सीएम सर नालंदा के इन गरीबों को देखिए, घोंघा-सितुआ खाकर कैसे जिंदा रहेंगे?
सिटी पोस्ट लाइवः कोरोना संकट की वजह से पूरा देश लाॅकडाउन मोड में है। हम सब एक वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं जाहिर है यह लड़ाई मुश्किल है लेकिन मुश्किलें जिनकी नियती बनकर रोज उनका इम्तहान लेती है इस कोरोना संकट ने उनकी जिंदगी को कितना दुश्वार किया है यह जानना भी बेहद जरूरी है। बिहार शरीफ के तियुरी पंचायत के अलोदिया गांव की यह तस्वीर देखिए। महादलितों के दर्द को समझिए। 28 परिवारों वाले इस दलित टोले की कुल आबादी 100 से अधिक है। अव्वल दर्जे की गरीबी की तकदीर वाले ये लोग घोंघा सितुआ खाकर बस जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं। बस गुजारे लायक जीवन जीने वाले इन लोगों का गुजारा अब मुश्किल है।
रोज की आय पर निर्भर इन लोगों को शायद अंदाजा नहीं था कि जो बेहिसाब दर्द गरीबी इन्हें रोज देती है दरअसल असली इम्तहान अभी बाकी था। कोरोना संकट में खाने के लाले पड़े हैं। सरकारी मदद इनके घर का रास्ता भूल गयी है शायद, या फिर इस भीषण संकट में भी सरकारी दावों और हकीकत के बीच की खाई अब भी वही है इसलिए न राशन पहुंचा है, न पैसा पहुंचा है और न हीं कोई दूसरी जरूरी मदद पहुची है इसलिए घोंघा सितुआ के सहारे जिंदा रहने की कोशिश जारी है।
ईट भट्ठे पर काम करने वाले महादलितों के इन परिवारों केे चुल्हे रोज उसी आय से जलते हैं। लाॅकडाउन में चुल्हा भी बुझ गया और सरकार की मदद भी नहीं पहुंच रही ऐसे में जिंदगी और बदत्तर हो गयी है।
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