सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना संक्रमण को लेकर खतरा बढ़ने लगा है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 47 नए मामले सामने आए हैं. इस बीच मंगलवार की देर शाम सीएम नीतीश ने लोगों को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है. इसलिए सावधानी बहुत जरुरी है. अब तो कोरोना के तीसरी लहर को लेकर सभी जगहों पर तैयारियां की जा रही है। इसलिए सबको सावधान रहना जरुरी है.
बता दें सीएम नीतीश ने मंगलवार को आईएमए के अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘राज्य में कोविड महामारी की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है और लोगों को इससे बचाने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं. इसे लेकर मेडिकल स्टाफ ने विभिन्न विभिन्न तैयारी की हैं. पहली और दूसरी लहर में डॉक्टर्स का योगदान सराहनीय था. इसके लिए मैं आपका अभिनंदन करता हूं।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों का इलाज आपलोग करते रहे। सभी की जान बचाने के लिए भगवान की तरह आप लोगों को दर्जा मिलता है। 24 नवंबर 2005 में हमलोगों को काम करने का मौका मिला। उसके बाद हमने सर्वेक्षण कराया और फरवरी 2006 में सर्वे की रिपोर्ट आयी तो उसमें पता चला कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक माह में मात्र 39 मरीज इलाज के लिये जाते थे, उस समय अस्पतालों की क्या हालत थी। कितने डॉक्टरों को बिहार छोड़कर जाना पड़ा था। वैसी स्थिति में हमलोगों ने काम करना शुरु किया और अब कितना बड़ा परिवर्तन आया है। अस्पतालों में चिकित्सकों, कर्मियों की उपलब्धता के साथ-साथ मुफ्त दवा की व्यवस्था हमलोगों ने करवाई।
लोगों के इलाज के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा भी हमलोगों ने अगस्त2006 से उपलब्ध कराया। उस समय के उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत जी से हमलोगों ने इसकी शुरुआत करायी थी। वर्ष 2019 में जो आंकड़ा सामने आया उसके अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 10 हजार मरीज प्रतिमाह पहुंचने लगे। वर्ष 2013 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने हमें फोन कर कहा कि राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में दवा उपलब्ध करायी जाती है।
हमने हंसते हुए उनसे कहा कि हमलोग वर्ष 2006 से ही राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में दवा उपलब्ध कराने का काम रहे हैं। हम काम अधिक करते हैं, प्रचार कम करते हैं। हम प्रचार-प्रसार में विश्वास नहीं करते हैं बल्कि काम करते हैं। कुछ लोग काम कम और प्रचार अधिक करते हैं। इतने दिनों तक तत्कालीन केंद्र की सरकार को इसकी जानकारी नहीं थी।
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