सिटी पोस्ट लाइव : राजधानी पटना में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच मरनेवालों का दाह संस्कार करने के लिए भी परिजनों को इंतजार करना पड़ रहा है। श्मशान घाट पर परिजन शव को कतार में रखकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि पटना नगर निगम के सिटी और अजीमाबाद अंचल के खाजेकला घाट पर विद्युत शवदाह गृह चालू होने से लोगों को राहत मिली है।
पटना में कोरोना से हो रही मौत के बाद 20 से 24 घंटे तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में परिजनों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। अस्पताल में बेड के लिए इंतजार करने के बाद उन्हें श्मशान घाट पर भी भूखे-प्यासे इंतजार करना पड़ रहा है।
दरअसल, शवों की संख्या बढ़ने से श्मशान घाटों की व्यवस्था चरमरा गई है। पिछले साल की तुलना में इस बार कोरोना से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। बांस घाट पर हर रोज 65 से 70 शव आ रहे हैं। वहीं, पिछले वर्ष जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था, तब औसतन 20 से 25 शव जलाए जाते थे। इस बार यह आकड़ा अभी ढाई से तीन गुना से अधिक हो गया है।
पिछले तीन सप्ताह में बांस घाट पर कोविड के करीब 900 से अधिक संक्रमित शव को जलाया जा चुका है। यहां जलने वाले शव पटना जिला समेत दूसरे जिलों के भी हैं, जिनकी मौत पटना के अस्पतालों में हुई है।
पटना के बांस घाट पर सबसे अधिक कोविड शवों को जलाया जा रहा है। 24 घंटे यहां संक्रमित शव पहुंच रहे हैं। एक कतार में 19 से 20 संक्रमित शव रखे गए हैं। अभी पुराने की कतार खत्म नहीं होती है कि नयी कतार लगनी शुरू हो जा रही है। पिछले पांच दिनों से यहां 65 से 70 शव पहुंच रहे हैं। जिसके कारण संक्रमित शव को जलाने में किसी को 17 घंटा, तो किसी को 20 घंटा से अधिक इंतजार करना पड़ रहा है।
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