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मरीजों को दवा देने की जगह कूड़े में फेंक दी लाखों की दवाइयां.

अस्पतालों में बांटने के लिए आई सरकारी दवाओं को किया बर्बाद, सबूत मिटाने के लिए रैपर भी फाड़े.

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सिटी पोस्ट लाइव :एक तरफ सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाइयाँ नहीं मिल रही हैं दूसरी तरफ पटना में लाखों की सरकारी दवाएं कूड़े में मिल रही हैं.ये दवाएं किस बीमारी की हैं और किन मरीजों को दी जानी थी, फेंकने से पहले इसका सबूत भी मिटा दिया गया है. बिना रैपर वाली इन दवाओं को सिविल सर्जन के दफ्तर के पास ऐसी जगह फेंका गया है, जहां किसी की नजर नहीं पड़े. दवाओं के साथ ऐसे कीमती जेल भी फेंक दिए गए हैं, जो वैक्सीन की कोल्ड चेन मेंटेन करने के काम आती है.

सिविल सर्जन कार्यालय कैंपस में ही जिला वैक्सीन का स्टोर है . यहां नए भवन में वैक्सीनेशन भी होता है. नए भवन और वैक्सीन स्टोर के बीच में खाली पड़ी जगह पर ही ऐसी दवाओं को कूड़े की तरह रखा गया है. यहां किसी की नजर नहीं जाती है, क्योंकि दवाओं को फेंकने का राज विभाग के लोग ही जानते हैं. यहां दवा की छोटी-छोटी गोलियां हैं फेंकी गईं है. दवाएं डिब्बे और रैपर में नहीं हैं.ईन दवाइयों को फेंकने के पहले इसको रैपर और डब्बे से निकाला गया, जिससे दवाओं के सबूत मिट जाए.

कूड़े के ढेर में सिर्फ दवाएं ही नहीं हैं, इसमें कई ऐसे सामान हैं, जो डिस्पोज कर दिए गए हैं. वैक्सीन बॉक्स के साथ कूलेंट जेल पैक भी फेंका गया है, जो वैक्सीन बॉक्स में वैक्सीन का तापमान मेंटेन करने का काम करते हैं. कई इंजेक्शन और अन्य दवाएं भी फेंकी गई हैं, जो कीमती हैं. पोलिया के बॉक्स दिखने में ठीक हैं, लेकिन उसे कूड़े के ढेर पर फेंका गया है.

सिविल सर्जन डॉ विभा सिंह का कहना है कि दवाएं कहां से कौन फेंका है, इसकी जांच कराई जाएगी। ये दवाएं कौन-सी हैं और क्यों नहीं लोगों को दी गईं, इसकी पूरी जांच-पड़ताल कराई जाएगी. सिविल सर्जन का कहना है कि गोलियां अब कोई भी खुली नहीं आती हैं, यह कहां से आई इसका पता लगाया जाएगा.गौरतलब है कि इसके पहले भी स्टेट हेल्थ सोसायटी कैम्पस में सैकड़ों ऑक्सीजन सिलेंडर फेके हुए मिले थे.उस समय भी सिविल सर्जन ने डीएम को गलत जानकारी देकर सच्चाई पर पर्दा डालने का काम किया था.

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