नहीं मिल रहा ब्लैक फंगस का इंजेक्शन, खतरे में सैकड़ों मरीजों की जान
ब्लैक फंगस के मरीजों का मुफ्त ईलाज का सरकार का दावा फेल, पैसे देने पर भी नहीं मिल रही दवा.
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की जान खतरे में है.गौरतलब है कि बिहार के अस्पतालों में सैकड़ो ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. दवा के अभाव में उनका ईलाज नहीं हो पा रहा है. पटना एम्स में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को पिछले तीन दिनों से लाइपोसोमल एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का डोज नहीं लग पा रहा है. इस वजह से उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. किसी की बीपी अचानक बढ़ गई है, तो किसी को कमजोरी महसूस हो रही है. किसी को चक्कर आ रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों ने भी दवा की कमी को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है.
पटना एम्स में ब्लैक फंगस के मरीज का ईलाज करवाने आये लोगों का खाना है कि भर्ती लेने से पहले ही डॉक्टर ने कहा दवा की अनुपलब्धता पर मरीजों की जिम्मेदारी अस्पताल नहीं लेगा. अगर दवा की कमी की वजह से मरीज को कुछ भी होता है, तो इसके लिए परिजन ही जिम्मेदार होंगे. ऐसी स्थिति में मरीजों के परिजन दवा के लिए बार-बार डॉक्टर से गुहार लगा रहे हैं.कुछ मरीजों के परिजन बाहर से अधिक कीमत पर दवा खरीद रहे हैं. हालांकि, बाहर में भी एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की किल्लत है.
अस्पताल प्रशासन की मानें तो ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए मुफ्त में यहां एंटीफंगल दवा की व्यवस्था है. लेकिन, मरीज के परिजनों की शिकायत है कि उन्हें पोसाकोनाजोल के लिए अस्पताल में पांच हजार रुपए जमा कराने पड़ रहे हैं. पैसा जमा करने के दो दिन बाद भी दवा नहीं मिली है. अस्पताल से उन्हें सांत्वना मिली है कि बाद में इसका पैसा लौटा दिया जाएगा. पटना एम्स में ब्लैक फंगस के 114 मरीज हैं.आईजीआईएमएस में 108 मरीज भर्ती हैं.पीएमसीएच में अभी 29 मरीज भर्ती हैं.
ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए राज्य के सरकारी अस्पतालों में 2400 पोसाकोनाजोल टैबलेट 100 एमजी का आवंटन किया गया है. राज्य स्वास्थ्य समिति ने एम्स पटना को 750, आईजीआईएमएस को 1100, पीएमसीएच को 350 तथा जेएलएनएमसीएच को 200 टैबलेट उपलब्ध कराया है। 2780 टैबलेट के स्टॉक बीएमएसआईसीएल को मिला था, जिसमें से 2400 टैबलेट अस्पतालों को दिए गये. 380 टैबलेट अभी बीएमएसआईसीएल के स्टॉक में है. इन आवंटित टैबलेट की खपत के बाद मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य समिति को रिपोर्ट भी भेजनी होगी. इसमें दवा की उपयोगिता, भंडारण से संबंधित प्रतिवेदन मिलने के बाद ही अगला आवंटन किया जा सकेगा.
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