पटना की 2 सब्जी मंडियों से फ़ैल रहा है पटना में कोरोना का संक्रमण?
विक्रेता नहीं कर रहे गाइडलाइन का पालन, प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो बढ़ सकता है संक्रमण.
सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में लॉकडाउन का असर तो दिख रहा है लेकिन ये और भी ज्यादा असरदार हो सकता था अगर प्रशासन शब्जी मंडियों पर कड़ी निगरानी रखता. पटना में सब्जी मंडियों की भीड़-भाड़ कोरोना फैलाने में अहम् भूमिका निभा रही है. इस बार प्रशासन ने शब्जी बाज़ार की अलग व्यवस्था की है. जगह बदल जाने से लोगों को राहत भी मिली, लेकिन प्रशासन अगर ठीक से शब्जी बाज़ार की निगरानी करे तो कोरोना फैलने का खतरा और कम हो सकता है.
दीघा सब्जी मंडी पर सन्नाटा पसरा रहता है. यहां कुछ स्थायी दुकानें हैं या फुटपाथ पर की दुकानें ही सुबह 8:30 बजे खुली दिख रही हैं. सब्जी मंडी को गंगा किनारे जर्नादन घाट के पास शिफ्ट कर दिया गया है. कई दुकानें ठेले पर भी हैं. यहां ज्यादातर सब्जी विक्रेताओं के चेहरे पर मास्क नहीं दिख रहा. पूछने पर अलग-अलग तरह के बहाने. कोई कह रहा है- गमछा ही मास्क है, लेकिन गमछे को कमर में बांधे हुए हैं. प्रशासन को दुकानदार मास्क क्यों नहीं लगा रहे हैं देखने की फुर्सत नहीं है.
भीड़ से लोगों को बचाने के लिए दीघा की सब्जी मंडी को गंगा किनारे शिफ्ट कर दिया गया है. यहाँ खूब भीड़ तो कम हो रही है लेकिन शब्जी विक्रेताओं की लापरवाही की वजह से संक्रमण यहाँ से फ़ैल सकता है.इसी तरह से मीठापुर सब्जी मंडी से थोक विक्रेताओं को चितकोहरा शिफ्ट कर दिया गया है और खुदरा सब्जी विक्रेताओं को संजय गांधी स्टेडियम. संजय गांधी स्टेडियम में भीड़ अच्छी-खासी है. स्टेडियम में सब्जियों के दाम गिर गए हैं. बैगन 10 रुपए किलो, देसला खीरा 10 रुपए किलो, शिमला मिर्च 30 रुपए किलो, परवल 20-25 रुपए किलो बिक रहा है.
सुबह 11 बजे तक का समय ही निर्धारित है इसलिए शहर के खुदरा विक्रेता सुबह 5 बजे ही गंगा किनारे पहुंच जाते हैं और सब्जियां ले आते हैं. स्टेडियम की खुदरा सब्जी मंडी में मास्क का वही हाल है. ग्राहक तो जागरूक हैं, पर बेचने वाले नहीं. वे मास्क लगाए नहीं दिख रहे. कुछ ने लगाया है तो वह नाक या मुंह के नीचे लटका हुआ है. कोई कह रहा कि खाना खाने जा रहे हैं, इसलिए मास्क उतारे हैं. दो सब्जी दुकानदारों के बीच और अधिक दूरी रहनी चाहिए लेकिन वे पास-पास अपनी दुकान लगाए हुए हैं.
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