रांची समेत झारखंड के 18 जिलों में भू-गर्भ जलस्तर में 2 से 13 मीटर तक गिरावट, पानी की भारी किल्लत
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राजधानी रांची समेत झारखंड के 18 जिलों में तेजी से भू-गर्भ जल स्तर में गिरावट आयी है। इससे पानी की जबर्दस्त किल्लत हो गई है। भू-गर्भ जलस्तर नीचे जाने से सिर्फ रांची में 40 हजार से अधिक घरों की निजी बोरिंग फेल कर गई हैं। करीब दो हजार सरकारी चापाकल सूख गये हैं। उससे पानी आना बंद हो गया है। अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो स्थिति और खराब हो सकती है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में इन जिलों में दो से 13 मीटर तक जल स्तर में गिरावट आयी है। इनमें रांची, गुमला, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज और पाकुड़ जिले शामिल हैं। बोर्ड ने रांची शहरी इलाके में 12 डीप बोरिंग की मॉनीटरिंग की, जहां जलस्तर 10 वर्षो में 10 से 12 मीटर तक गिरे हैं। कहीं-कहीं तो 15 से 17 मीटर तक गिरावट आयी है। इसमें कांके की स्थिति सबसे भयावह है। यहां गर्मी के मौसम में या मानसून से पहले 28.44 मीटर तक जलस्तर घटा है। अगर अब भी वाटर हार्वेस्टिंग पर सरकार ध्यान नहीं देगी तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह होगी। रांची में जलस्तर 12 से 13 मीटर नीचे जाने के कारण करीब 40 हजार से अधिक घरों की बोरिंग पूरी तरह से सूख चुकी है। रांची नगर निगम के पास गिनाने को तो कई डीप बोरिग हैं, परंतु अधिकतर काम नहीं कर रही है। हाइड्रेंट भी फेल कर गये हैं। इस कारण कई वार्डों में जबर्दस्त पानी की किल्लत हो गयी है। समय से बारिश नहीं हुई तो स्थिति और खराब हो सकती है। पीने के लिए लोग 700 से 900 फुट तक बोरिंग करवा रहे हैं, फिर भी निराशा हाथ लग रही है। ऐसे में शहर के एक बड़े हिस्से के लोग पूरी तरह से निगम के टैंकर पर आश्रित हो गये हैं। लोगों को एक बाल्टी पानी लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके बावजूद सरकार के स्तर पर इस स्थिति से निबटने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। इस भीषण जलसंकट से निबटने के लिए रांची नगर निगम के पास सिर्फ 45 टैंकर हैं। इन टैंकरों में पानी भरने के लिए नगर निगम अलग-अलग इलाके में आठ हाइड्रेंट का निर्माण कराया है, लेकिन लगातार चलते मोटर और भू-गर्भ जलस्तर के नीचे जाने के कारण दो हाइड्रेंट पिछले एक सप्ताह से काम नहीं कर रहे है। इस कारण निगम के टैंकर मोहल्ले में केवल दो ही बार पानी लेकर वितरण कर पा रहे है।
रांची नगर निगम के 2,500 चापाकल, इनमें 1900 नहीं काम कर रहे
रांची में नगर निगम के 2,500 चापाकल हैं। इनमें से करीब दो हजार ने पानी देना बंद कर दिया है। जलस्तर नीचे जाने से सभी सूख गये। इसके अलावा पूरे शहर में 988 मिनी हाइड्रेंट (एचवाईडीटी) लगाये गये थे इसमें भी 150 से अधिक ने पानी देना बंद कर दिया है। जिससे पानी निकल भी रहा है उसमें पानी का प्रेशर बहुत कम है। रांची के कई इलाके ड्राई जोन में तब्दील हो चुके हैं। अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो ये इलाके भी ड्राई जोन में आ जायेंगे।
हर साल पांच हजार से अधिक हो रही है बोरिंग
रांची के लोगों को पानी उपलब्ध कराने में नगर निगम के असमर्थ होने के कारण हर साल पांच हजार से अधिक बोरिंग हो रही है। अत्यधिक बोरिंग कर पानी का दोहन करना भू-गर्भ जलस्तर के नीचे जाने का बड़ा कारण माना जा रहा है। शहर में जहां 1.88 लाख से अधिक से घर हैं। इनमें से केवल 45 हजार घरों में ही पाइपलाइन से जलापूर्ति होती है। अगर नगर निगम हर घर को सप्लाई पाइपलाइन से जोड़कर पानी उपलब्ध करा दे तो किसी को बोरिंग करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और भू-गर्भ जलस्तल भी बना रहता।