लॉकडाउन में बिहार लौटे 15 लाख मजदूरों को नीतीश सरकार देगी जॉब कार्ड.
सिटी पोस्ट लाइव :लॉकडाउन की वजह से बिहार में लौटे लाखों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की योजना पपर बिहार सरकार गंभीरता से काम कर रही है. दूसरे राज्यों से तकरीबन 15 लाख मजदूर बिहार में वापस लौटे हैं. अब इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. आने वाले समय में यह समस्या विकराल रूप धारण कर सकती है. ऐसे हालत में बिहार सरकार ग्रामीण विकास विभाग को यह जिम्मा सौंपा गया है कि बेरोजगार हुए मजदूरो को रोजगार मुहैया कराया जाए.
बिहार सरकार के ग्रमीण विकास विभाग ने निर्णय लिया है, जो भी दिहाड़ी मजदूर बाहर के राज्यों से बिहार पहुंचे हैं, उनका मनरेगा जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा के तहत होने वाले कामों के लिए प्रयोग में लाया जाएगा. वापस आए मजदूरों में जो चाहेंगे उनका मनरेगा जॉब कार्ड बने, उन्हें जॉब कार्ड बनाकर काम दिया जाएगा. हालांकि, जो पहले से मनरेगा के तहत मजदूर काम कर रहे हैं, उनको भी बिहार सरकार लगातार काम दे रही है. लॉकडाउन के बाद चाहे तो बिहार में रह कर मनरेगा में काम कर सकते है.
लॉकडाउन में भी दिहाड़ी मजदूरों काम दिया जा रहा है. बिहार सरकार ने बिहार में अब तक 45 लाख 41 हजार नए पौधे लगाए गए है. उन नए पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी मनरेगा मजदूरों को दी गई है. प्रति मजदूर 200 पौधों को प्रतिदिन पानी देना है. पानी पटाने के लिए तीन दिन के काम पर एक दिन की मजदूरी दी जा रही है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मनरेगा का बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है. इसके साथ ही मनरेगा के लिए प्रयोग में लाये गए वस्तुओं की भी राशि दे दी गई है.
बिहार में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन काम के लिए 194 रुपए मजदूरी मिलेगी. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों की पारिश्रमिक में बढ़ोतरी किए जाने के बाद बिहार में मजदूरी में 26 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. पहले 168 रु प्रतिदिन मजदूरी मिलती थी, लेकिन 1 अप्रेल से 194 रु प्रतिदिन दिया जाएगा.ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार में शराबबन्दी है लेकिन पूर्व में शराब और ताड़ी बेचने वाले के लिए भी बिहार सरकार ने राशि दी है. इससे जुड़े लोगों को लॉक डाउन में दो दो हजार रुपये उनके खाता में डाला जा रहा है .
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