सिटी पोस्ट लाइव : कहते है कुदरत हर साल किसानों के साथ जुआ का खेल खेलती है. लेकिन इस जुए में हर साल किसानों की ही हार होती है, ऐसा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि रहुई प्रखंड के निचले इलाके में हर साल किसान की फसल और मेहनत पर कुदरत पानी फेर देता है. इस बार भी रहुई प्रखंड क्षेत्र के पंचाने नदी का जल स्तर बढ़ते ही मई पंचायत के पहियारा खंधा के पास पंचाने नदी का लगभग 100 फिट की दूरी तक तटबंध टूट गया है. इससे सैकड़ों बीघे के खन्धे में पानी फैल गया है. तटबंध का कटाव भी ऐसा कि नदी के पानी का बहाव ही इस ओर मुड़ गया. किसानों की पूंजी बर्बाद होने का भय व्याप्त है.
मई गांव के दर्जनों किसान ने बताया कि मूंग का फसल बर्बाद हो गया. पानी का जल्द निकास नहीं हुआ तो धान का बिचड़ा बर्बाद होना तय है. फरीदा गांव निवासी कौशलेंद्र कुमार ने बताया कि पांच सौ रुपए खरीद कर धान का बिचड़ा लगाए थे. तटबंध टूटने से सभी फसल नष्ट हो गया. इस तटबंध के टूटने से माई फरीदा, मथुरापुर, सैदी, सैदल्ली, इंदवास, लोहरम चक, रामपुर, हरिहर पुर, अब्दुलीचल, मथुरापुर, मल्लिचक हवनपुरा, दुलचन्दपुर, गांव के खन्धे नदी का पानी से खेती प्रभावित होने की सम्भावना है. जल्द यदि पानी की रफ्तार कम नहीं हुई या फिर तटबंध की मजबूती के साथ मर्मरत नहीं की गई तो हजारों बिगहा खेत में फसल लगाना मुश्किल हो जाएगा.
ऊपर से मजबूत दिखने वाला यह तटबंध अंदर से शायद कमजोर है. रविवार को इस तटबंध के अंदर से नदी का पानी खेतों की ओर बहने लगा था लेकिन समय रहते इसका समाधान का प्रयास किया गया है. यह भी तय है कि नदी का तेजी से जलस्तर बढ़ा तो खाड़ होंने से इंकार नहीं किया जा सकता. रहुई गांव के गौढ़ा खंधा व अहरा खंधा में नदी से पानी लगातार खेतों में बह रही है. अहरा खंधा से गौढ़ा खंधा में पुलिया के रास्ते पानी जमा हो रहा है.
खास बात यह कि इस गौड़ा खंधा के पानी का निकास नहीं है. हर साल ज्यादा पानी रहने से इस खन्धे में लगे फसल तो बर्बाद होते ही रहते है. इसके समाधान के लिए न तो किसान चिंतित है और न प्रशासन चिंतित दिखाई दे रहा है. बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है, बावजूद अभी तक रहुई प्रखंड में नाव की भी व्यवस्था नहीं की गई है. सारी व्यवस्था हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ आने के बाद ही किया जाएगा. पंचाने का जलस्तर बढ़ने के बजह से ओवर फ्लो होने के कारण तटबन्ध टूटा है. विभाग मुस्तैदी के साथ तटबंध मर्मरती का कार्य किया जा रहा है.
नालंदा से मो. महमूद आलम की रिपोर्ट
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