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हर किसी के लिए अनिवार्य है आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना ?

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आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य है हर किसी को डाउनलोड करना ?

सिटी पोस्ट लाइव :  कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत सरकार ने दो अप्रैल को आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च किया था.इस ऐप की मदद से आसपास के कोविड 19 मरीज़ के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.पीआईबी की वेबसाइट पर इस ऐप से जुड़ी जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक़, ये ऐप कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के जोख़िम का आंकलन करने और आवश्यक होने पर आइसोलेशन सुनिश्चित करने में मदद करेगा.आरोग्य सेतु ऐप को केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया है.भारत सरकार ने 29 अप्रैल को एक ज्ञापन जारी किया था. जिसका शीर्षक था, “कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए (चेन ब्रेक) आरोग्य सेतु ऐप का प्रभावी इस्तेमाल.”इसके तहत सभी सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निर्देशों का सख़्ती से पालन किया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों (आउटसोर्स कर्मचारियों सहित) को अपने मोबाइल पर हाथों हाथ ‘आरोग्यसेतु’ ऐप डाउनलोड करना चाहिए.ऑफ़िस में काम करना शुरू करने से पहले सभी को ‘आरोग्यसेतु’ ऐप पर अपनी स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए. जब एप्लिकेशन ‘सुरक्षित’ या ‘कम जोख़िम’ की स्थिति दिखाए, तभी आना-जाना शुरू करें.अधिकारियों/कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि यदि एप्लिकेशन पर ‘मध्यम’ या ‘उच्च जोख़िम’ दिखाए तो उन्हें ऑफ़िस नहीं आना है और उस वक़्त तक ऑफ़िस नहीं आना है जब तक ऐप पर स्थिति ‘सुरक्षित’ या ‘कम जोख़िम’ नहीं हो जाती.इस ज्ञापन में स्पष्ट लिखा है कि आरोग्य सेतु ऐप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है.

क्या कोई प्राइवेट कंपनी अपने कर्मचारियों को ऐप डाउनलोड करने को अनिवार्य कर सकती है? “लॉकडाउन के दौरान बहुत बड़े-बड़े अधिकार (समानता, स्वतंत्रता, जीवन के अधिकार) प्रभावित हुए हैं. लॉक डाउन जनता को बचाने के लिए किया गया है. यह तीन क़ानूनों के तहत लागू किया गया है. एपिडैमिक डिज़ीज़ एक्ट, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और सीआरपीसी 144. अदालतों की व्यवस्था भी ठप होने की वजह से सरकारके अधिकांश आदेशों की क़ानूनी वैधता पर अभी सवाल खड़े नहीं हो रहे, जब महामारी का ये दौर जब गुज़र जाएगा, तब इन मुद्दों पर बात और बहस जरूर होगी.”

क्या कोई इसे करने से इनकार कर सकता है?बेशक कर सकता है, क्योंकि आम लोगों के लिए यह एडवाइज़री है कोई क़ानून नहीं. लेकिन अगर कोई स्थानीय निकाय या अथॉरिटी अपने संरक्षित परिसर में इसे अनिवार्य करती है तो यह उसका विशेषाधिकार है और मानव सुरक्षा के आधार पर इससे इनक़ार नहीं किया जा सकता है. हां कोई चाहे तो इसे क़ानूनीतौर पर चुनौती दे सकता है लेकिन ऐसी चुनौती पर जल्द फैसला आना मुश्किल है और यह पूरी बहस कानूनी पेचीदिगियों में ही फंस सकती है.

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