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27 अक्टूबर 2013 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 3 दोषियों को फांसी, 2 को उम्रकैद

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सिटी पोस्ट लाइव : 27 अक्टूबर 2013, ये वो वक्त था जब बिहार में लोकसभा चुनाव होने वाले थे. देश के नागरिक अपने भविष्य के लिए प्रधानमंत्री चुनने वाले थे. वहीं कई दल चुनाव प्रचार में जुटे थे. मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच थी. कांग्रेस भाजपा पर तो भाजपा कांग्रेस पर हमला कर रही थी. जबकि गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी उस वक्त भाजपा के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे. एक ऐसा नेता जिसके गुजरात मॉडल की चर्चा पूरे देश में हो रही थी. उन्हें सुनने के लिए हजारों लाखों की भीड़ जमा होती थी.

पटना के गांधी मैदान में उस दिन नरेंद्र मोदी की रैली थी. भारी संख्या में लोग पहुंच रहे थे, लेकिन किसे पता था कि राजनीति की लड़ाई में कोई और भी है जो हमले की फ़िराक में था. गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर सीरियल बम ब्लास्ट हुआ। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 89 लोग घायल हुए थे। उसी मामले में आठ साल बाद फैसला आया है। बता दें कि बुधवार को कोर्ट ने मुख्य छह आरोपित को देशद्रोह, आपराधिक साजिश, हत्या, हत्या का प्रयास, यूएपीए एक्ट की धारा में दोषी करार दिया था। अन्य तीन दोषी पाए गए। एक को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

पटना के गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले में दोषी पाए गए नौ आरोपितों को एनआईए कोर्ट ने सोमवार को सजा सुना दिया। एनआईए कोर्ट ने तीन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं दो आरोपियों को उम्रकैद और दो को 10 साल की सुनाई है। इसके अलावा एक आरोपी को सात वर्ष की सजा सुनाई गई है। नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट की साजिश रांची और रायपुर में रची गई थी। इसका रिहर्सल भी किया था।

बोधगया में सात जुलाई 2013 को ब्लास्ट के बाद ही पटना के गांधी मैदान में ब्लास्ट की योजना इंडियन मुजाहिद्दीन के जिहादियों ने बनाई थी। बोधगया ब्लास्ट का मास्टरमाइंड हैदर अली और मोजिबुल्लाह थे। बोधगया बम ब्लास्ट में हैदर ने बौद्धभिक्षु बनकर बम प्लांट किये थे। इसके बाद गांधी मैदान में मोदी की रैली में ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ का जुगाड़ कर रांची में जमा किया।

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