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दिल्ली-NCR में फंसे पूर्वांचल के कामगारों की कब होगी घर वापसी?

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दिल्ली-NCR में फंसे पूर्वांचल के कामगारों की कब होगी घर वापसी?

सिटी पोस्ट लाइव : देश में लॉकडाउन (Lockdown) 17 मई तक बढ़ने के साथ ही दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस भेजने का काम शुरू हो चूका है. कई राज्य सरकारों (State Government) ने बाहर फंसे अपने लोगों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं. ये नोडल अधिकारी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था देख रहे हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार ने भी अपने यहां 10 नोडल अधिकारियों की एक टीम बनाई है, जो देश के अलग-अलग राज्यों के साथ कॉर्डिनेशन का काम करेंगे. लेकिन, इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर के लाखों प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाने में बड़ी चुनौती पेश आ रही है. दरअसल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य सरकारों ने अभी तक दिल्ली-एनसीआर में फंसे लोगों के घर वापसी को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

दिल्ली से दूसरे राज्यों खास कर यूपी-बिहार और झारखंड के लिए अभी भी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. दिल्ली के सभी 11 जिले रेड जोन घोषित हैं और यहां पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या चार हजार की संख्या को पार कर गया है. ऐसे में अभी तक फैसला नहीं हो सका है कि दिल्ली से स्पेशल श्रमिक ट्रेन चलाई जाएंगी तो कब चलाई जाएंगी और उसके लिए क्या-क्या जरूरी चीजें होंगी.कोरोनावायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है. बड़े शहरों में कामकाज के सिलसिले में रहने वाले मजदूर और कामगार वापस अपने घरों को लौटने के लए मजबूर हैं.

राज्य सरकारों को लगता है कि इन मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के काम में बहुत दिक्कत आने वाली है. दिल्ली-एनसीआर में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के मजदूरों की बड़ी संख्या है. गृह मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक विशेष श्रमिक ट्रेन चलाने के लिए यह जरूरी है कि जिस राज्य में मजदूर फंसे हुए हैं और जहां के रहने वाले हैं उन दोनों राज्यों की सहमति जरूरी है. इस स्थिति में दिल्ली सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों की सरकार के सहमति के बाद ही विशेष ट्रेन चलाना संभव है.

अधिकारियों की मानें तो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के श्रमिकों को भेजने से पहले  स्क्रीनिंग कराना एक बड़ी चुनौती है. होम मिनिस्ट्री की गाइडलाइन के मुताबिक, दिल्ली सरकार मजदूरों की स्क्रीनिंग करने के बाद ही उन्हें ट्रेन से भेज सकती है. दूसरी तरफ जिस राज्य में ये मजदूर जा रहे हैं वहां पर उनके लिए क्वारंटाइन की व्यवस्था भी अनिवार्य होगी. ऐसे में अगर ये लोग बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्य में जाते हैं तो वहीं की सरकार को इनको 21 दिन तक क्वारंटाइन करना भी एक बड़ी चुनौती है.वैसे दिल्ली सरकार मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए अन्य राज्य सरकारों के संपर्क में है. इसके लिए नियुक्त नोडल अधिकारी लगातार बात भी कर रहे हैं. दिल्ली सरकार घर लौटने वाले मजदूरों को मेडिकल और स्क्रीनिंग की सुविधा देने के लिए तैयार है. लेकिन, विशेष ट्रेनों और बसों के लिए इन राज्यों को खुद ही अनुरोध करना पड़ेगा तभी यह मजदूर जा सकेंगे.

दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के मार्फत (जरिए) घर वापस लौटने वाले मजदूरों के नाम, उनके पते लिखना शुरू कर दिया है. दिल्ली के हर थाने में घर वापसी के इच्छुक फॉर्म भर कर जमा कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस खुद भी इलाकों में जाकर उनके नाम-पता और फोन नंबर लिख रही है. दिल्ली सरकार अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर रही है कि जब भी ट्रेन चलाने का ऐलान होगा वो कागजी कार्रवाई और डाटा केंद्र सरकार के साथ शेयर कर देगी. फिलहाल दिल्ली में पांच से सात लाख मजदूरों की संख्या होने की बात सामने आ रही है. अगर छात्रों, पर्यटकों को जोड़ दें तो यह आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा.

बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने भी इन लोगों की वापसी को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि दूसरे राज्यों में जो लोग फंसे हैं और बिहार लौटना चाहते हैं उनका पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कराया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार एक एप पर काम कर रहा है. बहुत जल्द ही इस एप के जरिए लोग अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात सरकार से बिहार सरकार की बात भी हुई है. इन राज्यों में ट्रेनें चलनी भी शुरू हो गईं हैं, लेकिन दिल्ली के लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है.

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