सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना महामारी की चुनौती को ठग मोती कमाई के सबसे बड़े अवसर में बदल चुके हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर, आईसीयू. रेमडेसिविर दवा दिलाने के नाम पर पूरे देश में बडे पैमाने पर ठगी जारी है. कोरोना के इलाज के नाम पर ठगी कर रहे हैवान बेहद शातिर हैं. उन्होंने ठगी में प्रयोग किये जा रहे 175 से ज्यादा नंबरों को टूकॉलर में कोविड हेल्पलाइन के नाम पर सेव कर रखा है. यानि जिसके पास कॉल जाये या जो कॉल करे उसे लगे कि सही नंबर से मदद ली जा रही है.
बिहार के इन ठगों में सबसे ज्यादा संख्या नालंदा के लोगों की है. नालंदा से हो रही ठगी का आलम ये है कि दिल्ली पुलिस की एक टीम एक सप्ताह से बिहारशऱीफ में कैंप कर रही है. उसने दर्जन भर ठगों को अपनी हिरासत में लिया है.दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार ऐसे 900 मोबाइल नंबरों की पहचान की गयी है जिससे कोरोना पीड़ितों को मदद करने के नाम पर ठगी की जा रही है. ऐसे नंबरों को पुलिस ने ब्लॉक किया है. इन मोबाइल नंबरों के जरिये सिर्फ दिल्ली में ठगी के 372 मामले दर्ज किये जा चुके हैं. पुलिस ने अब तक 90 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन ठगी के ज्यादातर मामलों के तार बिहार के नालंदा औऱ आसपास के इलाकों से जुड़ते नजर आ रहे हैं.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि ठगी में प्रयोग किये जा रहे जिन मोबाइल सिम कार्ड को ब्लॉक किया गया है उसमें से 40 फीसदी सिम कार्ड पश्चिम बंगाल से इश्यू कराये गये हैं. कुल 900 सिम ब्लॉक किया गया उसमें 359 बंगाल के हैं. सबसे ख़ास बात ये है कि बंगाल के सिम कार्ड जिसका इस्तेमाल ठगी में किया जा रहा है उनमे से 70 प्रतिशत सिम कार्ड का लोकेशन नालंदा औऱ आसपास के इलाकों में पाया जा रहा है. कुछ सिम कार्ड का लोकेशन झारखंड के जामताडा में भी मिला है.
कोरोना के नाम पर ठगी का खुलासा करने के लिए एक सप्ताह से दिल्ली पुलिस की टीम ने नालंदा में डेरा डाल दिया है. स्थानीय पुलिस के सहयोग से दिल्ली पुलिस ने ताबड़तोड छापेमारी की है. इसमें नालंदा औऱ आस-पास के इलाकों से एक दर्ज लोग पकडे गये हैं. पुलिस ने उनके पास से 98 मोबाइल फोन बरामद किये हैं जिसका इस्तेमाल ठगी में हो रहा था. उनके 230 बैंक खातों का पता चला है जिसमें पैसे जमा कराये जा रहे थे.
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