सिटी पोस्ट लाइव : देश के विभिन्न कोने से बिहार आ रहे प्रवासी मजदूरों की वजह से संक्रमण तेज रफ़्तार से बढ़ रहा है.स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रवासी मजदूरों का जो रैंडम सर्वे किया जा रहा है, वह डरानेवाला है. दिल्ली से आनेवाले 26 फीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. दिल्ली से आनेवाले 1362 लोगों का सैम्पल लिया गया जिसमे से 885 का रिपोर्ट सामने आ गया है. 218 संक्रमित हैं. इसी तरह से पश्चिम बंगाल से आनेवाले 265 लोगों में से 33 लोग संक्रमित निकले.महाराष्ट्र से 12 83 लोगों का टेस्ट इया गया तो 141 कोरोना पॉजिटिव निकल गए.
ये नतीजा तो रैंडम सर्वे का है. अगर सबकी जांच हो तो संक्रमितों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद मानते हैं कि रैंडम सर्वे से कुछ नहीं होनेवाला. बाहर से आनेवाले सभी लोगों की जांच होनी चाहिए. मुख्यमंत्री हर रोज दस हजार सैम्पल की जांच का आदेश तो दे चुके हैं लेकिन अभीतक स्वास्थ्य विभाग एक हजार से ज्यादा सैम्पल की जांच नहीं कर पा रहा है.जाहिर है प्रवासी मजदूरों की वजह से संक्रमण का खतरा बिहार में बहुत बढ़ चूका है.
सबसे ज्यादा चिंता कोरेनटाईन सेंटर में सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो पाने और कोरेनटाईन सेंटर पहुँचाने से पहले प्रवासी मजदूरों के घर भाग जाने को लेकर है.अगर कोरेनटाईन सेंटर में एक भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया तो सबको संक्रमित कर देगा क्योंकि एक एक कमरे में दस दस लोग रह रहे हैं.एक नल और एक दो बाथरूम का सभी इस्तेमाल कर रहे हैं.जो लोग घर भाग जा रहे हैं वो कम्युनिटी ट्रांसमिशन का सबसे बड़ा जरिया बन सकते हैं.एक मजदुर गावं को संक्रमित कर सकता है.
प्रवासी मजदूर ट्रेनों से बिहार आ रहे हैं.उन्हें वहां से बसों से कोरेनटाईन सेंटर भेंज जा रहा है. लेकिन बसों के चालकों का कहना है कि कोरेनटाईन सेंटर के पास जहाँ वो ईन मजदूरों को उतार रहे हैं, वहां कोई अधिकारी नहीं रहता.मजदूर वहीँ से घर भाग जा रहे हैं.मुखिया जीनें सबको कोरेनटाईन सेंटर पहुंचाने की जिम्मेवारी है, वो परेशान हैं.उनका कहना है कि गावं-गावं जाकर ऐसे लोगों को ढूंढ़कर कोरेनटाईन सेंटर पहुँचना आसान काम नहीं है.थानेदार देखते हैं,खाकर पीछा छुड़ा ले रहे हैं.
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