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कोरोना वायरस के दुबारा संक्रमण का खतरा क्यों, कैसे करें बचाव ?

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कोरोना वायरस के दुबारा संक्रमण का खतरा क्यों, कैसे करें बचाव ?

सिटी पोस्ट लाइव : दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के व्यवहार को समझने के लिए दिन रात शोध कर रहे हैं.माना जाता है कि एक बार कोरोना वायरस या फिर इस जैसे संक्रमण के बाद उसके ख़िलाफ़ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है और वही वायरस दूसरी बार उस व्यक्ति को संक्रमित नहीं करता.लेकिन कोरोना वायरस के कारण होने वाली कोविड 19 बीमारी से ठीक हुए कई मरीज़ों के ताज़ा टेस्ट पॉज़िटिव आए हैं. तो क्या ये वायरस दूसरों से अलग है?

70 साल के एक व्यक्ति के मामले में डॉक्टरों को हैरान परेशान कर दिया है.इन व्यक्ति में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया था जिसके बाद फरवरी में इन्हें टोक्यो के एक अस्पताल में दूसरों से अलग-थलग रखा गया था. ये व्यक्ति कोविड 19 से पूरी तरह ठीक हो गए थे और टेस्ट नतीजे नेगेटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई थी.वो सामान्य ज़िंदगी में लौट आए थे और आम दिनों की ही तरह सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने लगे थे. लेकिन कुछ दिनों बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें बुख़ार आ गया.डॉक्टर उस समय चौंक गए जब कोरोना वायरस के लिए उनका टेस्ट पॉज़िटिव आया.

फिर से अस्तपाल पहुंचने वाला ये जापान का इकलौता मामला नहीं है, यहां ऐसे कई और मामले सामने आए हैं जब कोरोना से ठीक हुए लोगों में फिर से इसी वायरस का संक्रमण देखने को मिला है. लेकिन क्यों? क्या वजह है कि ये दूसरी बार व्यक्ति को संक्रमित करता है?ब्रितानी सरकार कोरोना वायरस से निपटने के साथ-साथ नागरिकों की रोग प्रतिगरोधक शक्ति को बढ़ाने की भी कोशिश कर रही है.

लुई एख़ुआनेस स्पेनिश नेशनल सेंटर फ़ॉर बायोटेक्नोलॉजी (सीएसआईसी) में वायरस पर शोध करते हैं. उनके अनुसार कम से कम 14 फ़ीसदी ऐसे मामले हैं जिनमें पहले इस वायरस से ठीक हुए लोगों में कोरोना वायरस टेस्ट दोबारा पॉज़िटिव पाया गया है.वो कहते हैं कि उनमें फिर से वायरस संक्रमण नहीं हुआ है बल्कि वही वायरस फिर से उनके शरीर में ख़ुद को बढ़ा रहा है. इसे मेडिकल विज्ञान में “बाउंसिंग बैक” कहते हैं.

एख़ुआनेस कहते हैं, “मेरा मानना है कि हो सकता है कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति कोरोना वायरस से हमेशा के लिए लड़ने के लिए तैयार नहीं हो पाती. और जैसे ही व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति ज़रा कमज़ोर पड़ती है पहले से शरीर में मौजूद वायरस शरीर पर हमला कर देता है.”

जानकार मानते हैं कि कोरोना वायरस कोविड 19 की बिमारी से पूरी तरह ठीक हो चुके 14 फीसदी लोगों में ये संक्रमण फिर से दिख सकता है.कुछ वायरस इंसानी शरीर के भीतर तीन महीने या फिर इससे अधिक वक्त तक रह सकते हैं.एख़ुआनेस कहते हैं, “पहले अगर किसी व्यक्ति में वायरस मिला है और उसके बाद किया गया टेस्ट नेगेटिव आया तो माना जाता है कि उस व्यक्ति के शरीर ने उस वायरस से लड़ना सीख लिया है. और इस कारण वो वायरस फिर से उस व्यक्ति को परेशान नहीं कर सकता.””लेकिन कई बार शरीर के ऐसे टीशू में कुछ वायरस छिपे रह जाते हैं जहां शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति का असर कम पहुंचता है.

कोविड 19 के बारे में जिस एक बात को लेकर वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ गई हैं, वो है व्यक्ति के ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित होने के बीच का कम वक्त.हम ये जानते हैं कि अलग-अलग बीमारियों के ख़िलाफ़ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति अलग-अलग तरह से काम करती है.खसरे के मामले में कम उम्र में दिया गया टीका पूरी ज़िंदगी के लिए व्यक्ति को उस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार कर देता है.

.कोविड 19 एक नया वायरस है और वैज्ञानिक फ़िलहाल इसके व्यवहार को समझने की कोशिश में लगे हैं. वो इसे समझने में व्यस्त हैं कि कोरोना वायरस इतनी जल्दी कैसे फिर से लौट आता है.मैड्रिड के कार्लोस III हेल्थ इंस्टीट्यूट में बतौर शोधकर्ता काम कर रहे इज़िडोरो मार्टिनेज़ कहते हैं कि कोरोना वासरस का फिर से उसी व्यक्ति में लौटना कोई नई बात नहीं लेकिन कोविड 19 के मामले में ये कम वक्त में हो रहा है.मार्टिनेज़ ने बीबीसी को बताया, “ऐस नहीं है कि आपका शरीर इससे हमेशा के लिए लड़ना सीख जाता है. अगर साल-दो साल के बीच फिर से महामारी जैसी स्थिति आई तो ये वायरस आपको दोबारा संक्रमित कर सकता है.”

“लेकिन ऐसा आम तौर पर होता नहीं है कि जो वायरस से लड़ कर उसे हरा चुका हो उसमे दोबारा उसी वायरस का संक्रमण हो जाए. जहां तक हम जानते हैं फ्लू वायरस की तरह ये वायरस बार-बार अपना रूप नहीं बदलता.”मार्टिनेज़ इस बात में एख़ुआनेस से सहमत हैं कि जिनमें ये मामले दोबारा देखे जा रहे हैं शायद उनमें संक्रमण पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ होगा.

पैन अमरीकन हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (पीएएचओ) के अनुसार  “कोविड 19 एक नया वायरस है जिसके बारे में हमें कम ही पता है. इसके बारे में रोज़ नई नई जानकारी जुटाई जा रही है. पीएएचओ के अनुसार कोरोना के  दोबारा संक्रमण के कारणों के बारे में अभी तक निश्चितरूप से कुछ भी दावा करना संभव नहीं है.

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