गुंडा, पुलिस महकमा समेत अन्य क्षेत्रों में काफी पैठ और पहुंच है. लेकिन उसका इमेज यौन उत्पीडनकर्ता  की बिल्कुल  नहीं है. ब्रजेश प्रात: कमल, न्यूज़ नेक्स्ट नाम के अखबार चलाते हैं. अल्पावास गृह के अलावा वृद्धाश्रम, आदर्श महिला केंद्र, स्वाधार गृह, आदर्श महिला शिल्प कला केंद्र जैसे अलग अलग संगठन भी चलाते हैं. लेकिन आजतक किसी को बालिका गृह में यौन शोषण की भनक तक नहीं लगी. ब्रजेश की बेटी भी सवाल उठा रही है-“ जिन लड़कियों ने मेरे पिता पर इतने गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्ही लड़कियों ने ही एक लड़की की  हत्या कर बालिका गृह में उसकी लाश दफना देने का आरोप लगाया था .लेकिन पुलिस को क्या मिला ?

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