गया का गुमनाम पर्यटन स्थल महेर पहाड़ का झरना, पेड़ के तने से गिरता है पानी
जंगल के बीच पगडंडियों के सहारे पैदल ही पहुंचते हैं लोग
सिटी पोस्ट लाइव : गया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर अवस्थित है महेर पहाड़। पहले यह इलाका माओवादी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था जिसके कारण लोग इस क्षेत्र में जाने से कतराते थे। अब पहाड़ तक जाने के लिए सड़क बन चुकी है। यहां पर वन विभाग के द्वारा पौधशाला भी स्थापित किया गया है। चैनपुर गांव के पास से झरना तक जाने का रास्ता है। रास्ता क्या जंगल झाड़ियों के बीच पगडंडी। लगभग एक घंटे की कठिन चढ़ाई के बाद झरना मिलता है। जिसकी खासियत यह है कि एक पेड़ के तने से यहां पानी गिरता है। जो लोगों के लिए कौतूहल का विषय है।
दरअसल पहाड़ से निकलने वाला झरना के बीच वह पेड़ है जिसके खोंढ़हर(होल) से होकर पानी अपना रास्ता बना लिया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह झरना वर्षों से अनवरत चल रहा है। यहां तक कि गर्मियों के दिनों में भी यह यूं ही चलते रहता है। लेकिन हाल के दिनों में ज्यादा संख्या में यहां लोग आ रहे हैं। चूंकि पहले लोग इधर आते नहीं थे इस वजह से इस जगह के बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी। हाल के दिनों में यहां हो रही भीड़ को लोग सोशल मीडिया का प्रभाव भी बता रहे हैं।
यहां पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। न तो सुगम रास्ता है और न ही झरना के समीप सर छुपाने की कोई जगह। बरसात या धूप में यहां आने वाले लोगों को घोर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। स्थानीय मुखिया कन्हाई पासवान बताते हैं कि उनके स्तर से यहां पर यात्री शेड निर्माण के लिए प्रयास किया जा रहा है। विशेष सुविधाओं के लिए स्थानीय विधायक से सम्पर्क की गई है।
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