नौकरी व नेतागिरी छोड़ गोपाल बने किसान, बागवानी ने बदली जिंदगी
पशु पक्षी से करते हैं अगाध प्यार ,हो रही अच्छी आमदनी
सिटी पोस्ट लाइव : जहानाबाद जिले सदर प्रखंड के गोंनवां गांव के गोपाल शर्मा अपने खेतों में तालाब की खुदाई करा एवं बागवानी लगाकर अपनी जिंदगी सवांर रहे हैं। गोंनवा गांव के दक्षिणी छोर पर उनके निजी भूमि के तकरीबन 5 एकड़ में तालाब एवं बागवानी लोगों को खूब भाती है। पूर्व में सरकारी नौकरी, ठेकेदारी, व्यवसाय एवं नेतागिरी में किस्मत आजमा चुके गोपाल शर्मा का मन कहीं नहीं लगा तो 5 साल पूर्व वे किसानी में उतर पड़े। साल भर बाद अपने खेत के 5 एकड़ भूमि की घेराबंदी कर डेढ़ बीघा में तालाब खुदवाई, एवं बाकी बचे जमीन में पेड़ पौधे लगा दिया। बगीचा के बीच में गोशाला भी है। जिसने गाय रंभाती है, वही तालाब में रेहू, कतला, जाशर पानी में उछल कूद करती रहती हैं। वही उसके चारों ओर फलदार एवं इमारती लकड़ी के तकरीबन 25 सौ पेड़ लगे हैं।
जिसमें महोगनी एवं सागवान के 8 सौ, सेमर के सौ, पेड़ तथा फलदार में आम के डेढ़ सौ अमरुद के सो, नींबू के सौ पेड़ के अलावा काजू बादाम के भी पेड़ शामिल हैं ।जो सीजन में फल देना शुरू कर दिए हैं। उनके तालाब में मछलियों की चहलकदमी एवं पेड़ की छांव व ठंडी हवा में चैन की सांस लेने दूरदराज से भी लोग आते हैं। बागवानी से अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि तालाब में मात्र में 30000 का जीरा डाला था ।छह माह भोजन पानी दवा उपलब्ध कराने के बाद तकरीबन तीन लाख के मछली तैयार है । उन्होंने बताया कि जीरा एवं उसके दान तथा मजदूरी में अधी खर्च करने पर दूनी आमदनी होना तय है। मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने वाले एमबीए पुत्र भी बागवानी में करते हैं मेहनत
इस कार्य में एमबीए की योग्यता हासिल करने वाले श्री शर्मा के दो पुत्र संतोष एवं मंतोष भी खूब मदद कर रहे हैं ।संतोष तो अपनी पुणे की नौकरी छोड़ मछली पालन एवं बागवानी में जुट गए हैं। वही मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने वाले मंतोष पूंजी के साथ-साथ छुट्टी के दिनों में शारीरिक तौर पर भी बागवानी को हरा भरा रखने में पीछे नहीं रहते। तालाब व बागवानी से होने वाली आय से उनकी परिवार भी हरा-भरा है। बागवानी के हरा भरा रखने का श्रेय पिता -पुत्र दोनों एक दूसरे को देते हैं। संतोष एवं मंतोष दोनों भाइयों ने बताया कि उनके पिता ने जो पेड़ लगाया उसमे पूंजी रूपी पानी एवं शारीरिक मेहनत कर हरा भरा रखने की उनकी जिम्मेवारी है । पिता के कंधों को साथ देना उनका दायित्व भी है।
जल जीवन हरियाली को कर रहे संरक्षित पर नहीं मिला सरकारी मदद श्री शर्मा परिवार ने बताया कि वे तालाब एवं बागवानी के सहारे जल जीवन हरियाली को संरक्षित कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी अदा कर रहे हैं। पर सरकारी स्तर पर उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है। श्री शर्मा ने बताया कि वे कई बार कृषि विभाग, आत्मा आदि का चक्कर लगाया, परंतु बागवानी को विकसित करने के लिए सरकारी स्तर पर पूंजी एवं प्रशिक्षण आदि की कोई सुविधा नहीं मिल पाई है । सरकारी बाबुओं ने बताया कि वे कृषि विभाग व आत्मा से पौधा नहीं लिए हैं, इसलिए उन्हें कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाएगी। बहरहाल जल जीवन हरियाली को संरक्षित कर न केवल उनकी आय बढ रही है। बल्कि प्रकृति एवं पर्यावरण को संरक्षित कर मानव जीवन का महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा निभा रहे हैं
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