City Post Live
NEWS 24x7

जिंदगी के साथ ही नहीं समाज और नाते-रिश्ते के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है कोरोना.

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

जिंदगी के साथ ही नहीं समाज और नाते-रिश्ते के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है कोरोना.

सिटी पोस्ट लाइव :  कोरोना के संक्रमण को लेकर सरकार चिंतित है लेकिन समाज का अध्ययन करनेवाले लोग कोरोना की वजह से समाज में आ रहे बदलाव को लेकर चिंतित हैं.उनका कहना है कि कोरोना एक स्टिग्मा बन गया है.कोरोना संक्रमितों से उनके परिवार और रिश्तेदार अछूत जैसा व्यवहार कर रहे हैं.बहार से लौट रहे लोगों को उनके घरवाले ही स्वीकार नहीं कर रहे हैं.उन्हें जबरन कोरेनटाइन सेंटर भेंज दे रहे हैं.आज की तारीख में कोई प्रवासी चाहें वह कोरोना संक्रमित हो या स्वस्थ,उसे गावं में लोग नहीं  घूसने  दे रहे.परिवार भी उसे घर में इंट्री नहीं दे रहा.

 35 वर्षीय रामप्रसाद जो दिल्ली में नौकरी करते हैं.कोरोना का संक्रमण दिल्ली में बढ़ा तो ये अपने घर बिहार भाग आये.लेकिन न तो इन्हें गावं में घुसाने की इजाजत मिली और ना ही घर में.इन्हें थक हारकर कोरेनटाईन सेंटर पहुंचना पड़ा.ये गोपालगंज के मीरगंज का कोरोना कोरोन टाईन सेंटर है.यहीं पर ये रह रहे हैं.इनका कहना है कि इन्हें लगा कि यहाँ आयेगें और जांच होगी और फिर घर चले जायेगें.लेकिन 14 दिन हो गए हैं, ये यहीं हैं.

 राम प्रसाद एकलौते ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें अपने गावं और घर में इंट्री नहीं मिली. रोज ऐसे दर्जनों मामले आ रहे हैं, जहाँ लॉक डाउन में बाहर से हजारों किलो मीटर चलकर अपने गावं-घर पहुंचे लोगों को गावं में नहीं घुसाने दिया जा रहा है.घरवाले भी वगैर जांच के अपनाने को तैयार नहीं है.कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहाँ, कोरोना से जंग जितने के वावजूद उन्हें समाज सहजता के साथ स्वीकार नहीं कर रहा है.समाजशास्त्रीएस. नारायण   समाज में आये इस बदलाव से चिंतित हैं.उनका कहना है कि समाज और घर-परिवार बिखर रहा है. सारे नाते रिश्ते तार तार हो रहे हैं.

समाजशास्त्री एस.नारायण का कहना है कि   कोरोना के संक्रमण से लड़ने में सरकार जुटी हुई है. संभव है हम कोरोना को हरा भी दें.एक दिन तो हरायेगें ही.लेकिन समाज का जो तानाबाना इस बीमारी की वजह से बिखर रहा है, जो रिश्ते नाते बर्बाद हो रहे हैं, उससे लड़ने की सरकार के पास न तो कोई योजना है और ना ही इसको लेकर वो ज्यादा चिंतित दिखती है.कोरोना केवल जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहा बल्कि वो अपनों को अपनों से दूर भी कर रहा है.एकबार जो कोरोना से पीड़ित हो गया, उसे सहजता के साथ न तो समाज अपनाने को तैयार है और ना ही परिवार.अगर समय रहते सरकार ने इस सामाजिक संकट पर ध्यान नहीं दिया तो समाज को टूटने और बिखरने से रोक पाना नामुमकिन हो जाएगा.क्योंकि पहले ही कोरोना की वजह से साम्प्रदायिक तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है.लोग एक दुसरे को शक की निगाह से देखने लगे हैं.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.