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प्रवासी बिहारियों ने बढ़ाया संक्रमण का खतरा, 49 में 44 पाए गए कोरोना पॉजिटिव

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प्रवासी बिहारियों ने बढ़ाया संक्रमण का खतरा, 49 में 44 पाए गए कोरोना पॉजिटिव.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में प्रवासी मजदूरों के लौटने के साथ बिहार में कोरोना का संक्रमण कई गुना रफ़्तार पकड़ सकता है. बिहार सरकार  के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शनिवार को 15 घन्टे के भीतर मिले 49 पॉजिटिव मरीजों में से कुल 44 ऐसे मरीज हैं जो हाल ही में अलग-अलग राज्यों से बिहार (Migrant Bihari) पहुंचे हैं. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि इन सभी मरीजों की बिहार पहुंचने पर दो से तीन जगहों पर स्क्रीनिंग भी की गई थी लेकिन इन्हें अधिकारियों और डॉक्टरों की टीम ने क्लीन चिट देते हुए क्वारेंटीन सेंटर (Quarantine Center) भेज दिया था जहां से सैम्पल लिए जाने के बाद पॉजिटिव रिपोर्ट का खुलासा हुआ है.

गृह मंत्रालय के लॉक डाउन के आदेश के वावजूद उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रवासी मजदूरों को बिहार के बॉर्डर पर छोड़ दिया था. राज्य सरकार को इन प्रवासी बिहारियों को बिहार में एंट्री देनी पड़ी थी.अब यहीं मजदूर सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं.अभी बाहर से आनेवाले श्रमिकों का सिलसिला जारी है. रोज बीस हजार से ज्यादा मजदूर ट्रेन से और पैदल चलकर बिहार पहुँच रहे हैं.सिटी पोस्ट लाइव की टीम बिहार उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े इंटर स्टेट बॉर्डर गोपालगंज पहुंची थी.सिटी पोस्ट के एडिटर इन चीफ ने ये खुलासा किया था कि यहं आनेवाले मजदूरों और दूसरे प्रवासियों के स्क्रीनिंग की पुख्ता व्यवस्था नहीं है.उनकी जांच के लिए यहाँ कोई डॉक्टर की टीम नहीं है.केवल सामान्य थर्मल स्क्रीनिंग कर उन्हें कोरेनटाईन सेंटर भेंज दिया जा रहा है.

आनेवाले दिनों में ये कोरेनटाईन सेंटर संक्रमण का सबे बड़ा जरिया बन सकते हैं क्योंकि यहाँ पर खाने पीने की व्यवस्था तो है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का बिलकुल पालन नहीं हो रहा है.एक कमरे में दस दस लोग रह रहे हैं.इनमे कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनमे कोरोना के लक्ष्ण पाए गए हैं और उनका कोरोना टेस्ट भी हुआ है.उनको अलग रखने की व्यवस्था नहीं है.

 कोरोना के बढ़ते आंकड़े और आंकड़ा 650 के करीब पहुंच जाने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग जांच की क्षमता बढ़ाने से लेकर अस्पताल में संसाधनों का बढ़ाने का निर्णय लिया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की मानें तो किसी भी व्यक्ति का जब सैम्पल लिया जाता है तो रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही उसे आइसोलेशन में भर्ती किया जाता है. उन्होंने कहा कि राज्य में 3 कोविड हॉस्पिटल बनाया गया है जिसमें पटना का एनएमसीएच,गया का एएनएमसीएच और भागलपुर का जेएलएनएमसीएच जिसमें कोविड के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.

इन कोविड अस्पतालों में 2344 बेड लगे हैं जबकि 116 बेड का आईसीयू काम कर रहा है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी राज्य के 7 जांच केंद्रों पर सैम्पल जांच की जा रही है जबकि आनेवाले कुछ दिनों में जांच के लिए यह 3 और लैब बढ़ाये जाएंगे. अब तक राज्य में लगभग 35000 सैम्पल की जांच हो चुकी है हांलाकि स्वास्थ्य मंत्री ये भी मानते हैं कि दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या कम है बावजूद विभाग पूरा सतर्क है.

जांच को लेकर उन्होंने बताया कि मशीनों की खरीदारी भी शुरू हो गयी है और सीबी नेट मशीन के जरिये अब तेजी से जांच हो सकेगा जिसको लेकर 100 कॉटेज की व्यवस्था करा ली गयी है और बाकि कॉटेज की आपूर्ति के लिए आदेश जारी कर दिया गया है. साथ ही राज्य में कुछ ज़िलों में भी स्क्रीनिंग के लिए ट्रू नेट मशीन की खरीदारी की जाएगी. फिलहाल 30 ट्रू नेट मशीन भारत सरकार की तरफ से भेजी जा रही है और 10 मशीन बिहार सरकार ने खरीदने का आदेश दिया है.

राज्य में अभी सैम्पल जांच आरटीपीसीआर मशीन के जरिये की जा रही है लेकिन अब सरकार हाईटेक ऑटोमेटिक मशीन भी खरीदने जा रही है. उन्होंने बताया कि अभी राज्य में एक दिन में 1700 सैम्पल जांच की क्षमता है और अगले 2 से 3 दिनों में राज्य में 2600 जांच एक दिन में कराई जाएगी. जाहिर है स्वास्थ्य मंत्री ने खुद कोरोना को अदृश्य दुश्मन बताते हुए व्यवस्था का हवाला दिया है अब देखना है कि आनेवाले वक्त में कोरोना जैसी महामारी को सरकार कैसे नियंत्रण में लाती है.

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