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वायरल हुआ एक विडियो, बोध गया पुलिस पर गंभीर आरोप

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वायरल हुआ एक विडियो, बोध गया पुलिस पर गंभीर आरोप

सिटी पोस्ट लाइव : बोध गया पुलिस का एक खौफनाक चेहरा सामने आया है. तीन दिन पहले बोध गया थाने की पुलिस ने एक स्थानीय होटल में सेक्स रैकेट चलाये जाने का पर्दाफाश करने का दावा किया था.पुलिस के अनुसार उसने गुप्त सूचना पर होटल में छापेमारी कर तीन महिलाओं के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है.पुलिस के अनुसार होटल में नाच-गाना और शराब की पार्टी चल रही थी.पुलिस ने इस मामले में सभी पांच लोगों को जेल भी भेंज दिया.लेकिन पुलिस घटनास्थल से न तो शराब वरामद किया और ना ही कोई ग्राहक उसकी गिरफ्त में आया.जाहिर है पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है . पकडे गए लोगों ने बोध गया के थानेदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे अभियुक्तों का एक विडियो वायरल हुआ है .इस विडियो में अभियुक्त ये खुलासा कर रहे हैं कि उन्हें होटल से पुलिस ने छापेमारी कर गिरफ्तार नहीं किया है बल्कि उन्होंने खुद पुलिस को फोन कर बुलाया था.उनके अनुसार वो नाच-गाना का अर्य्क्रम करते हैं. उन्हें 16000 रुपये में नाचने गाने के लिए बुलाया गया था. लेकिन आयोजकों ने ये कहकर कि उन्हें उनका कार्यक्रम पसंद नहीं आ रहा है, पैसा देने से मना कर दिया.उन्होंने इस बात की फोन पर पुलिस से शिकायत की. लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दूर करने की उनके ऊपर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा दिया. उन्हें डरा धमका कर जेल भेंज देने की धमकी देकर कोर्ट 164 के तहत गलत बयान देने के लिए मजबूर कर दिया. उनका कहना है कि उनके साथ आयोजकों ने कोई आर्पित नहीं की. होटल से शराब या फिर दूसरी कोई आपतिजनक चीजें वरामद नहीं हुईं फिर भी पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ मारपीट, छेड़खानी का झूठा मुक़दमा दर्ज कर दिया. आयोजकों को तो फंसाया ही साथ साथ शिकायत करनेवालों को भी जेल भें दिया. आप खुद देखिये इस वायरल विडियो को आपको सच्चाई का अहसास हो जाएगा.

(विडियो – देखने के लिए  CITY POST LIVE YOUTUBE पर जायें .)

इस मामले में पकडे गए लोगों का कहना है कि महिलाओं के साथ कोई ऐसी चीज नहीं पकड़ी गई है जिसके आधार पर उन्हें सेक्स वर्कर साबित किया जा सके. पकडे जाने के तुरत बाद सबका मेडिकल टेस्टेट  होना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ.सेक्स रैकेट साबित करने के लिए सेक्स वर्कर के ग्राहक का पकड़ा जाना भी जरुरी है, लेकिन एक भी ग्राहक पुलिस के हाथ नहीं आया. पुलिस सीसीटीवी फूटेज के जरिये होटल में जानेवालों की तस्वीर के आधार पर और दबाव देकर 164 डलवाए गए बयान को आधार बनाकर कुछ लोगों के साथ साथ होटल मालिक को टारगेट कर रही है.

ये कोई जरुरी नहीं कि अभियुक्त जो आरोप लगा रहे हैं, सब सही हों. लेकिन आरोप इस तरह का है कि पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ जाती है.अभियुक्त अगर किसी बड़े अधिकारी से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, तो यह उनका अधिकार है. केवल पुलिस के आरोप लगा देने भर से कोई अपराधी साबित नहीं हो जाता. कायदे से बोध गया थानेदार को इस मामले से अलग रखते हुए इस मामले की जांच की जिम्मेवारी निष्पक्ष और ईमानदार अधिकारीयों के हाथ में सौंपा जाना चाहिए.लेकिन जिस तरह से पुलिस अपनी छवि बचाने के चक्कर में आरोपी थानेदार को बचाने में जुटी है, इससे उसकी छवि सुधरेगी नहीं बल्कि एक खतरनाक अपराधी की बन जायेगी.

स्थानीय लोगों का कहना है कि वैसे भी पुलिस की छवि बहुत अच्छी नहीं है.अगर पुलिस अपने आरोपी थानेदार को बचाने की बजाय इस मामले का निष्पक्ष जांच करे तो सच्चाई सामने आ जायेगी. अगर थानेदार सही होगा तो इस जांच के बाद उसकी छवि और निखरेगी और अगर वो गलत साबित हुआ और उसके खिलाफ बड़ी कारवाई हुई तो पुलिस महकमे के साथ साथ जनता के बीच भी अच्छा   संदेश जाएगा.कुछ लोगों का ये भी आरोप है कि दो होटल कारोबारियों के बीच चल रही अदावत को साधने के लिए थानेदार का इस्तेमाल किया गया है.

सिटी पोस्ट थानेदार पर लगाए जा रहे आरोपों की सत्यता की पुष्टि नहीं करता. सच्चाई के लिए जांच जरुरी है.हो सकता है अभियुक्त गलत आरोप लगा रहे हों. लेकिन कौन गलत है कौन सही  इसके लिए तो निष्पक्ष  जांच जरुरी है. इस मामले की जांच अगर वहीँ थाना प्रभारी करेगा जिसके ऊपर आरोप लग रहे हों तो गलत संदेश जाएगा.

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