सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि जहां पर परिवहन तक की कोई सुविधा नही हैं, वहां से भी अब उनकी सरकार प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) को वापस ला रही है. यह श्रमिकों के लिए सुकून देने वाला क्षण है. हालांकि प्रवासी मजदूर मानसिक रूप से अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. भय के इस माहौल में दूसरी वजहों से भी उनकी मौत हो जा रही है. सरकार इस बात को समझती है और इस दिशा में काम भी कर रही है.
सीएम हेमंत ने बताया कि लेह से दुमका के 60 मजदूरों को फ्लाइट (Airlift) से रांची लाया जा रहा है. यह सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है. झारखंड सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर गंभीर है. अब तक करीब साढ़े चार लाख मजदूरों को प्रदेश वापस लाया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जो भी मजदूर प्रदेश लौट रहे हैं, उनकी स्किल मैपिंग की जा रही है. ताकि उन्हें प्रदेश में ही रोजगार दिया जा सके. इसके लिए सरकार गंभीर है.
मजदूरों की सड़क दुर्घटना में हो रही मौत पर मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा कि ज्यादातर मजदूर अपने भविष्य को लेकर चिंता के दौर से गुजर रहे हैं. यही उनकी मौत की वजह बन रही है. सरकार इस चीज को समझ रही है. इसलिए रोजगार ने नए अवसर तलाशने की कोशिश हो रही है.प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर रखी हुई है. 31 मई के बाद स्थिति का आकलन कर लॉकडाउन 5.0 पर फैसला लिया जाएगा. जरूरत पड़ी तो लॉकडाउन को आगे बढ़ाने से भी पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि स्वास्थ्य सबसे ऊपर है.
बता दें कि झारखंड प्रवासी मजदूरों को एयरलिफ्ट (Air lift) कराने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. मजदूरों की मुफ्त यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर राज्य सरकार ने लेह के बटालिक से 60 मजदूरों को एयरलिफ्ट कराया. इन्हें पहले राजधानी रांची लाया जा रहा है, जहां से इन्हें दुमका भेजा जाएगा. ये सभी श्रमिक दुमका के रहने वाले हैं और लेह के बटालिक सेक्टर में बीआरओ प्रोजेक्ट में काम करते थे. आगे अंडमान से लगभग 320 श्रमिकों को एयरलिफ्ट कराने की भी तैयारी है.
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