सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में लौटनेवाले प्रवासियों की संख्या को लेकर विवाद पैदा हो गया है.आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत (Pratyay Amrit) के अनुसार सोमवार तक 30 लाख से अधिक प्रवासी (Migrants) बिहार वापस आ चुके हैं. अभी भी उनके आने का क्रम बना हुआ है हालांकि अब रफ्तार थोड़ी कम हुई है. लेकिन RJD नेता तेजस्वी यादव सरकार के इस दावे को गलत बता रहे हैं.तेजस्वी यादव का कहना है कि मुश्किल से अभीतक पांच सात लाख प्रवासी ही बिहार आये हैं.लेकिन बिहार सरकार तीस लाख प्रवासी मजदूरों को रोजगार दे देने का झूठा दावा कर रही है.यह जुमले की सरकार है. .
लेकिन बिहार सरकार तेजस्वी यादव के इन आरोपों से बेपरवाह है. बिहार सरकार भारी संख्या में आये प्रवासियों को लेकर आनेवाली समस्या के समाधान में जुटी हुई है.सरकार का कहना है किया प्रवासियों के आने से बिहार के शहरी इलाकों में दबाव बढ़ सकता है. रोजगार की चाहत में पलायन कर आने वाले लोगों का झुकाव तेज़ी से शहर की ओर हो सकता है.सरकार ये मानकर चल रही है कि देश में अब्ध्ते संक्रमण की वजह से प्रवासी मजदूरों का देश के दूसरे राज्यों में जाने की सम्भावना बहुत कम है. इसके साथ ही एक बड़ी हकीकत ये भी है कि बिहार (Bihar) के ग्रामीण इलाकों में रोज़गार की भारी कमी है.
बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवन कुमार अबतक मनरेगा और दूसरी सरकारी योजनाओं में तीस लाख लोगों को रोजगार दे देने का दावा कर रहे हैं.उनका कहना है कि बिहार सरकार पचास लाख लोगों को रोजगार देने में सक्षम है.मंत्री ने कहा कि अभी मनरेगा योजना के तहत सौ दिन ही रोजगार देने की व्यवस्था है जिसे बढाकर दो सौ दिन करने का आग्रह सरकार ने केंद्र से किया है.मंत्री कोपूरा भरोसा है कि केंद्र से सहयोग मिलेगा.मंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार ने सभी बकाये राशि का भुगतान कर दिया है.
बिहार के उद्योगपतियों का कहना है कि बिहार में आने वाले समय में नौकरी की तलाश में बड़ी संख्या में पलायन कर आनेवाले श्रमिकों का झुकाव बिहार के शहरी इलाक़ों में हो सकता है. बिहार सरकार लाख दावा करे की बिहार में आने वाले श्रमिकों को रोज़गार कि व्यवस्था सरकार कर रही है, लेकिन जो रोजगार के हालात बन रहे हैं उससे ये नहीं लग रहा है कि सरकार उतना रोजगार उपलब्ध करा सकती है जितनी संख्या में लोग बिहार पहुचे हैं.
फ़िलहाल जो आंकड़े सरकार की तरफ़ से जारी किए गए हैं उसके मुताबिक कई सेक्टरों में सरकारी और गैर सरकारी रोजगार सृजन किया गया है जो लगभग छह लाख पचास हजार के आसपास है. लेकिन बिहार में आने वाले श्रमिकों की संख्या लाखों में है. ऐसे में सरकार पर दबाव बढ़ेगा और गांव में नौकरी की व्यवस्था नहीं होने से झुकाव शहर की ओर हो सकता है.
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